जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई स्वाभिमान प्लस परियोजना की समीक्षात्मक बैठक
महिलाओं व शिशुओं की पोषण गुणवत्ता में विकास का लिया गया निर्णय:
जिले के कसबा तथा जलालगढ़ में प्रयोगात्मक रूप से चल रही स्वाभिमान प्लस परियोजना:
स्वास्थ्य विभाग व आईसीडीएस के सहयोग से लोगों को मिलेगी सही पोषण सम्बन्धी सुविधाएं:
श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):
जिला मुख्यालय के समाहरणालय सभागार में जिलाधिकारी राहुल कुमार की अध्यक्षता में स्वाभिमान प्लस परियोजना की समीक्षात्मक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सभी स्वास्थ्य व आईसीडीएस अधिकारियों को यूनिसेफ तथा जीविका के सहयोग से लोगों तक सरकार द्वारा चलाई जा रही पोषण की सुविधाओं के साथ सही जानकारी पहुँचाने पर विचार किया गया। बैठक में जिलाधिकारी राहुल कुमार के साथ यूनिसेफ से रवि कुमार, सिविल सर्जन डॉ. एस के वर्मा, आईसीडीएस डीपीओ राखी कुमारी, डीपीएम जीविका, डीपीएम स्वास्थ्य ब्रजेश सिंह, डीआईओ डॉ. विनय मोहन, यूनिसेफ डिविजनल कोऑर्डिनेटर देवाशीष घोष, डीसीएम संजय दिनकर सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी, कसबा तथा जलालगढ़ प्रखंड की सीडीपीओ, बीडीओ व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
जिले के कसबा तथा जलालगढ़ में प्रयोगात्मक रूप से चल रही स्वाभिमान प्लस परियोजना :
इस बैठक में यूनिसेफ अधिकारी रवि कुमार ने बताया कि महिलाओं और बच्चों तक पोषण की सही जानकारी व सुविधाओं का लाभ पहुँचाने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना स्वाभिमान प्लस को जिला के दो प्रखंड कसबा तथा जलालगढ़ के 98 आंगनवाड़ी केंद्रों में 2017 से चलाया गया है, जिसमें जिलाधिकारी राहुल कुमार की पूरी निगरानी है। इस परियोजना के तहत महिलाओं के गर्भावस्था के पूर्व से लेकर बच्चे के जन्म के दो साल तक उन्हें सही पोषण की जानकारी देते हुए उन्हें लाभान्वित करना है। जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार देखा गया है कि देश में जन्म लेने वाले 20 प्रतिशत बच्चों की लंबाई कम होती है जबकि 30 प्रतिशत बच्चे का वजन जन्म से ही कम होता है। अगर लोगों को सही जानकारी हो तो इसे कम किया जा सकता है। बच्चों का वजन तथा लम्बाई गर्भ में रहने के दौरान 20 सप्ताह में पता चल सकता है। महिलाओं की स्वास्थ्य भी शादी के बाद गर्भधारण का समय, बच्चों के बीच अंतर रखकर बेहतर किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस व शिक्षा विभाग की सहभागिता जरूरी है। अगर सभी का सहयोग रहा तो जीविका व यूनिसेफ के सहयोग से लोगों को इसके लिए जागरूक कर लाभान्वित किया जा सकता है।
महिलाओं व शिशुओं की पोषण गुणवत्ता में विकास का लिया गया निर्णय :
बैठक में जिलाधिकारी राहुल कुमार ने कहा कि लोगों को स्वस्थ रहने के लिए उनके बीच जानकारी का होना आवश्यक है। स्वाभिमान प्लस परियोजना द्वारा लोगों के पोषण व स्वास्थ को यूनिसेफ के सहयोग से जीविका के माध्यम द्वारा लाभ पहुँचाया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनएफएसएच 04 के आंकड़ों के अनुसार 2016 में जिले में 52 प्रतिशत बच्चे कुपोषित थे जबकि 2021 में एनएफएसएच डाटा के अनुसार यह 43 प्रतिशत तक है। हालांकि जिले में इससे और भी कम बच्चे कुपोषण के शिकार हैं फिर भी इसे और कम करने की आवश्यकता है। अगर हम महिलाओं के स्वास्थ्य व उनके पोषण पर ध्यान दें तो बच्चे भी कुपोषण के शिकार नहीं होंगे। इसे कम करने के लिए 05 स्तर से प्रयास किया जा सकता है- खानपान बढ़ोतरी, सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग, भीएचएसएनडी सर्विस की पहुंच व गुणवत्ता में विकास, साफ-सफाई पर जोर व बच्चों के बीच अंतर। इसके लिए सभी विभागों की एक साथ सहभागिता आवश्यक है। प्रयोगात्मक रूप से शुरू की गयी यह परियोजना अगर सफल रही तो इसे पूरे राज्य में चलाया जा सकता है। इसलिए सभी विभागों को इसमे आवश्यक सहयोग कर इसे सफल बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। इसके साथ ही जिलाधिकारी राहुल कुमार ने यह भी कहा कि सिर्फ पोषण ही नहीं बल्कि कोविड के कारण भी लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ा है विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य पर। ग्रामीण स्तर पर लोगों के मानसिक तनाव की पहचान करते हुए इसे दूर किया जा सकता है। बच्चों में कुपोषण की समस्या को पोषण पुनर्वास केंद्र द्वारा ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिका भी चलाया जाना चाहिए जिससे कि लोगों में पोषण को लेकर समझ बढ़ सके और वह इसका लाभ उठा सकें।
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