कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता,तबीयत से यारों एक पत्थर तो उछालो….
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
14 ऑपरेशन हुए और एक साल बेड पर रही। इस बीच शादी टूट गई, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं टूटी। पिता ने हौसला दिया और कहा कुछ करके दिखाओ। बस यहीं से शुरू हुई आईएएस बनने की कहानी। बेड पर ही तैयारी की। पहले प्रयास में प्री में अटक गई। दूसरे में प्री क्लीयर हो गया, लेकिन और मेहनत चाहिए थी। तीसरी बार में इतनी मेहनत की कि सिविल सर्विस एग्जाम क्लीयर कर लिया। ये कहानी है हरियाणा के करनाल जिले के गांव दुपेड़ी की बेटी प्रीति बेनीवाल की, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास करके ये दिखा दिया कि जब मन में कुछ करने का जज्बा हो तो किसी भी चुनौती को पार करते हुए लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
सपना बचपन से आईएएस बनने का था, लेकिन सोचा नहीं था इन हालात में पूरा होगा
प्रीति बताती हैं कि बचपन से ही उनका सपना सिविल सर्विस में जाने का था, लेकिन ऐसे हालातों में सपना पूरा होगा, ये सोचना तो दूर ख्याल तक नहीं था। 2013 में एमटेक करने के बाद ग्रामीण बैंक में क्लर्क की नौकरी मिल गई। 2013 से लेकर 2016 तक बहादुरगढ़ में नौकरी की। इसके बाद 2016 में एफसीआई में असिस्टेंट जनरल टू के पद पर चयन हुआ। 2016 से लेकर जनवरी 2021 करनाल में एफसीआई में नौकरी की। जनवरी 2021 में उसका चयन विदेश मंत्रालय में असिस्टेंट सेक्शन अफसर के पद पर हुआ। फिलहाल वह दिल्ली विदेश मंत्रालय में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
फरवरी 2016 में मतलौडा ब्लॉक के एक गांव में शादी हो गई थी। इसके बाद दिसंबर 2016 में एफसीआई की डिपार्टमेंटल प्रमोशन के लिए गाजियाबाद में एग्जाम देने के लिए जा रही थी। गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर अचानक पैर फिसलने से ट्रेन के आगे आ गई। ट्रेन के तीन कोच शरीर के ऊपर से गुजर गए। बायपास सर्जरी हुई और अन्य 14 ऑपरेशन हुए। वह बेड पर आ गईं तो चलने फिरने के योग्य नहीं रही। ससुरालवालों ने साथ छोड़ दिया। जब ससुराल ने छोड़ दिया तो ठान लिया कि जिंदगी में आगे बढ़ना है। अपना आईएएस बनने का सपना पूरा करुंगी।
करीब 1 साल तक वह बेड रेस्ट पर रही। नौकरी के दौरान यूपीएससी की तैयारी का समय नहीं मिल पाया था। बेड रेस्ट के दौरान यूपीएससी की तैयारी जी जान से की। पहली बार परीक्षा दी तो निराशा हाथ लगी। दूसरी बार में केवल प्री क्लियर हो पाया। 2020 की परीक्षा दी तो यूपीएससी क्लीयर कर लिया।
बिजली निगम में जेई पिता सुरेश ने किया था प्रेरित
प्रीति ने बताया कि उन्होंने पहले से 5वीं कक्षा तक की शिक्षा निकटवर्ती गांव फफड़ाना के यूनिक स्कूल से प्राप्त की। पिता सुरेश थर्मल में जेई वन की पोस्ट पर थे। छठी से लेकर 10वीं तक की शिक्षा थर्मल के राजकीय स्कूल से प्राप्त की। जबकि 12वीं की नॉन मेडिकल की शिक्षा मतलौडा के इंडियन स्कूल से ली। इसके बाद 2007 से लेकर 2011 तक एनसी कॉलेज इसराना से इलैक्ट्रिक एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग से बीटेक किया। 2011 से लेकर 2013 तक एसजीआई कॉलेज समालखा से एमटेक की और इसके बाद ग्रामीण बैंक में नौकरी लग गई।
पिता ने दिया साहस तो पाया मुकाम
प्रीति बेनीवाल ने बताया कि उनके लिए पिता सुरेश कुमार और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मां बबीता प्ररेणास्त्रोत रहे हैं। भाई पंकज बेनीवाल ने हर मोड़ पर उनका साथ दिया। प्रीति ने बताया कि वह गाजियाबाद में प्रमोशन का एग्जाम देने के लिए गई थीं। उनके साथ पिता सुरेश थे। इस दौरान रेलवे स्टेशन पर उनके साथ हादसा हो गया। इस दौरान भी पिता साथ थे,
लेकिन मेरी हालत देखकर भी उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी। खुद के साथ-साथ मुझे भी संभाला। जब इलाज चला और होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया। अस्पताल में भी पिता के हौसले ने प्रीति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्हीं की बदौलत वह आईएएस बन पाई हैं। भाई पंकज बतौर पटवारी पंचकूला में कार्यरत हैं और भाभी प्राइवेट लेक्चरर हैं।
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