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गुमनाम स्वाधीनता सेनानियों को खोजकर समाज के सामने लाना पत्रकारों का है दायित्व : रामाशीष

गुमनाम स्वाधीनता सेनानियों को खोजकर समाज के सामने लाना पत्रकारों का है दायित्व : रामाशीष

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* आजादी के अमृत महोत्सव पर नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ बिहार के द्वारा परिचर्चा आयोजित

* पत्रकारिता का ध्येय है राष्ट्र व संस्कृति की रक्षा

श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):

नेशनललिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट बिहार की सीवान ईकाई के तत्वावधान में शहर के कलावती मैरिज हॉल में “आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर ”बिहार की पत्रकारिता: दशा और दिशा” पर परिचर्चा का आयोजन एनयूजे के जिलाध्यक्ष ललन सिंह नीलमणि की अध्यक्षता में संपन्न हुई। परिचर्चा का संचालन करते हुए पत्रकार प्रो डॉ अशोक प्रियंवद ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि बेहतर समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में वर्तमान परिवेश में पत्रकार की भूमिका कैसी हो,यह आत्ममंथन और चिंतन का विषय है। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में बिहार,झारखंड व यूपी के प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक रामाशीष जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मीडिया संचार के साधन के साथ ही परिवर्तन का वाहक भी है। सकारात्मक पत्रकारिता बेहतर समाज के निर्माण में सहायक होती है।

 

उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में पत्रकारों के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। अपने गांव और क्षेत्र में स्वाधीनता की लड़ाई में शहीद होने वाले, जेलों में बंद होकर असह्य यातनाएं झेलने वाले या अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष के दौरान अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी लेखनी से मुखरित करने की आवश्यकता है। गांव-गंवई के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को समाज के सामने लाने का दायित्व भी पत्रकारों का है। तभी स्वाधीनता के अमृत महोत्सव की सार्थकता पूरी होगी। विद्या भारती के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव रमेंद्र राय सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि पत्रकार समाज के लिए कितना उपयोगी, कितना निर्माणकारी और कितना जिम्मेदारी पूर्ण भूमिका में है? पत्रकार की आने वाले समय की दिशा और दशा तय करता है और समाचार जल्दी में लिखा गया इतिहास है। वक्ताओं ने कहा कि राजनेता पत्रकार को अपनी जेब में रखना चाहते हैं। कोरोना काल की पत्रकारिता सब दौर से भिन्न है। क्योंकि यहां झूठ की एक लंबी पत्रकारिता की गई, जिससे हमारे देश और हमारे शासन- प्रशासन की छवि खराब हो सके। पत्रकारिता का यह स्वरूप एक जिम्मेदार पत्रकार की श्रेणी में नही आता ।


आज अगर हमारी खबरें यदि आपकी मानसिकता का पोषण नहीं करती हैं तो पत्रकारों के कुछ समूह को गोदी मीडिया तक की उपाधि दे दी जाती है । पत्रकार किसके प्रति उत्तरदायी हो किसके प्रति निष्पक्ष हो यह बड़ा यक्ष प्रश्न है?

जो उत्साही होता है वही पत्रकार होता है। भारत के समाज ने पत्रकारों को चौथा स्तंभ नाम दिया है। ऐसे में हमारा दायित्व समाज के प्रति और बढ़ जाता है। प्रवक्ता और पत्रकार में अंतर होना चाहिए। समाज में आये अवमूल्यन के साथ पत्रकारों में भी अवमूल्यन लाजिमी है। लेकिन हमें इसका ध्यान रखना है कि हम नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट बिहार हैं। पत्रकारों के संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि इसकी एक सीमा है, इसके कुछ बिंदु है। एक प्रत्यय है एक प्रतिमान है। हम राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं।

पत्रकारों को चाहिए कि वह अपनी शब्दावली को गढे। ज्ञान के निकट जाएं,पत्रकार का गुणधर्म होना चाहिए। वह शब्दों के माध्यम से समाज की ग्रंथियों को खोलें। पत्रकारिता में शिवत्व है उसका धर्म है। आज आप आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि हम अमृत महोत्सव के माध्यम से समाज में अपने पुरखे पूर्वजों को याद करें।

स्वाधीनता के 75 वें वर्ष में पत्रकारिता निश्चित ही लेखन की ताकत को बढ़ाएगी।राष्ट्र सर्वोपरि होगा तो हम भी सुदृढ़ होंगे।पत्रकारिता में सत्य सापेक्ष शब्द हैं।भाषा की समृद्धि के लिए आवश्यक हैं कि आप नित्य अपने लेखन को सुदृढ़ करे,निर्भिक होकर अपने विचार प्रकट करें।

आज का यह आयोजन पत्रकारिता के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा ।और स्वाधीनता के 75 वें वर्ष में इस तरह के आयोजन से आप सभी के माध्यम से समाज में जागरुकता आएगी। इस अवसर पर डॉ प्रो अशोक प्रियम्बद,अध्यक्ष ललन सिंह नीलमणि, डॉ विजय कुमार पांडेय, सचिव आकाश कुमार, आनंद किशोर मिश्र आदि ने अपना विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम में राजेश कुमार पांडेय ,नारद मीडिया के डाॅॅ0  राकेश तिवारी,मनोज सिंह उस्मानिया ,कृष्ण कुमार सिंह, अमरनाथ शर्मा, सचिन पांडेय,रवींद्र गुप्ता, सहित सैकड़ों पत्रकार शामिल हुए।कार्यक्रम के अंत मे डॉ विजय कुमार पांडेय ने आगत अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया ।

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