जाने प्राचीन भारत में आश्चर्यजनक यौन संबंधी क्या थी मान्यताएं ?
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
प्राचीन भारत की आश्चर्यजनक यौन संबंधी मान्यताएं रही हैं। यौन संबंधी पर लिखी सबसे मशहूर किताब भारत की ही है, इसलिए इसे कामसूत्र की धरती के नाम से जाना जाता है। हालांकि, आज भी हमारे समाज में सेक्स शब्द को एक टैबू ही माना जाता है, लेकिन आप अगर भारत का इतिहास देखेंगे तो आपको हैरानी होगी कि हमारे पूर्वज हमसे ज़्यादा आज़ाद ख्यालों वाले थे। सदियों पहले भारत में सेक्स टैबू नहीं था, बल्कि ज़िंदगी के जश्न मनाने का, ज़िंदगी को आनंद के साथ जीने का तरीका था।
आश्चर्यजनक यौन संबंधी मान्यताएं–खजुराहो के मंदिर और कामुक प्रतिमाएं इस बात का सबूत हैं कि उस जमाने में सेक्स को लेकर इतना संकोच नहीं था, जितना की आज है। शायद इसी संकोच के कारण आजकल सेक्स से जुड़े अपराध ज़्यादा होत हैं, क्योंकि जिस चीज़ को जितना दबाया छुपाया जाता है उसे जानने, आज़माने की इच्छा उतनी ही तीव्र होती है। इस मामले में हमार पूर्वज हमसे कहीं ज़्यादा आगे थे, यकीन न हो तो प्राचीन भारत में सेक्स से जुड़ी ये दिलचस्प बातें जान लें।
प्राचीन भारत में घटकंचुकी नामक सेक्स गेम – आपको जानकर शायद हैरानी होगी, मगर पुराने ज़माने में भी लोग सेक्स गेम खेलते थे और उसका नाम था घटकंचुकी । इस खेल में अलग-अलग जाति के शादीशुदा और कुंवारे महिला-पुरुष एक जगह इकट्ठा होते थे, फिर महिलाएं अपने कपड़े उतारकर एक मटके में रख देती थी। इसके बाद हर पुरुष उस मटके मे से एक कपड़ा उठाता था। जिस महिला का वो कपड़ा होता था उसके साथ वह पुरुष संबंध बना सकता था। इस खेल में पुरुष और महिलाओं की संख्या बराबर होती थी, ताकि सभी को एक-दूसरे के साथ संबंध बनाने का मौका मिले।
पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे को यौन सुख देने के लिए प्रतिबद्ध थे –सेक्स हर कपल के जीवन का अहम हिस्सा होता है। पुराने ज़माने में लोग कामसूत्र का सख्ती से पालन करते थे और दंपत्ति बिना किसी संकोच के एक-दूसरे को यौन संतुष्टि देते थे।
नग्नता को बुरा नहीं माना जाता था-भारत का तापमान काफी गर्म है। इसलिए गर्मी की वजह से प्राचीन काल में लोग कपड़े नहीं पहनते थे। पुरुष जहां बिना कपड़ों के घूमते थे, वहीं महिलाएं ढीली सिल्क की साड़ी को बस यूं ही बांध लेती थीं। यदि उसमें उनका शरीर ज़्यादा दिखता भी था तो उसे गलत नहीं माना जाता था।
कामसूत्र को पवित्र माना जाता था-कामसूत्र सिर्फ काम क्रियाओं की पुस्तक नहीं है, बल्कि ये उससे कहीं आगे है। ये लोगों को खुश और संतुष्ट तरीके से जीवन जीना सिखाती है। इसमें यौन संबंधों को आध्यात्मिक अनुभव और ध्यान से जोड़ा गया है न कि वासना से। आज की पीढ़ी को ये बातें ज़रूर सीखनी चाहिए।
यौन संबंध को दिव्य ऊर्जा का स्रोत माना जाता था-संबंध बनाने के दौरान पति-पत्नी एक दूसरे से आध्यात्मिक रूप से जुड़ते है, उनमें गहरा भावनात्मक जुड़ाव होता है।
अधिकांश राजा बहु विवाह करते थे- पुराने जमाने में राजा-महाराजा कई शादियां करते थे और संबंध बनाते थे। उन्हें अपनी ज़िंदगी जीने की आज़ादी थी, हालांकि अधिकांश भारतीय एक ही शादी में विश्वास करते हैं, मगर प्राचीन काल में बहु विवाह का प्रचलन था।
बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए लजीज़ खाना-कामसूत्र में साफ तौर पर इस बात का ज़िक्र है पेट पूरी तरह से भरा होने पर ही यौन क्रिया का पूरा आनंद उठाया जा सकता है। यहां तक की कामसूत्र में एक पूरा अध्याय सिर्फ खाने से ही जुड़ा है, जिसमें कहा गया है कि अच्छा और स्वादिष्ट खाना बेहतर काम क्रिया के लिए ज़रूरी है
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सुबह का नाश्ता राजा की तरह, दोपहर का भोजन राजकुमार की तरह और रात का भोजन भिखारी की तरह करना चाहिए।’