गोरखपुर में मनीष मर्डर की थर्रा देने वाली कहानी.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में पुलिस की खाकी वर्दी खून से लाल हो गई. इस बार वो खून एक बेगुनाह का है, कुछ दोस्त गोरखपुर के एक होटल में एक कमरे में थे. तभी पुलिस आई और पूछताछ करने लगी. इसके बाद क्या हुआ, उसे लेकर दावे-आपत्तियां होती रहेंगी, लेकिन ये तथ्य है कि मनीष गुप्ता की जान चली गई.

”हम कोई आतंकवादी थोड़ी हैं, जो इस तरह चेकिंग कर रहे हो.” इतनी सी बात कहने पर किसी आम नागरिक की जान ले ले. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह ज़िले गोरखपुर में ऐसा कह देने वाले 35 साल के युवक को पुलिस ने बुरी तरह से पीटा. इतना ज्यादा की उसकी मौत हो गई. फिर पिटाई के आरोपी पुलिस वालों को बचाने में जिले के पुलिस कप्तान और डीएम लग जाते हैं. एसएसपी कहते हैं कि बेड से गिरने की वजह से मौत हो गई. सूबे के एडीजी कहते हैं कि भगदड़ में गिरने की वजह से मौत हो गई. ऐसा लगता है कि पूरा पुलिस सिस्टम ही अपने अंदर के अपराधियों को बचाने में लग गया है. बात दबाने की कोशिश होती है और दबती नहीं है तो कार्रवाई के नाम पर 6 पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया जाता है.

तो असल में हुआ क्या. ये पूरा मामला शुरू से समझते हैं. मनीष गुप्ता. 35 साल की उम्र. कानपुर के रहने वाले थे. 4 साल के बच्चे के पिता. कारोबारी बताए जा रहे थे, कहीं-कहीं प्रॉपर्टी डीलर भी लिखा जा रहा है. कोरोना और लॉकडाउन से पहले नोएडा में किसी प्राइवेट बैंक में नौकरी करते थे. लॉकडाउन में कानपुर चले गए. मनीष के परिवार वाले ये भी कह रहे हैं कि चार महीने पहले वो बीजेपी में शामिल हुए थे. लगातार बीजेपी के कार्यक्रमों में शामिल हो रहे थे.

तो मनीष अपने दोस्त हरवीर सिंह और प्रदीप चौहान के साथ 27 सितंबर को कानपुर से गोरखपुर गए थे. कहा जा रहा है कि वो ये देखने गए थे कि गोरखपुर कितना सज-संवर रहा है, कितना बदलाव हो रहा है. मतलब कहिए कि घूमने फिरने गए थे. मनीष अपने दोस्तों के साथ गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में रुके थे. कमरा नंबर 512.

27 सिंतबर की रात करीब 12 बजे रामगढ़ताल थाने की पुलिस होटल में पहुंची. इसमें इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्र थे. कुछ सिपाही भी साथ थे. कमरे का दरवाजा खटखटाकर खुलवाया गया. साथ में होटल का रिसेप्शनिस्ट स्टाफ भी था. पुलिसवालों ने कहा कि चेकिंग हो रही है, आईडी प्रूफ़ दिखाओ. हरवीर और प्रदीप ने तो अपनी आईडी दिखा दी. एक तस्वीर भी आई है जिसमें पुलिस वाले होटल के कमरे में दिख रहे हैं.

उस वक्त मनीष सोए हुए थे. ख़बरों के मुताबिक़, उठाए जाने पर मनीष ने कहा कि ये कौन सा समय है चेकिंग करने का? क्या हम लोग आतंकवादी हैं? आरोप है कि इतनी सी बात पर पुलिस वालों ने मनीष के साथ मारपीट शुरू कर दी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चोट की पुष्टि हुई है. मनीष के शरीर पर 4 गंभीर चोटों की जानकारी मिली है. उनके सिर में 5 सेंटीमीटर बाइ 4 सेंटीमीटर का घाव मिला. इसके अलावा दाहिने हाथ में डंडा मारने के निशान, बाईं आंख और कई जगह पर हल्के चोट के निशान मिले.

उसकी मौत की जानकारी परिवार वालों को लगी तो मनीष की पत्नी मीनाक्षी गोरखपुर गई. पुलिसवालों के खिलाफ हत्या की एफआईआर लिखवाई. कार्रवाई के लिए थाने के बाहर धरना दिया. लेकिन पुलिस के बड़े अधिकारियों ने कार्रवाई करने के बजाय मामले में लीपापोती की कोशिश की. वो वीडियो आया जिसमें एसएसपी और डीएम परिवार को केस दर्ज नहीं कराने के लिए मना रहे हैं. डीएम विजय किरण आनंद कह रहे हैं कि वो बड़े भाई के नाते समझा रहे हैं कि सुलह कर ली जाए.

गोरखपुर के एसएसपी ने शुरुआती जांच में इसे बिस्तर से गिरकर हुई मौत का मामला बताया था. जब मनीष गुप्ता की पत्नी कार्रवाई करने पर अड़ी रहीं और इस मामले को लेकर विवाद गहराया, तब कहीं जाकर 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. धारा 302 के तहत यानी हत्या का मामला. एफआईआर में 3 लोग नामजद और 3 अज्ञात. रामगढ़ताल SO जगत नारायण सिंह, सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्र और सब इंस्पेक्टर विजय यादव का नाम लिखा गया है. बाकी तीन आरोपी हैं, सब इंस्पेक्टर राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव और हेड कांस्टेबल प्रशांत कुमार. ये 6 लोग सस्पेंड किए जा चुके हैं. किसी की गिरफ्तारी की जानकारी नहीं आई है. फरार बताए जा रहे हैं.

मनीष गुप्ता की हत्या मामले में भी पुलिस के आला अधिकारी नारायण सिंह और बाकी आरोपियों की तरफदारी करते दिखे. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद भी पुलिस की तरफ से गिरने से चोट लगने वाली थ्योरी दी जा रही है. एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा है कि भगदड़ में गिरने से चोट लगने की जानकारी मिली है.

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