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आखिर क्यों अपनी समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रही कांग्रेस?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

वर्तमान में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस संकट से जूझ रही है। कांग्रेस के भीतर विभिन्न राज्यों में मचे अंतर्कलह की वजह से वह लगातार चर्चाओं में है।सिद्धू के इस्तीफे पर भी उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पंजाब में हाल के घटनाक्रम रहे उससे पार्टी पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है। जो पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लगभग सभी नगर निगम के चुनाव में आज से 6 महीने पहले जीत हासिल की थीस वह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टूटती हुई नजर आ रही है।

जी-23 के नेताओं और कपिल सिब्बल को लेकर भी हमने सवाल किया। कांग्रेस की ओर से सीडब्ल्यूसी की बैठक नहीं बुलाई जाने का कारण कोरोना महामारी दिया जा रहा है लेकिन इस दौरान कई राज्यों में चुनाव हो गए और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उसमें प्रचार भी किया। फिर सीडब्ल्यूसी बैठक बुलाने में क्या दिक्कत है यह गांधी परिवार ही बता पाएगा? कपिल सिब्बल के घर पर हुए हमलों को लेकर भी उन्होंने कहा कि पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं को समझाना होगा।

इस सप्ताह कांग्रेस में जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार शामिल हुए। लेकिन इतना तय है कि भाजपा को कांग्रेस पर आरोप लगाने का एक और बड़ा मौका मिल गया। भले राज्यों के चुनाव में बात विकास की होनी चाहिए। लेकिन भाजपा राष्ट्र विरोध की बात जरूर रखेगी और कांग्रेस पर हमला करेगी कि उसने कन्हैया कुमार जैसे लोगों को पार्टी में शामिल किया है।

सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने रह सकते हैं, पार्टी समन्वय समिति गठित करेगी

नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद पर बने रह सकते हैं और पार्टी एक समन्वय समिति का गठन कर सकती है जिसके साथ पंजाब सरकार द्वारा भविष्य में लिए जाने वाले बड़े फैसलों पर विचार-विमर्श किए जाने की संभावना है। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनके बीच बृहस्पतिवार की शाम को दो घंटे तक चली बैठक के बाद इस नतीजे पर पहुंचा जा सका है। सूत्रों ने बताया कि इस समिति में मुख्यमंत्री, सिद्धू और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का एक प्रतिनिधि शामिल हो सकता है।

सूत्रों ने बताया कि एआईसीसी इस बाबत घोषणा कर सकती है। हालांकि, इस बारे में अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है कि डीजीपी और महाधिवक्ता की नियुक्ति को लेकर उभरे मतभेद से कैसे निपटा जाएगा? गौरतलब है कि ‘दागदार’ अधिकारियों और मंत्रियों की नियुक्ति पर मतभेद को लेकर मंगलवार को सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू ने बुधवार को एक वीडियो जारी कर सार्वजनिक तौर पर अपना गुस्सा जाहिर किया था। सूत्रों ने बताया कि चन्नी और सिद्धू के अलावा बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय पर्यवेक्षक हरीश रावत, मंत्री परगट सिंह और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत नागरा भी मौजूद रहे।

अमरिंदर सिंह की नयी राजनीतिक पारी

उधर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपनी नयी राजनीतिक पारी शुरू करने का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि वह अब कांग्रेस में नहीं रहेंगे और पार्टी से इस्तीफा दे देंगे क्योंकि ऐसे दल में वह नहीं रह सकते जहां उन्हें अपमानित किया जाए और उन पर विश्वास न किया जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे।

इस घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल के परिचय से कांग्रेस का उल्लेख भी हटा दिया। इस बीच, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के अधिकार को बार-बार कम करने के प्रयासों को अब खत्म किया जाना चाहिए। जाखड़ ने यह भी कहा कि राज्य के महाधिवक्ता और राज्य पुलिस प्रमुख के चयन पर लगाए जा रहे “आक्षेप” वास्तव में मुख्यमंत्री की “ईमानदारी पर सवाल” उठा रहे हैं।

जाखड़ ने ट्वीट किया, “बहुत हो गया। मुख्यमंत्री के अधिकारों को बार-बार कमतर करने के प्रयासों को समाप्त करें। एजी और डीजीपी के चयन पर लगाए जा रहे आक्षेप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री की ईमानदारी/ क्षमता पर सवाल उठाना है जिन्हें परिणाम देने के लिए लाया गया है। अब समय दृढ़तापूर्वक अपनी बात कहने और कठिन स्थिति को सुलझाने का है।

भाजपा ने पंजाब में ‘अव्यवस्था, अस्थिरता पैदा करने’ के लिए कांग्रेस पर साधा निशाना

भाजपा महासचिव तरुण चुघ ने  आसन्न विधानसभा चुनावों से पहले पंजाब में कथित तौर पर अव्यवस्था और अस्थितता पैदा करने के लिये कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस में घिनौनी लड़ाई ने न केवल राज्य में शासन को पंगु बना दिया है, बल्कि इसने राष्ट्रीय सुरक्षा को जोखिम में भी डाल दिया है।

चुघ ने एक बयान में कहा, “पंजाब की सीमा पर आईएसआई की योजना बहुत स्पष्ट है और गैर-जिम्मेदार कांग्रेस सरकार ने इसे जटिल बना दिया है।” उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस इस स्थिति को बरकरार रहने देती है तो इससे राज्य में कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग द्वारा पंजाब के नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक पर लगातार हमले ने राज्य पुलिस का मनोबल गिराया है।

 

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