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वाराणसी में सर्वपितृ अमावस्या पर पिशाचमोचन और गंगाघाट पर उमड़े श्रद्धालु, पितरों को विदा कर मांगा आशीर्वाद

वाराणसी में सर्वपितृ अमावस्या पर पिशाचमोचन और गंगाघाट पर उमड़े श्रद्धालु, पितरों को विदा कर मांगा आशीर्वाद

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श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

वाराणसी / पितृ पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या पर काशी में पिशाचमोचन कुंड से लेकर गंगा घाटों तक लोग पिंडदान कर अपने पितरों के मोक्ष का द्वार खोल उन्हें विदा कर रहे हैं। मान्यता है कि 15 दिन से धरती पर आये हुए पितृ अमावस्या के दिन विदा होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार आश्विन महीने की अमावस्या पितृ मोक्ष अमावस्या कहलाती है। इस दिन पितृ पूजा करने से पितर साल भर के लिए संतृप्त हो जाते हैं। आज के दिन स्नान के बाद दान और गाय को भोजन कराने के साथ ही पौधे लगाने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं।

पितृ मोक्ष अमावस्या पर पितृ पक्ष के अन्य दिनों की अपेक्षा गंगा घाटों और पिशाचमोचन कुंड पर श्रद्धालुओं की ज्यादा ही भीड़ उमड़ी हुई है। दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, अस्सी घाट, तुलसी घाट सहित सभी प्रमुख गंगा घाट श्रद्धालुओं से ठसाठस भरे हुए हैं।

 

पिशाचमोचन कुंड पर सर्वाधिक दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की शांति के लिए पिंडदान किया। स्नान, पिंडदान और दान का यह सिलसिला देर शाम तक जारी रहेगा।

मान्यता है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनके परिजनों को पितरों की देहांत तिथि ज्ञात नहीं होती है या भूल चुके होते हैं। कहते हैं कि इस दिन श्राद्ध करने से भोजन पितरों को स्वथा रूप में मिलता है। मान्यता है कि श्राद्ध कर्म करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है।

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