कुछ प्रगति हुई है, पर चीन के साथ बड़ी समस्या बरकरार – विदेश मंत्री जयशंकर

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में चीन के साथ तनाव के मसले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar)  ने शुक्रवार को कहा कि दोनों पक्षों के बीच कुछ प्रगति हुई है, लेकिन इलाके में बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की तैनाती की बड़ी समस्या बनी हुई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जो कुछ भी करना है उसके संदर्भ में संकल्प, दृढ़ता और कार्यसाधकता की कोई कमी नहीं रही है।

बने रहेंगे ऐसे ही हालात 

मीडिया हाउस के एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि हालात ऐसे ही बने रहेंगे, क्योंकि चीन ने अभी बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती बनाए रखी है। उन्होंने कहा कि चीन ने जो कुछ भी किया है वह दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन है, लेकिन भारत ने भी अपने हितों की रक्षा के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी है। भारत ने भी वहां अतिरिक्त सैनिकों तैनाती की है। पिछली सर्दी में हमारे जवान वहां बने रहे और आगे भी बने रहेंगे।

अफगानिस्तान के मसले पर उन्होंने कहा कि वहां हालात परिवर्तनशील हैं। कई ज्वलंत मुद्दे हैं जैसे समावेशी सरकार का गठन और दूसरे देशों के खिलाफ आतंकी हमले के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं होना, जिसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। इसलिए बहुत निश्चित स्टैंड लेना कठिन है। कश्मीर में खास वर्ग के लोगों की हत्याओं को अफगानिस्तान के हालात से जोड़ने को उन्होंने उचित नहीं बताया।

नेपाली कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने जयशंकर से की मुलाकात

नेपाल में सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को जयशंकर से मुलाकात की और कई मुद्दों पर बातचीत की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पूर्व विदेश मंत्री व नेपाल कांग्रेस के उप महासचिव प्रकाश शरन महत कर रहे हैं। भाजपा के विदेश मामलों के विभाग के प्रमुख विजय चौथाईवाला के निमंत्रण पर नेपाली प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को भारत पहुंचा।

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच सैन्य तनातनी को खत्म करने के लिए रविवार को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 13वें दौर की वार्ता होगी। यह वार्ता सुबह 10.30 बजे से मोल्डो में होगी, जो चीन के नियंत्रण में है। इस दौरान हाट स्प्रिंग्स को लेकर गतिरोध दूर करने को लेकर बातचीत होगी। सैन्य सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। बता दें कि एलएसी पर दोनों देशों के बीच पिछले डेढ़ साल से गतिरोध जारी है। इस बीच पिछले दिनों सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने जानकारी दी थी कि दोनों देशों के बीच अगले दौर की सैन्य वार्ता अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में होगी।

विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को कहा था कि उसे उम्मीद है कि चीन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के समाधान की दिशा में काम करेगा और द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकाल का पूरी तरह से पालन करेगा। एक साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह बता कही थी।

इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की और दोनों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा तनाव और सेनाओं के पीछे हटने पर चर्चा की। पिछले साल भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। इसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के कई लोगों की जान चली गई थी।

गलवन घाटी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा किए गए सीमा उल्लंघन के बाद झड़प हुई थी। इस घटना को एक साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। इसे दूर करने के लिए भारत और चीन के बीच 12 दौर की सैन्य वार्ता और कई बार कूटनीतिक वार्ता हुई है, लेकिन स्थिति में कुछ सुधार नहीं हुआ है। चीनी सेना कुछ जगह से पीछे हटी है, लेकिन भारत का कहना है कि पूरी से पीछे हटने से ही टकराव खत्म होगा।

12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई थी। वार्ता के कुछ दिनों बाद गोगरा में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी हुई। इसे क्षेत्र में शांति बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तौर पर देखा गया। 13वें दौर की वार्ता चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की कोशिश की दो हालिया घटनाओं के बीच होगी। पीएलए ने उत्तराखंड के बाराहोटी सेक्टर और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन मुस्तैद भारतीय जवानों ने उन्हें खदेड़ दिया।

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