LAC पर गलवान जैसी हिंसक झड़प का खतरा बरकरार.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश समेत देश की उत्तर-पश्चिम से लेकर पूर्वोत्तर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उपजे सैनिक तनाव को कम करने के लिए भारत-चीन के बीच सैन्य कमांडर स्तर पर अब तक 13 दौर की बातचीत हो गई है. अभी हाल ही में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 13वें दौर की बातचीत की गई. बावजूद इसके दोनों देशों के बीच अब भी तनाव जारी है. वजह यह है कि भारत को पलटी मारने वाले चीन की बातों पर भरोसा नहीं है. विशेषज्ञों की मानें तो पूर्वी लद्दाख समेत देश के अन्य सीमावर्ती इलाकों में गलवान घाटी जैसी हिंसक झड़प होने का खतरा अब भी बरकार है.
विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में पूर्वी लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर टकराव की संभावना और बढ़ सकती है. यह भी संभव है कि बीजिंग बातचीत को नियमित न रखे. उनका कहना है कि सीमा पर चीन की ओर से सेना की अधिक तैनाती के बाद से डिसइंगेजमेंट प्लान को लेकर भारत बहुत भरोसा नहीं कर पा रहा है. उलटे चीन ने बॉर्डर पर तनाव को लेकर भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि भारत की मांगें ‘अनुचित’ हैं.
द प्रिंट की एक रिपोर्ट अनुसार, भविष्य में गलवान जैसे हिंसक संघर्ष फिर से हो सकते हैं. इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि आने वाली सर्दी भारतीय सैनिकों के लिए मुश्किल भरी हो सकती है. मार्च-अप्रैल 2022 में एक बार फिर सीमा पर हिंसक संघर्ष संभव है और चीन अपना नजरिया भी बदलता नजर आ सकता है.
बता दें कि अप्रैल-मई 2020 से पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच तनाव बना हुआ है. दोनों देशों ने इसे सुलझाने के लिए तीन स्तर पर काम कर रहे हैं. विदेश मंत्रियों के साथ बातचीत, डिप्लोमैटिक बातचीत और मिलिट्री स्तर पर बातचीत की जा रही है. इस सबके साथ ही दोनों देशों के टॉप सुरक्षा सलाहकारों के बीच भी बातचीत हुई है, लेकिन 20 महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी मामला सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है.
भारत और चीन के बीच दो महीने के अंतराल के बाद रविवार को 13वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता संपन्न हुई. मोल्दो में भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता लगभग साढे आठ घंटे तक चली और आज शाम लगभग सात बजे खत्म हुई.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में सेना के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत और चीन के बीच आज संपन्न हुई सैन्य वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख सेक्टर में सैन्य गतिरोध पर चर्चा और उसका समाधान करना था. सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में बाकी के टकराव स्थलों से सैनिकों की वापसी की दिशा में आगे बढ़ना है. दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ मोल्डो सीमा बिंदु पर हुई. वार्ता सुबह करीब साढ़े दस बजे शुरू हुई.
इससे पूर्व करीब तीन हफ्ते पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में बाकी के मुद्दों के जल्द समाधान के लिए दोनों पक्षों को काम करना होगा. यह वार्ता इसी पृष्ठभूमि में हुई. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने 16 सितंबर को दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी.
इससे पहले भारत और चीन के बीच 31 जुलाई को 12वें दौर की वार्ता हुई थी. कुछ दिन बाद दोनों देशों की सेनाओं ने गोगरा से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी और इसे क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की बहाली की दिशा में एक बड़ा एवं उल्लेखनीय कदम माना गया था. रविवार को हुई वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं.
वहीं, सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने शनिवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन की ओर से सैन्य जमावड़ा और व्यापक पैमाने पर तैनाती अगर जारी रहती है तो भारतीय सेना भी अपनी तरफ अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी जो पीएलए के समान ही है. बताया जा रहा है कि चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की कोशिश की दो हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की वार्ता हुई. पहला मामला उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में सामने आया था.
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