विजय दशमी आज – हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व को क्यों माना गया है विशेष
श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार):
दशहरा का पर्व असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व को विशेष माना गया है। दशहरा यानि विजय दशमी का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाता है। दशहरा का पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसीलिए इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है।
दशहरा कब है?
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इस वर्ष दशहरा का पर्व 15 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा मकर राशि और श्रवण नक्षत्र रहेगा। दशहरा का पर्व दिवाली से ठीक 20 दिन पहले आता है।
दशहरा पूजा मुहूर्त
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पंचांग के अनुसार इस दिन यानि 15 अक्टूबर 2021 को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।
पंचांग
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दशमी तिथि प्रारम्भ – 14 अक्टूबर, 2021 को शाम 06 बजकर 52 मिनट
दशमी तिथि समाप्त – 15 अक्टूबर, 2021 को शाम 06 बजकर 02 मिनट
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – 14 अक्टूबर, 2021 को प्रातः 09 बजकर 36 मिनट
श्रवण नक्षत्र समाप्त – 15 अक्टूबर, 2021 को प्रातः 09 बजकर 16 मिनट
दशहरा इतिहास और महत्व
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दशहरा महाकाव्य रामायण में लंका के राजा रावण पर भगवान राम की विजय की याद दिलाता है। रावण को भगवान राम ने हराया था, और अपनी पत्नी सीता को रावण की कैद से बचाया गया था। दशहरा शब्द संस्कृत के दो शब्दों से बना है। ‘दशा’, जो रावण के दस सिरों का प्रतिनिधित्व करती है, और ‘हारा’ जिसका अर्थ है ‘हारना’। इस प्रकार, दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
दशहरा कैसे मनाया जाता है
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यह त्योहार भगवान राम की जीत को मार्क करने के लिए, कई लोग रावण, कुंभकर्ण (रावण के भाई) और मेघनाद (रावण के पुत्र) के बड़े-बड़े पुतले बनाते हैं और उन्हें जलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पौराणिक राक्षसों के पुतलों में आग लगाने से आपके भीतर मौजूद बुराई भी खत्म हो जाती है।
विजय दशमी की कथा
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दशहरा यानि विजय दशमी के पर्व लेकर माना जाता है कि इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने अहंकारी लंकापति रावण का वध किया था। रावण के अत्याचार और अंहकार से मुक्ति दिलाने के लिए ही भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया था। भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर पृथ्वी को रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। रावण पर विजय प्राप्त करने की खुशी में ही दशहरा का पर्व मनाया जाता है। वहीं एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था।
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