नगर में प्रत्येक वर्ष याद आते हैं पटना व अमृतसर के ये हादसे.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
दशहरा में रावण के पुतला दहन की परंपरा पुरानी है। पटना के गांधी मैदान में सैकड़ों साल से होता आ रहा यह कायक्रम कोरोनावायरस संक्रमण (CoronaVirus Infection) के कारण दो सालों से बंद है। पिछले साल यह कार्यक्रम नहीं हुआ तो इस साल इसका आयोजन प्रतीकात्मक रूप से अन्यत्र किया जा रहा है। वैसे, जब भी दशहरा में रावण दहन की बात होती है, पटना के गांधी मैदान में साल 2014 में हुआ वो हादसा (Patna Gandhi Maidan Stampede) बरबस याद आ जाता है,
जिसमें कार्यक्रम के बाद शाम में लौटती भीड़ की भगदड़ ने 42 लोगों की जान ले ली थी। दशहरा में रावण दहन के हीं दौरान अमृतसर में भी भीड़ ट्रेन की चपेट में आ गई थी (Amritsar Train Accident)। उस हादसे में पांच दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। यह इत्तफाक हीं है कि उक्त दोनों हादसे शुक्रवार के दिन हुए थे और यह महज संयोग है कि आज भी दशहरा शुक्रवार को हीं है।
भगदड़ में चली गई थी 42 की जान, सौ से अधिक घायल
पटना के गांधी मैदान में साल 2014 का तीन अक्टूबर भुलाए नहीं भूलता। पटना के कुर्जी निवासी अनंत शर्मा कार्यक्रम देखने गांधी मैदान गए थे। वे बताते हैं कि कार्यक्रम ठीक से हो गया। इसके बाद वे मैदान से बाहर आ गए। अचानक भगदड़ की शोर सुनकर लौटे तो नजारा देख होश खो बैठे। गांधी मैदान के केवल दो दरवाजों से निकलती आम लोगों की भीड़ एक-दूसरे पर चढ़ी जा रही थी।
इसी दौरान एक दरवाजे पर भगदड़ मच गई। जो गिरा वह कुचलता चला गया। तब पटना विश्वविद्याल के छात्र रहे अक्षय सिंह कहते हैं कि बाद में जब भीड़ छंटी, सामने मौत का वीभत्स नजारा था, जिसे देखकर रूह कांप गई। आंकड़ों की बात करे तो हादसे के अगले दिन भगदड़ में 42 लोगों की मौत और सौ से अधिक लोगों के घायल होने की बात सामने आई।
भीड़ को निकालने की नहीं थी बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था
विदित हो कि पटना गांधी मैदान के कुल नौ दरवाजों में से चार उस दिन बंद थे। शेष पांच में से तीन दरवाजे वीवीआआइपी के लिए रिजर्व थे। आम लोगों के लिए केवल दो दरवाजे हीं थे। जबकि, कार्यक्रम में भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। भारी भीड़ को बाहर निकालने की मुकम्मल प्रशासनिक व्यवस्था भी नहीं थी।
हादसे के बाद विलंब से आए वरीय प्रशासनिक अधिकारी
खास बात यह भी थी कि हादसे के बाद वरीय प्रशासनिक अधिकारी विलंब से पहुंचे थे। रावण दहन कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) कार्यक्रम के बीच से अपने पैतृक गांव के लिए निकल गए थे। बताया जाता है कि बाद में जब तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मांझी से हादसे की बात की तो उन्होंने जानकारी नहीं रहने की बात कही थी। तब सत्तारूढ़ महागठबंधन के साथ रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने भी घटना के पीछे प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार बताया था।
दशहरा के दिन हीं अमृतसर में हुआ था बड़ा रेल हादसा
इस घटना के चार साल बाद दशहरा के दिन हीं अमृतसर में रावण दहन के दौरान बड़ा रेल हादसा हुआ था। अमृतसर के जोड़ा फाटक इलाके में 19 अक्तूबर 2018 के दिन दशहरे का रावण दहन कार्यक्रम हो रहा था। लोगों की भारी भीड़ रेल ट्रैक पर खड़ा होकर कार्यक्रम देख रही थी। इतने में ट्रेन आ गई। शोर के बीच लोगों ने ट्रेन का हॉर्न नहीं सुना और वह लोगों को कुचलते हुए गुजर गई। इस दर्दनाक हादसे में पांच दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई। जबकि, डेढ़ सौ से अधिक लोग घायल हो गए। कार्यक्रम में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी विधायक पत्नी डा. नवजोत कौर को बुलाया गया था।
पटना के कालिदास रंगालय में शुक्रवार को जय श्रीराम के जयघोष के बीच बुराई के प्रतीक रावण और उसके कुनबे का पुतला धू-धूकर जला। दशानन के साथ मेघनाद और कुंभकरण के जलने पर सत्य की जीत के जयकारे लगाए गए। वहीं कोरोनावायरस के पुतले को जलाकर महामारी से मुक्ति दिलाने की कामना की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी मौजूद रहे। कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए समारोह का आयोजन किया गया।
आम लोगों को नहीं दिया गया प्रवेश
कार्यक्रम के दिन मात्र दशहरा कमेटी और आमंत्रित के सदस्यों को ही कालिदास रंगालय में प्रवेश दिया गया। आम लोगों को आयोजन में प्रवेश नहीं दिया गया। आयोजन का सीधा प्रसारण देखने के लिए लोगों को कमेटी के द्वारा पहले ही लिंक उपलब्ध कर दी गई थी।
15 फीट का रावण और 13 का कुंभकरण
कोरोना के कारण इस साल कार्यक्रम पहले जितना भव्य तो नहीं था मगर उल्लास कम नहीं रहा। इस बार मात्र 15 फीट का रावण कालिदास रंगालय में जलाया गया। वहीं 13 फीट का कुंभकरण एवं 12 फीट का मेघनाथ का पुतला भी लगाया गया था। इसके साथ ही लोगों का आकर्षण का केंद्र था कोरोना का पुतला, जो करीब 11 फीट का था। रावण के साथ ही अदृश्य दुश्मन के नाश के लिए कोरोना का भी पुतला जलाया गया। इस दौरान जमकर आतिशबाजी की गई। लोगों ने एक दूसरे को पर्व की बधाई दी।
पटना में कई स्थानों पर भव्य पंडाल
पटना और आसपास के क्षेत्रों में विजयादशमी का पर्व शुक्रवार को श्रद्धापूर्वक मनाया गया। कोविड महामारी की वजह से इस साल पहले जितने उत्साह के साथ दशहरे का पर्व नहीं मनाया जा सका। लेकिन राजधानी के कई स्थानों पर माता के भव्य पंडाल सजाए गए हैं। देर रात तक अलग-अलग स्थानों पर दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। अब शनिवार को मूर्ति विसर्जन किया जाएगा।
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