हिंदू धर्म में रोजमर्रा के 9 नियम कायदे, जिनके पीछे हैं छिपे हैं ये वैज्ञानिक कारण
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क-
सदियों से, हिंदु धर्म को मानने वाले अपने रोजमर्रा के घरेलू कामों में सुबह से शाम तक अनगिनत अनुष्ठानों, परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करते आए हैं। कुछ का उल्लेख वैदिक शास्त्रों में किया गया है और कुछ को बाद में ब्राह्मण शास्त्रों के युग में जोड़ा गया है। ज़्यादातर लोगों को लगता है कि ये सभी रीति-रिवाज धर्म या ईश्वर से जुड़े हुए हैं मगर सच तो ये है कि इन सभी रीति-रिवाजों और परंपराओं के पीछे ठोस वैज्ञानिक कारण हैं जिन्हे कई सालों की रीसर्च के बाद ढूंढ निकाला गया है।
नमस्ते
हिंदू धर्म में हमेशा से किसी का भी अभिवादन ‘नमस्कार’ के साथ करने की प्रथा रही है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। दोनों हाथों को मिलाने से सभी उंगलियों की टिप्स आपस में एक-दसरे से छूती हैं, इन पर जब दबाव पड़ता है तो ये आंख, कान और दिमाग को सक्रिय करती हैं जिससे हमें सामने वाले व्यक्ति को लंबे समय तक याद रखने में मदद मिलती है।
टीका या तिलक
माथे पर आईब्रोज़ के बीच की जगह मानव शरीर का एक प्रमुख नर्व पॉइंट है। ऐसा माना जाता है कि तिलक या टीका शरीर से एनर्जी लॉस से बचाता है और इसे एकाग्रता बढ़ाने और कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल करता है। इसके अलावा, इसे लगाते वक्त माथे के जिस पॉइंट पर दबाव बनता है उससे चेहरे की मांसपेशियों में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।
मंदिरों की घंटियां
मंदिर की घंटियां पीतल समेत कई धातुओं से बनी होती हैं ज एक बहुत ही रिलैक्सिंग आवाज़ और पॉज़िटिव वाइब्रेशन्स क्रिएट करते हैं। एक बार घंटी बजाने पर इसकी आवाज़ 7 सेकंड तक सुनाई देती है जो दिमाग से नेगेटिव ख्यालों को निकाल कर फोकस करने में मदद करती है और शरीर के 7 हीलिंग सेंटर्स को एक्टिवेट करती है।
हफ्ते के कुछ दिन मांसाहार ना खाना
हिंदू धर्म के अलावा दूसरे किसी भी धर्म में हफ्ते के कुछ दिनों पर मांसाहार ना खाने का कोई रिवाज नहीं है। मगर हिंदू धर्म के इस रिवाज के पीछे वैज्ञनिक कारण है जिसे लोगों ने सही जानकारी की कमी में भगवान से जोड़ दिया है। दरअसल मांसाहार बहुत ही गरिष्ठ होता है जिसे पचाने में बहुत ज़्यादा समय लगता है और बहुत ज़्यादा मात्रा में मांसाहार स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं है इसलिए बीच-बीच में इससे ब्रेक लेना ज़रूरी है।
कान छिदवाना
आज भले ही कानों में पियर्सिंग करवाना एक कूल ट्रेंड बन गया हो जिसे लड़के और लड़कियां सब करवाते हों लेकिन हिंदू धर्म में कनछेदन की प्रथा और रिवाज लंबे समय से रहा है। भारतीय चिकित्सकों और दार्शनिकों का मानना है कि कान छिदवाने से बुद्धि, सोचने की शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
व्रत रखना
क्रैश डाएट्स और इंटरमिटेंट फास्टिंग भले ही पिछले कुछ सालों में मिलेनियल्स और जेन ज़ी के बीच पॉपुलर ट्रेंड बना हो लेकिन हिंदू धर्म में व्रत रखने कि परंपरा सदियों से चली आ रही है। व्रत रखने के पीछे बहुत बड़ा वैज्ञानिक कारण है। कहा जाता है कि नियमित अंतराल पर या हफ्ते में एक बार व्रत रखने से आपके शरीर को डीटॉक्स होने का मौका मिलता है और शरीर की पाचन क्रिया भी ठीक रहती है।
मूर्ति पूजन
हिंदू धर्म उन चुनिंदा धर्मों में से है जो मूर्ति पूजन की वकालत करता है। हालांकि कई लोग इसके पक्ष में नहीं हैं। मगर मूर्ति पूजन के पीछे के विज्ञान का खुलासा हो गया है। मनोचिकित्सकों ने ये माना है कि मूर्ति-पूजन आपकी एकाग्रता को बढ़ाता है। माना ये भी गया है कि इंसान जब कुछ देखता है तो उस पर विश्वास करना और उसके हिसाब से अपने विचार बनाना उसके लिए आसान हो जाता है।
खाने के अंत में कुछ मीठा खाना
दूसरे कई देशों में खाने के बीच-बीच में भी मीठा परोसा जाता है या फिर सारा खाना एक साथ दे दिया जाता है और लोग अपनी मर्ज़ी के अनुसार खा लेते हैं। मगर भारत समेत कई एशियन देशों में खाने की शुरुआत तीखे या नमकीन से होती है और आखिर में मीठा परोसा जाता है। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण ये है कि तीखा खाना डाइजेस्टिव जूसेज़ को एक्टिवेट करता है, वहीं मीठा खाना डाइजेस्टिव प्रोसेस को धीमा कर देता है।
ज़मीन पर बैठ कर खाना
भारत में ज़मीन पर बैठ कर खाना बहुत ही आम है। पहले पश्मिची देश जहां इसे पुरानी सोच और गरीबी की निशानी मानते थे। वहीं अब इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण जानने के बाद वो भी इसे अपना रहे हैं। ज़मीन पर बैठ कर खाते वक्त हम अक्सर सुखासन में होते हैं, जिसमें हम पलथी मार कर बैठते हैं। इस आसन से शरीर रिलैक्स हो जाता है और पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।
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