कई राज्यों में बारिश किसानों के लिए बनी मुसीबत.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

तेज हवा के साथ बारिश ने किसानों के अरमान बहा दिए। राजधानी दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रकृति का रौद्र रूप दिखा। तेज हवाओं से धान ही नहीं कई जगह गन्ना तक खेतों में गिर गया, खेत तालाब बन गए हैं। रबी की फसलों की बोवाई और धान की कटाई भी पिछड़ गई है। रविवार और फिर सोमवार को दोपहर बाद से हुई बारिश ने फसलों व सब्जियों को भारी नुकसान पहुंचाया है। धान की फसल तेज बारिश और हवा से गिर गई, वहीं कटी हुई फसलों में पानी भरने से किसान परेशान हैं।

दिल्ली के नरेला, बवाना, मुंडका व बुराड़ी समेत कई गांवों में धान की फसल बारिश के पानी में तैरती नजर आई। दिल्ली के लाडपुर गांव के किसान सुभाष चंद्र का कहना था कि बीते दिनों ही सरसों की बुआई की थी। बारिश की वजह से गांव की 50 से 60 एकड़ जमीन पर लगाई गई सरसों की फसल नष्ट हो गई है। अब खेतों में दोबारा से जुताई करनी पड़ेगी। किसान को बहुत नुकसान हुआ है। उप्र के रायबरेली के किसान जग्गी प्रसाद ने बताया कि धान की फसल इस समय लगभग तैयार है। उनमें से हाइब्रिड प्रजाति के धान को ज्यादा नुकसान हुआ है, जबकि मंसूरी व अन्य सुगंधित प्रजाति वाले धान पर भी प्रभाव पड़ा है।

जिन खेतों में फसलें गिर गई हैं, उन्हें बचा पाना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि इस समय सरसों, चना, बरसीम आदि की बोवाई हो रही है, जिन खेतों में कुछ दिन पहले ही बोवाई हुई है, उन्हें नुकसान है, जबकि जहां बोवाई होनी है उनका लाभ जरूर है। सरसों, तोरिया, धान सहित लगभग सभी फसलों को बारिश से नुकसान हुआ है, जो फसल खेतों में गिर गई है या पानी में डूबी है वह अब घर नहीं पहुंचेगी।इस समय किसान गन्ना व सरसों की सहफसल की बोवाई करते रहे हैं, उन्हें भी बड़े पैमाने पर क्षति हुई है, जो बोया गया वह मिट्टी में मिल चुका है और जिन्हें बोवाई करनी है, उन्हें कई दिन इंतजार करना पड़ेगा।

आलू व गोभी आदि को बचाना मुश्किल

सब्जियों को भी बारिश ने पानी-पानी कर दिया है। आलू व फूल गोभी को बचाना मुश्किल हो गया है, जबकि लौकी, तरोई, कद्दू आदि की बेले भी हवा में टूट गई हैं। बैगन, मैथी, पालक, मिर्च व मूली आदि को लेकर किसान परेशान हैं। दलहनी फसलों में अरहर, मूंग व उड़द को नुकसान हुआ है।

जहां फसल गिरी, वहां अधिक नुकसान

दुबे चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलाजी में प्रोफेसर कहते हैं कि अक्टूबर में बारिश होना नई बात नहीं है। सरसों की बोवाई जिन लोगों ने एक हफ्ते पहले की है, उस पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन जिन्होंने जल्द ही बोवाई की है उनकी फसल चौपट हो सकती है। तोरिया की बोवाई सितंबर में हुई थी, उसके लिए सिंचाई नहीं करनी होगी। उन्होंने कहा कि धान में उन्हीं किसानों को नुकसान है, जिनकी फसल गिर गई है।

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