प्रत्येक दो मिनट में एक महिला हो रही स्तन कैंसर की शिकार,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अक्टूबर का महीना पर्वों और सामाजिक-पारिवारिक जुड़ाव से ही नहीं, बल्कि हमारे आंगन में तीज-त्योहार की रौनक सहेजने वाली महिलाओं का जीवन छीन रही एक व्याधि के प्रति सचेत करने से भी जुड़ा है। यह महीना दुनियाभर में स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने को समर्पित है। इंपीरियल केमिकल इंडस्ट्रीज और अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के बीच साझा सहयोग से साल 1885 में अक्टूबर के महीने में स्तन कैंसर के इलाज से जुड़े सबसे अहम हथियार मैमोग्राफी को बढ़ावा देने के लिए यह अभियान शुरू किया गया था।

आज वैश्विक स्तर पर कई बड़े संस्थान महिलाओं का जीवन सहेजने की इस मुहिम से जुड़े हैं, जिसके तहत एक अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्तन कैंसर को लेकर समय रहते चेत जाने के संदेश, इसके रोगियों के प्रति सहयोगी भाव और इसके इलाज से जुड़े अध्ययनों को गति देने जैसी गतिविधियां की जाती हैं।

गौरतलब है कि स्तन कैंसर के अधिकतर मामलों में रोग की पहचान में बहुत देरी हो जाने से ही यह जानलेवा हो जाता है। चिंतनीय है कि भारतीय महिलाओं में भी स्तन कैंसर एक महामारी बन रही है। ‘द ग्लोबल बर्डन आफ डिजीज स्टडी’ के अनुसार बीते तीन दशकों में भारत में महिलाओं में सबसे ज्यादा स्तन कैंसर के मामले सामने आए हैं। आंकड़े बताते हैं कि देश में कैंसर के 23 फीसद मामले स्तन कैंसर होते हैं। दुखद पक्ष यह भी कि 70 फीसद मामलों में इलाज या परामर्श लेने में देरी हो जाती है। समय रहते इलाज न हो पाने के चलते भारत ही, नहीं दुनियाभर में हर साल स्तन कैंसर लाखों महिलाओं का जीवन लील जाता है।

वर्ल्ड नेशनल ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर हर दो मिनट में एक महिला स्तन कैंसर की शिकार हो रही है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के हालिया आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में अब तक दुनियाभर में 2.3 करोड़ महिलाएं स्तन कैंसर की शिकार पाई गई हैं। इनमें से करीब 6.85 लाख महिलाओं की जिंदगी इस व्याधि ने छीन ली है।

हमारे यहां स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता का अभाव, इलाज में देरी और बदलती जीवनशैली इसके आंकड़े तेजी से बढ़ा रहे हैं। इसमें देर से शादियां होना, गर्भधारण में देरी, स्तनपान कम करवाना, बढ़ता तनाव, बदलती जीवनशैली के चलते मोटापा और अस्वस्थ आदतों को बढ़ावा जैसी वजहें शामिल हैं। ऐसे में जागरूकता और स्वस्थ जीवनशैली दोनों जरूरी हैं। स्तन कैंसर के पहले या दूसरे चरण में ही पता चल जाने से सही समय पर इसका इलाज किया जा सकता है। नि:संदेह इसका पता लगाना जागरूकता और इससे जूझना स्वस्थ जीवनशैली पर ही निर्भर करता है।

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