हिंदू विवाह कानून और स्त्रीधन :जानिये क्या है स्त्रीधन और कानून के अनुसार स्त्री धन पर किसका होता है अधिकार 

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हिंदू विवाह कानून और स्त्रीधन :जानिये क्या है स्त्रीधन और कानून के अनुसार स्त्री धन पर किसका होता है अधिकार

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

स्त्रीधन महिला की संपत्ति है, जिसमें उसे विवाह से पहले और उसके बाद मिली संपत्ति या उपहार शामिल हैं। इस पर उसका पूरा अधिकार होता है और वह चाहे तो इसे किसी को तोहफे में दे सकती है या फिर अपनी इच्छा से वसीयत लिख सकती है। बुनियादी तौर पर उसे इस संपत्ति का फैसला करते समय पति से सहमति लेने की जरूरत नहीं है।

परिवार जन द्वारा उपयोग

पति इसका उपयोग कर भी सकता है और नहीं भी कर सकता, लेकिन यदि वह उसका उपयोग करता है, तो विवाद होने या अलगाव होने से उपजी परिस्थितियों के कारण उसे इसे लौटाना होगा। स्त्रीधन में चल और अचल, दोनों तरह की संपत्तियां शामिल होती हैं। मसलन सोने-चांदी के गहने इत्यादि, भू-संपत्ति तथा वाहन, कलाकृतियां, उपकरण और फर्नीचर इत्यादि।

शादी के समय या उससे पहले अभिभावकों, सास-ससुर, संबंधियों और दोस्तों से उपहार किसी भी रूप में मिल सकता है। इसमें शादी से पहले और उसके बाद रोजगार या कारोबार से होने वाली महिला की आय तथा उसकी बचत से होने वाली आय शामिल है।

हालांकि लड़की के अभिभावकों द्वारा शादी के समय और उसके बाद दामाद को दी गई अंगूठी या गहने या अन्य तरह के कीमती तोहफे स्त्रीधन में शामिल नहीं होते। इसी तरह से पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई चल या अचल संपत्ति तब तक स्त्रीधन में शामिल नहीं है, जब तक कि उसे वह पत्नी को तोहफे में न दे दे।

इसमें वाहन और मकान शामिल हैं। ऐसे मामलों में जब पत्नी कामकाजी हो, तो घर पर खर्च की गई उसकी आय को वापस लेने के लिए वह दावा नहीं कर सकती। सभी को चाहिए कि वह बेटी को स्त्रीधन के रूप में मिली संपत्ति की सूची बनाएं और उस पर दो गवाहों के हस्ताक्षर लें, ताकि संपत्ति पर विवाद की स्थिति में अपनी बेटी का दावा मजबूत कर सकें।

कानूनी संशय

स्त्रीधन के तहत आपके द्वारा बनाई गई सूची पर अपने स्वामित्व या अधिकारों को साबित करना और विवाद के कानूनी मामले में बदलने की स्थिति में यह साबित करना कि सभी सूचीबद्ध सामान आपका है, बहुत मुश्किल होता है। लिहाजा विवाह के समय महिलाओं को मिलने वाले उपहारों और आय की सूची तैयार करनी चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर स्वामित्व का दावा किया जा सके। ध्यान रहे स्त्रीधन तलाक की स्थिति में दिया जाना वाला गुजारा भत्ता नहीं है। और न ही यह दहेज है, जो कि अपने आपमें गैरकानूनी है।

महिलाओं के लिए सबक

वैवाहिक जीवन में होने वाले वित्तीय फैसलों में सहभागी बनें और इसे पूरी तरह से जीवनसाथी पर न छोड़ें। यदि आपके पति उदार हैं, तो आप यह सुनिश्चित करें कि वह आपसे वित्तीय मसलों पर नियमित विमर्श करें। आजकल अनेक कामकाजी महिलाएं पश्चिमी समाज की तरह विवाह पूर्व समझौता पत्र तैयार करती हैं, जिसमें विवाह से पहले की पति और पत्नी की संपत्तियों की सूची होती है और यह भी कि विवाह के बाद उन्हें कैसे बरता जाएगा।

 

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