किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है, पर सड़क नहीं रोकी जा सकती-सुप्रीम कोर्ट.

किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है, पर सड़क नहीं रोकी जा सकती-सुप्रीम कोर्ट.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को किसान आंदोलन के चलते सड़क बंद के मामले पर सुनवाई की। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन सड़क नहीं रोकनी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने किसान यूनियनों को जवाब दाखिल करने को कहा है।

कोर्ट ने सुनवाई करते हुए किसानों से कहा कि विरोध प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन इस तरह सड़क नहीं रोकी जा सकती। कोर्ट ने किसान यूनियनों को जवाब दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई तक का समय दिया है। अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीडिया से कहा कि रास्ता किसान प्रदर्शनकारियों ने नहीं रोका है, बल्कि पुलिस ने इन बैरिकेड के जरिये लोगों की आवाजाही रोकी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पहले जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान किसान आंदोलन को लेकर नाराजगी जता चुका है, जिसके चलते दिल्ली बार्डर के कई रास्ते बंद हैं। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली बार्डर पर प्रदर्शन को लेकर किसान संगठनों से पूछा था कि जब मामला अदालत में है, तब किसान प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं।

बता दें कि यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान समेत तमाम राज्यों के किसान केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। 27 नवंबर से दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसानों का कहना है कि जब तक तीनों केंद्रीय कृषि कानून पूरी तरह से वापस नहीं लिए जाते हैं तब तक वह प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे।

किसानों के प्रदर्शन को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. किसानों द्वारा हाईवे जाम पर कोर्ट ने कहा कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता. अब मामले की सुनवाई 7 दिसंबर को होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन सड़कों को अनिश्चित काल के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने सड़क पर विरोध कर रहे किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान उक्त बातें कही.

तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंततः कोई समाधान निकालना होगा. कानूनी रूप से चुनौती लंबित है फिर भी हम विरोध करने के अधिकार के खिलाफ नहीं हैं लेकिन सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने दिल्ली की सीमाओं से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए किसान संगठनों को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.

न्यायमूर्ति एस एस कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने सुनवाई की

न्यायमूर्ति एस एस कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि कानूनी रूप से चुनौती लंबित है फिर भी कोर्ट विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन अंततः कोई समाधान निकालना होगा. पीठ ने कहा कि आप जिस तरीके से चाहें विरोध कर सकते हैं लेकिन सड़कों को इस तरह अवरुद्ध नहीं कर सकते. लोगों को सड़कों पर जाने का अधिकार है लेकिन वे इसे अवरुद्ध नहीं कर सकते.

किसने दाखिल की थी याचिका

सुप्रीम कोर्ट नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया है कि किसान आंदोलन के कारण सड़क अवरुद्ध होने से आवाजाही में मुश्किल हो रही है.

गाजीपुर बॉर्डर पर हंगामा

टीवी रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद गुरुवार को गाजीपुर बॉर्डर पर हंगामा होता नजर आ रहा है. वहां राकेश टिकैत ने पुलिस बैरिकेड हटाकर आगे जाने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस ने उनको रोक दिया.

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