आठ वर्ष पूर्व पटना की हुंकार रैली में क्या हुआ था?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आज से ठीक आठ साल पहले 27 अक्टूबर 2013 के दिन बहुत बड़ी घटना हो सकती थी। उस दिन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री व वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सहित भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं की सूझबूझ से हजारों की जान बची थी। हम बात कर रहे हैं तब माेदी की हुंकार रैली (Hunkar Rally) के दौरान पटना के गांधी मैदान (Patna Gandhi Maidan) में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों (Patna Serial Blasts) की।
इन धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई थी तथा 80 से अधिक लोग घायल हुए थे। सोचिए, अगर इस दौरान नरेंद्र मोदी को सुनने पहुंची लाखों की भीड़ में भगदड़ (Stampede) मच जाती, तब क्या होता? लेकिन मोदी की अपील काम कर गई और लोगों ने धैर्य नहीं खाेया। कोई भगदड़ नहीं मची।
मामले में नौ आतंकी दोषी करार, एक रिहा
आज इस मामले में एनआइए कोर्ट (NIA Court) ने नौ आतंकियों को दोषी करार दिया। कोर्ट ने आतंकी हैदर अली, नुमान अंसारी, मजीबुल्लाह, उमर सिद्दिकी, फिरोज असलम एवं इम्तियाज आलम सहित नौ को दोषी करार दिया, जिनकी सजा के बिंदु पर सुनवाई एक नवंबर को होगी। जबकि, कोर्ट ने इस मामले के 10 आरोपितों में से एक फकरुद्दीन को रिहा कर दिया।
रैली में फटते रहे बम, जारी रहा नेताओं का संबोधन
पटना के गांधी मैदान में साल 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Shabha Election 2014) के लिए एनडीए की हुंकार रैली थी। इसे संबोधित करने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से एनडीए के प्रधानमंत्री चेहरा (PM Face) बनाए गए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पटना आए थे। उन्हें सुनने के लिए गांधी मैदान और आसपास के इलाकों में लोगों की भारी भीड़ थी।
उनका संबोधन सुनने के लिए लोग ट्रेनों व बसों भी आ रहे थे। इस कारण कुछ किलामीटर दूर स्थित पटना जंक्शन (Patna Junction) से गांधी मैदान (Gandhi Maidan) तक सड़कों पर भी भारी भीड़ थी। हर तरफ लोग ही लोग थे। इसी बीच पटना जंक्शन पर पहला बम फटा। कुछ ही देर बाद गांधी मैदान के इलाके में भी सिलसिलेवार बम फटने लगे। विस्फोट के बीच मंच से नेताओं का संबोधन जारी रहा।
पटाखा समझ लोग लगा रहे थे मोदी जिंदाबाद के नारे
गांधी मैदान के आसपास हुए आधा दर्जन बम धमाकों के बावजूद रैली में आई भीड़ डटी रही। बम धमाकों की आवाज को पटाखा समझकर लोग उत्साह में मोदी जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। हालांकि, मंच पर मौजूद नेताओं और पुलिस बल को इसकी जानकारी हो चुकी थी कि धमाकों की आवाज बम की है। मगर लाखों की भीड़ के बीच अगर यह बात बता दी जाती तो भगदड़ मच सकती थी। खतरा इसलिए भी ज्यादा था कि मैदान के बाहर भी भारी भीड़ थी और धमाके भी गेट के आसपास ही हुए थे।
भगदड़ बचाने को नहीं बताई बम धमाकों की बात
ऐसे में बीजेपी नेताओं ने भगदड़ रोकने को मंच से ही कमान संभाली। वे लगातार यह कहते रहे कि उत्साह में पटाखे न छोड़ें। मैदान के बाहर धीरे-धीरे निकलते रहें। इस बीच एंबुलेंस के सायरन की आवाज अनहोनी की आशंका जताती रही, मगर धमाकों से अनजान लोग शांत बने रहे। अंत में खुद नरेंद्र मोदी ने लोगों से आराम से मैदान से बाहर जाने और सुरक्षित घर पहुंचने का आग्रह किया। बाद में जब वे मैदान से बाहर निकले और टीवी चैनलों पर खबर चली तो आभास हुआ कि उनके आसपास पटाखे नहीं बम फट रहे थे।
पटना जं. पर विस्फोट के बाद पकड़ा गया आंतकी
पहला बम 27 अक्टूबर की सुबह करीब 9.30 बजे पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 10 पर फटा। इस विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हो गई। मौके पर मौजूद एक कुली धर्मा ने एक भागते आतंकी इम्तियाज को दबोच लिया था। कमर में शक्तिशाली बम बांधे पकड़े गए उस आत्मघाती आतंकी से पूछताछ चल ही रही थी कि गांधी मैदान में बम विस्फोट शुरू हो गए।
रैली को रोकने के लिए तैयार नहीं हुए थे मोदी
शुरुआती विस्फोट के दौरान बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन गांधी मैदान के मंच से संबोधित कर रहे थे। नरेन्द्र मोदी के मंच पर आने के बाद भी विस्फोट हुआ। खास बात यह रही कि तब नरेंद्र मोदी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गुजरात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हुंकार रैली को रद करने के लिए कहा था, लेकिन मोदी इसके लिए तैयार नहीं हुए। हुंकार रैली के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने इसकी जानकारी दी थी। रैली में विस्फोट के दौरान मोदी के साथ तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, रवि शंकर प्रसाद एवं सुशील मोदी भी मौजूद थे।
लोगों ने मानी मोदी की बात, नहीं मची भगदड़
बम विस्फोटों के बीच नरेंद्र मोदी पटना एयरपोर्ट से सीधे गांधी मैदान गए और रैली को संबोधित किया। मोदी ने अपने संबोधन में बम विस्फोटों का जिक्र तक नहीं किया। अंत में उन्होंने लोगों से आराम से मैदान से बाहर निकलने एवं सुरक्षित घर पहुंचने का आग्रह किया। उनके आग्रह को लोगों ने माना और भगदड़ नहीं मची। बाद में मोदी घायलों से मिलने पटना मेडिकल कालेज एवं अस्पताल भी गए।
सोचिए, मोदी हकीकत बता देते तो क्या होता?
साेचिए, अगर नरेंद्र मोदी अपने संबोधन में हकीकत बयां कर देते तो क्या होता? ऐसी स्थिति में भगदड़ मचनी तय थी। लेकिन नरेंद्र मोदी की सूझबूझ ने भगदड़ के साथ-साथ हजारों लोगों की जान भी बचा ली थी। इस मामले में एनआइए ने एक को मृत दिखाते हुए 12 आतंकियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। एक आरोपित नाबालिग को पहले ही सजा दे दी गई है। शेष 10 आतंकियों में नौ को बुधवार को कोर्ट ने दोषी करार दिया। जबकि, एक को रिहा कर दिया। अब दोषियों की सजा के बिंदु पर फैसला एक नवंबर को होगा।
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