काशी में 2 से 5 नवंबर तक बंटेगा ‘मां अन्नपूर्णा’ का खजाना
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
मां अन्नपूर्णा के बारे में ऐसी धार्मिक मान्यता है कि काशी का पेट भरने के लिए विश्वेश्वर महादेव ने मां अन्नपूर्णा से ही भिक्षा मांगी थी. शायद इसीलिए पूरी दुनिया में काशी ही ऐसी नगरी है जहां अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन मिलते हैं. लेकिन साल में सिर्फ चार दिन. वो पावन पल इस बार 2 से 5 नवंबर तक रहेगा. इन चार दिनों में बाबा विश्वनाथ से सटे मां अन्नपूर्णा मंदिर की पहली मंजिल पर मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमय दर्शन होंगे. मां अन्नपूर्णा के साथ यहां महादेव भी विराजते हैं जो अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगते हुए यहां नजर आते हैं. इन दर्शनों के लिए देशभर से लाखों श्रदालु काशी पहुंचते हैं.
इस बार कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन कराते हुए दर्शन दिए जाएंगे. दर्शन का समय सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक रहेगा. बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए अलग से व्यवस्था रहेगी. वीआईपी समय शाम 5 से 7 बजे यानी दो घंटे का रहेगा. अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत शंकरपुरी ने बताया कि धनतेरस यानी दो नवंबर से दर्शन शुरू होगा और अन्नकूट यानी 5 नवंबर तक चलेगा. पहली मंजिल पर परंपराओं के मुताबिक मां के दर्शन होंगे और गेट पर ही माता का खजाना और लावा बांटा भक्तों में बांटा जाएगा.
खजाने और लावे का महत्व
इन चार दिनों तक चलने वाले दर्शन में खजाने और लावे का विशेष महत्व है. जिसे पाने के लिए लाखों लोग घंटों कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. स्वर्णमयी अन्नपूर्णेश्वरी के दर्शन के बाद ये खजाना मिलता है. खजाने में सिक्के मिलते हैं और लावे के रूप में लाई या खील के दाने होते हैं. सिक्कों में रुपए के वो सिक्के होते हैं जो आमतौर पर अब चलन में नहीं है या फिर एक या दो रुपए के सिक्के. काशी विद्त परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण दिवेदी बताते हैं कि इस खजाने और लावे का पुराणों में बहुत महत्व है. मान्यता है कि कोई भी इंसान अगर इन सिक्कों को अपनी तिजोरी या गुल्लक में रखता है तो उसे कभी भी धन की कमी नहीं होती. वहीं लावा किचन में वहां रखा जाता है, जहां अनाज हो. इससे कभी अन्न की कमी नहीं होती.
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