Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
कुशल नेतृत्व के परिचायक थे सरदार पटेल. - श्रीनारद मीडिया

कुशल नेतृत्व के परिचायक थे सरदार पटेल.

कुशल नेतृत्व के परिचायक थे सरदार पटेल.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

नवीन भारत के निर्माता सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के पहले गृह मंत्री थे, अपने शांत स्वभाव तथा सुदृढ़ व्यक्तित्व के लिए प्रसिद्ध लौह पुरुष का जन्मदिन है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल ही वह महान व्यक्तित्व हैं जिन्होंने देश के छोटे-छोटे रजवाड़ों और राजघरानों को भारत में सम्मिलित किया। विशाल भारत की कल्पना बिना वल्लभ भाई पटेल के शायद पूरी नहीं हो पाती। उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति, नेतृत्व कौशल के परिणामस्वरूप ही 500 देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय हो सका। सरदार वल्लभ भाई पटेल को नवीन भारत का निर्माता तथा राष्ट्रीय एकता का शिल्पी माना जाता है। उनके द्वारा किए गए साहसिक कार्यों के कारण ही उन्हें लौह पुरुष और सरदार जैसे विशेषणों से विभूषित किया गया है। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को क्रियात्मक तथा वैचारिक रूप में नई दिशा देने में उनका विशेष योगदान रहा है।

वल्लभ भाई पटेल का व्यक्तिगत जीवन

वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में उनके ननिहाल में हुआ था। वह खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई पटेल की चौथी संतान थे। उनकी माता का नाम लाडबा पटेल था। बचपन से ही वह बहुत मेधावी थे। उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी की और ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। जिससे उन्हें वकालत करने की अनुमति मिली। 1917 में मोहनदास करमचन्द गांधी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने ब्रिटिश राज की नीतियों के विरोध में अहिंसक और नागरिक अवज्ञा आंदोलन के जरिए खेड़ा, बरसाड़ और बारदोली के किसानों को एकत्रित किया।

अपने इस काम की वजह से देखते ही देखते वह गुजरात के प्रभावशाली नेताओं की श्रेणी में शामिल हो गए। गुजरात के बारदोली ताल्लुका के लोगों ने उन्हें ‘सरदार’ नाम दिया और इस तरह वह सरदार वल्लभ भाई पटेल कहलाने लगे। सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था।

बचपन से सरदार पटेल अन्याय के खिलाफ थे

सरदार पटेल बचपन से अन्याय नहीं सहन कर पाते थे। नडियाद में उनके स्कूल में अध्यापक पुस्तकों का व्यापार करते थे तथा छात्रों को बाहर से पुस्तक खरीदने से रोकते थे। सरदार पटेल ने इसका विरोध किया तथा साथी छात्रों को आंदोलन के प्रेरित किया। इस तरह छात्रों के विरोध के कारण अध्यापकों को अपना व्यापार बंद करना पड़ा।

500 रियासतों को मिलाने का किया था कार्य 

सरदार पटेल ने आजादी के ठीक पहले पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देशी रियासतों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। उनके अथक प्रयासों के फलस्वरूप तीन राज्यों को छोड़ सभी भारत संघ में सम्मिलित हो गए।  15 अगस्त 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें ‘भारत संघ’ में सम्मिलित हो चुकी थी। ऐसे में जब जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध विद्रोह हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहां सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया।

जब महिलाओं ने सरदार की उपाधि

बारडोली में सरदार पटेल की सूझबूझ से सत्याग्रह आंदोलन की सफलता पर महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि से विभूषित किया। आजादी से पूर्व भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बिखरी हुई रियासतों के एककीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण उऩ्हें ‘भारत का बिस्मार्क’ तथा ‘लौह पुरुष’ भी कहा जाता है।

गृहमंत्री के रूप में विशेष भूमिका निभायी

देश के पहले गृहमंत्री के रूप में उनका भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान है। गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों को भारत में मिलाना था। इस काम के लिए उन्होंने बिना खून बहाए कर दिया इसलिए भी उन्हें ‘लौह पुरुष’ कहा जाता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!