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जिस खेल से माहौल खराब हो, तनाव बढ़े, ऐसे मैचों की कोई जरूरत नहीं है,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

जिस खेल से माहौल खराब हो, तनाव बढ़े, ऐसे मैचों की कोई जरूरत नहीं है,क्यों?

जिस खेल से माहौल खराब हो, तनाव बढ़े, ऐसे मैचों की कोई जरूरत नहीं है,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कुछ समय पहले तक मैं इस बात के पक्ष में था कि क्रिकेट को विवादों से दूर रखना चाहिए और भारत व पाकिस्तान के बीच मैच होते रहना चाहिए. अगर दोनों देशों में मैच संभव न हो, तो किसी तीसरे देश में खेल होने चाहिए, लेकिन पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच टी-20 विश्व कप मैच के बाद जैसा माहौल बना, उसके बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि जिस खेल से माहौल और खराब हो तथा तनाव बढ़े, तो ऐसे क्रिकेट मैचों की कोई जरूरत नहीं है.

हालांकि एक बड़ी सकारात्मक बात यह रही कि कप्तान विराट कोहली पाकिस्तान के कप्तान बाबर आजम व ओपनर-विकेटकीपर रिजवान से मैच के बाद बहुत आत्मीयता से मिले. दोनों टीमों के अन्य खिलाड़ियों का व्यवहार भी संयत और प्रशंसनीय था, लेकिन पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ियों और वहां के राजनेताओं ने माहौल को तार-तार कर दिया. बाकी कसर हम भारतीयों ने सोशल मीडिया पर पूरी कर दी. किसी भी मैच में एक टीम की हार और एक की जीत तय होती है.

यह सही है कि इस मैच में पाकिस्तान ने भारत को 10 विकेट से हरा दिया था, पर भारत पहले पाकिस्तान को विश्व कप मुकाबलों में पांच बार हरा चुका है. विश्व कप मुकाबले में यह पाकिस्तान की पहली जीत है. सबसे चिंताजनक बात यह थी कि खेल और धर्म का जम कर घालमेल किया गया. सोशल मीडिया पर भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी पर ही अपने ही लोग टीका-टिप्पणी करने लगे और सवाल उठाने लगे, जो किसी भी दृष्टि से उपयुक्त नहीं था.

सबसे आपत्तिजनक टिप्पणी पाकिस्तान के पूर्व कप्तान व तेज गेंदबाज वकार यूनुस की ओर से आयी. उनका ध्यान हार-जीत या कौन अच्छा या खराब खेला, इस पर नहीं था. उन्होंने विकेटकीपर मोहम्मद रिजवान के ड्रिंक्स ब्रेक के दौरान नमाज पढ़ने को मैच का खास पल बताया और कहा रिजवान की जो सबसे अच्छी बात लगी, वह यह थी कि उसने ग्राउंड में खड़े रह कर नमाज पढ़ी और वह भी हिंदुओं के बीच में. यूनुस के इस बयान पर सवाल उठे और अनेक पाकिस्तानी पत्रकारों ने ही उनकी आलोचना की.

बाद में वकार को माफी भी मांगनी पड़ी. इस प्रकरण पर सबसे तीखी टिप्पणी जाने-माने कमेंटेटर हर्षा भोगले की ओर से आयी. उन्होंने लगातार तीन ट्वीट कर वकार यूनुस के बयान को खेल भावना के विपरीत बताया. उन्होंने उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान में बहुत सारे खेल प्रेमी भी इस कथन के खतरनाक पक्ष को देख सकेंगे और उन्हीं की तरह निराश होंगे. हम जैसे खेल प्रेमियों के लिए लोगों को यह बताना बहुत मुश्किल हो जाता है कि यह सिर्फ खेल है, सिर्फ एक क्रिकेट मैच है. उन्होंने यह उम्मीद भी की कि खिलाड़ी खेल के एंबेसडर के तौर पर ज्यादा जिम्मेदार होंगे और वकार इसके लिए माफी मांगेंगे.

पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने तो सारी हदें पार कर दीं. उन्होंने भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जीत को इस्लाम की जीत बताया. उन्होंने कहा कि यही पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का फाइनल था और वे इसके लिए पूरी इस्लामी दुनिया को मुबारकबाद देते हैं. रशीद ने यहां तक कह दिया कि दुनिया के मुसलमानों समेत हिंदुस्तान के मुसलमानों के जज्बात पाकिस्तान के साथ हैं. इसमें सबसे आपत्तिजनक बात यह थी कि शेख रशीद ने अपने संदेश में खुद को भारतीय मुसलमानों का प्रवक्ता भी घोषित कर दिया.

रशीद के अलावा पाकिस्तान के एक और मंत्री असद उमर ने भी भारत की हार के बाद आपत्तिजनक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि पहले हम उनको हराते हैं और जब जमीन पर गिर जाते हैं, तो चाय देते हैं. असद उमर ने भारत के विंग कमांडर अभिनंदन को लेकर यह टिप्पणी की थी. दूसरी ओर, इस मैच को लेकर भारत के पूर्व खिलाड़ी हरभजन सिंह और पाकिस्तान के मोहम्मद आमिर ट्विटर पर भिड़े हुए थे. आमिर ने हरभजन को एक मैच याद दिलाया, जिसमें शाहिद अफरीदी ने उनकी गेंदों की जम कर धुनाई की थी. इसके जवाब में हरभजन ने इंग्लैंड के लॉर्ड्स में आमिर द्वारा फिक्सिंग के तौर पर की गयी नो बॉल की याद दिलायी.

भारत के पूर्व क्रिकेटर सबा करीम ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में बहुत सही जवाब दिया. भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट में प्रतिद्वंद्विता खेल के स्तर पर है, न कि धार्मिक स्तर पर. इस तरह के बयान से उनके पागलपन का ही पता चलता है. भारत के मुसलमानों के वे प्रवक्ता न बनें. भारत के मुसलमान टीम इंडिया का अहम हिस्सा रहे हैं और उनकी खुशी और नाराजगी अपनी टीम की जीत-हार से ही तय होती है. सबा करीम ने कहा कि पाकिस्तान से ऐसी बातें आती हैं, तो भारत के अतिवादियों को भी ऊर्जा मिलती है और उसकी प्रतिक्रिया में यहां भी वैसी बातें होती हैं.

सबा करीम ने दो टूक और एकदम सही बात कही है. अगर आप गौर करें, तो पायेंगे कि पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप मैचों में भारत को तीन जीत मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में मिली हैं, लेकिन अजहरुद्दीन ने क्रिकेट और मजहब का कभी घालमेल नहीं किया और न कभी कोई ओछी टीका-टिप्पणी की.

लेकिन हम भारतीयों को भी अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है. मोहम्मद शमी के मामले को हम सबको गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. शुरुआत में भारतीय हार को लेकर विराट कोहली से इस्तीफा मांगा जा रहा था और निशाने पर हार्दिक पांड्या थे. बाद में अचानक मोहम्मद शमी पर धर्म के आधार पर सवाल उठाये जाने लगे. शमी के मुसलमान होने के नाते उन्हें कई तरह की घटिया बातों में लपेटा गया और उन पर पाकिस्तान का समर्थक होने के आरोप लगाये जाने लगे.

शमी के खिलाफ कई तरह की शर्मनाक बातें कही गयीं, लेकिन जल्द ही भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा और पूर्व खिलाड़ी शमी के पक्ष में आ खड़े हुए और उनके समर्थन में ट्वीट नजर आने लगे. सचिन तेंदुलकर से लेकर वीरेंद्र सहवाग, इरफान पठान और चहल जैसे खिलाड़ियों ने शमी का समर्थन किया. भारत के कप्तान विराट कोहली ने मोहम्मद शमी को धर्म के आधार ट्रोल करनेवालों को आड़े हाथों लिया.

उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर किसी को निशाना बनाना निंदनीय है. उन्होंने कहा कि यह इंसानियत का सबसे निचला स्तर है. किसी को धर्म के आधार पर निशाना बनाने से ज्यादा निराशाजनक कुछ नहीं हो सकता है. उन्होंने कभी धर्म के आधार पर पक्षपात के बारे में नहीं सोचा. धर्म बहुत पवित्र चीज है. हमारे भाईचारे और हमारी दोस्ती को डिगाया नहीं जा सकता है.

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