अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस को पछाड़कर भारतीय लड़कियां दुनिया में लीडर.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारतीय लड़कियों की काबिलियत का डंका पूरी दुनिया में बोल रहा है। बीते कुछ समय से भारतीय लड़कियां दुनिया भर में हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान गढ़ रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस देशों के मुकाबले भारत में साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स (स्टेम) में लड़कियां शानदार प्रदर्शन कर रही है।
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार स्टेम में बीते तीन साल में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की तादाद में बढ़ोतरी हुई है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बीते तीन सालों में पुरुषों की संख्या 12.9 लाख से कम होकर 11.9 लाख हो गई है जबकि उसी अवधि में महिलाओं की संख्या 10 लाख से बढ़कर 10.6 लाख हो गई।
विश्व बैंक के डाटा के अनुसार भी स्टेम में भारतीय महिलाओं की संख्या 43 फीसद है जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस की लड़कियों की तादाद क्रमश: 34 फीसद, 38 फीसद, 27 फीसद और 32 फीसद रही है।
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की एडिशनल डीन और बायोइंजीनियरिंग और बायोसाइंस की प्रोफेसर डा. नीता राज शर्मा कहती है कि भारत सरकार की कई योजनाएं जैसे किरन (नॉलेज इंवाल्वमेंट रिसर्च एडवांसमेंट थ्रू नरचरिंग) और वुमेन साइंटिस्ट स्कीम लड़कियों को स्टेम के क्षेत्र में बेहतर करने में सहायक साबित हो रही है। वहीं ऑनलाइन कोर्सेज स्टेम एजुकेशन को बढ़ावा देने में काफी कारगर साबित हो रहे हैं। महिलाओं की स्टेम एजुकेशन में लगातार हो रही बढ़ोतरी देश की प्रगति में सहायक है।
सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत उच्चतर शिक्षा के लिए स्टेम में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए नॉलेज इंवाल्वमेंट रिसर्च एडवांसमेंट थ्रू नरचरिंग जैसी योजनाएं शामिल है। कामकाजी महिला वैज्ञानिकों के स्थांतरण की समस्या का समाधान करने के लिए मोबिलिटी कार्यक्रम शुरु किया गया है।
इसके अतिरिक्त भारतीय महिला वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और प्रौद्योगिकीविदों को संयुक्त राज अमेरिका में प्रमुख संस्थानों में 3-6 माह की अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग अनुसंधान का अवसर प्रदान करने के लिए स्टेम में महिलाओं को इंडो-यूएस फेलोशिप शुरू की गई थी। स्टेम में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष रुप से उन क्षेत्रों में जहां महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है, 9 से 12 कक्षाओं की मेधावी छात्राओं के लिए विज्ञान ज्योति शुरु किया गया है।
समाजसेवी और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय कुमार कहते हैं कि यह केवल विज्ञान के कुछ विषयों या देश के कुछ हिस्सों तक ही सीमित नहीं है। पुरुषों की तुलना में उच्च शिक्षा के हर क्षेत्र में लगातार महिलाओं के दाखिला लेने और कामयाबी के झंडे गाड़ने के मामले बढ़ रहे हैं।
यहां भी हो रहा कमाल
2019-20 में उच्च शिक्षा में कुल 3.85 करोड़ छात्रों ने दाखिला लिया। 2018-19 के मुकाबले इस संख्या में 11.36 लाख (3.04 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई। 2014-15 में यह संख्या 3.42 करोड़ थी।
2015-16 से 2019-20 के बीच उच्च शिक्षा हासिल करने वाली लड़कियों की संख्या (सकल नामांकन दर) 18.2 प्रतिशत बढ़ी है। यह सामान्य नामांकन दर में आई 11.4 प्रतिशत की वृद्धि से ज्यादा है। इस उछाल की वजह से देश में उच्च शिक्षा में लड़कियों की नामांकन दर अब 27.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जबकि लड़कों की नामांकन दर 26.9 प्रतिशत पर ही है।
कॉमर्स एक नया क्षेत्र बन कर उभरा है जिसमें लड़कियों का नामांकन बढ़ रहा है। 2019-20 में पूरे देश में कुल मिला कर 41.6 लाख छात्रों ने बी.कॉम के कोर्स में दाखिला लिया। इनमें 21.3 लाख लड़के थे तो 20.3 लाख लड़कियां। पांच साल पहले तक बी.कॉम में हर 100 लड़कों पर 90 लडकियां हुआ करती थीं, लेकिन अब यह अनुपात बराबर हो गया है।
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