वैवाहिक जीवन को हेल्दी बनाए रखने के लिए  यह टेस्ट करवाना है जरुरी

वैवाहिक जीवन को हेल्दी बनाए रखने के लिए  यह टेस्ट करवाना है जरुरी

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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जिस तरह स्वस्थ रहने के लिए हम समय-समय पर ज़रूरी हेल्थ चेकअप्स कराते हैं, ठीक उसी तरह अपनी सेक्सुअल लाइफ को भी हेल्दी बनाए रखने के लिए हमें कुछ हेल्थ टेस्ट्स कराने चाहिए। हेल्दी सेक्स लाइफ के लिए आपका सेक्सुअली हेल्दी रहना बहुत ज़रूरी है। आप मैरिड हो या अनमैरिड, सेक्सुअली एक्टिव हो या नहीं, किसी रिलेशनशिप में हो या नहीं, फिर भी सेक्सुअली हेल्थ चेकअप्स करवाना आपके लिए ज़रूरी हैं।

कब करवाना चाहिए चेकअप?
अगर आप सेक्सुअली एक्टिव हैं, तो आपको रेगुलर नियमित तौर पर सेक्सुअल हेल्थ चेकअप्स कराते रहना चाहिए। अपनी लाइफस्टाइल और सेक्सुअल एक्टिविटी के आधार पर तय करें कि आपको कितने अंतराल पर टेस्ट कराने चाहिए। अगर निम्नलिखित से कोई भी स्थिति हो, तो सेक्सुअल हेल्थ टेस्ट अवश्य कराएं-

* यदि सेक्स के दौरान कंडोम फट या फिसल गया हो।
* अगर आपने अनसेफ सेक्स किया हो और अच्छा महसूस न कर रहे हों।
* यदि आपके एक से अधिक पार्टनर से संबंध हैं अथवा आपके पार्टनर के एक से अधिक पार्टनर के साथ रिलेशन है।
* यदि आपको आशंका है कि बिना स्टरलाइज़ किया हुआ इंजेक्शन आपको लगाया गया है।
* अगर आपको आशंका है कि आपको सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (एसटीआई) हो सकता है।
* अगर आपको कोई सेक्सुअल प्रॉब्लम है, गुप्तांगों में दर्द है या फिर आपको लगता है कि शायद आप सेक्सुअली फिट नहीं हैं, तो टेस्ट जरूर कराएं।

सेक्सुअल हेल्थ टेस्ट महिला और पुरुष दोनों के लिए होते हैं। ये टेस्ट्स 2 प्रकार के होते हैं-

1. लैंगिग क्षमता परखने वाले टेस्ट
ब्लडशुगर टेस्ट : ब्लड शुगर होने पर कामोत्तेजना में कमी आने लगती है, जिसके कारण सेक्स के प्रति रुचि कम होने लगती है। ब्लड शुगर पुरुषों और महिलाओं दोनों में सेक्सुअल डिस्फंक्शन का कारण बनता है। अगर आपको लगता है कि आपकी कामोत्तेजना में कमी आ गई है, तो अपना ब्लड शुगर ज़रूर चेक करें।

टेस्टोस्टेरॉन लेवल टेस्ट : महिलाओं और पुरुषों के लिए सीरम टेस्टोस्टेरॉन लेवल टेस्ट के ज़रिए ब्लड में मौजूद टेस्टोस्टेरॉन लेवल के बारे में पता लगाया जाता है। टेस्टोस्टेरॉन सेक्स हार्मोन है, जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में होता है।

सीरम प्रोलैक्टिन टेस्ट : यह एक तरह का ब्लड टेस्ट है, जिससे ब्लड में प्रोलैक्टिन के लेवल की जांच की जाती है। महिलाओं और पुरुषों दोनों के रिप्रोडक्टिव हेल्थ में यह अहम् भूमिका निभाता है। इसलिए बेवजह के सिरदर्द और सेक्स ड्राइव में अनिच्छा होने पर डॉक्टर आपको इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट : कोलेस्ट्रॉल लेवल महिलाओं और पुरुषों में सेक्सुअल फंक्शन्स को प्रभावित करता है। कोलेस्ट्रॉल आपके हार्ट और सेक्सुअल लाइफ के लिए काफी नुक़सानदायक है। ऐसे में अपनी सेक्सुअल लाइफ को हेल्दी बनाए रखने के लिए नियमित समय पर लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराना ज़रूरी हो जाता है।

एसएचबीजी टेस्ट : सेक्स हार्मोन बाइंडिंग ग्लोबुलिन के ज़रिए जहां पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन की कमी की जांच की जाती है, वहीं महिलाओं में इसकी अधिकता के बारे में पता लगाया जाता है। इसकी कमी और अधिकता दोनों ही सेक्सुअल लाइफ के लिए हेल्दी नहीं है।

एफएसएच टेस्ट : फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट महिलाओं और पुरुषों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है। महिलाओं में अनियमित पीरियड्स और इंफर्टिलिटी प्रॉब्लम्स और पुरुषों में लो स्पर्म काउंट और टेस्टिकुलर डिस्फंक्शन के लिए यह टेस्ट कराया जाता है।

एलएचटेस्ट : ल्युटिनाइंज़िंग हार्मोन टेस्ट ब्लड या यूरिन के द्वारा किया जाता है। महिलाओं और पुरुषों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम की जांच और ओवरी से निकलनेवाले एग्स का विश्‍लेषण किया जाता है। अगर कोई महिला कंसीव नहीं कर पाती है, तो पति-पत्नी दोनों को यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।

टी3, टी4, टीएसएच टेस्ट : थायरॉइड की जांच के लिए ये टेस्ट्स कराए जाते हैं। बहुत सारी महिलाओं को थायरॉइड होता है, पर उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती, जिसके कारण वो कंसीव नहीं कर पातीं। थायरॉइड रिप्रोडक्टिव सिस्टम को बाधित करता है, जिससे महिलाएं कंसीव नहीं कर पातीं। ऐसे में थायरॉइड लेवल की जानकारी किसी के लिए भी बहुत ज़रूरी हो जाती है।

2. यौन संक्रमण या सेक्सुअल डिजीज की जांच के लिए टेस्ट

* एसटीआई स्क्रीनिंग: यह एक ब्लड टेस्ट है, जिसके ज़रिए सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन्स की जांच होती है। निम्नलिखित लक्षण नज़र आने पर एसटीआई स्क्रीनिंग ज़रूर कराएं। अगर आपके गुप्तांग से डिस्चार्ज हो रहा हो, पेशाब करते समय दर्द हो, गुप्तांग में फुंसी या छाले हों, खुजली हो, सेक्स के दौरान दर्द हो, तो ये टेस्ट ज़रूर कराएं।

* वीडीआरएल : सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन का पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।

एचआईवी1 और एचआईवी2 : जैसा कि सभी को पता है कि एड्स के लक्षण दिखाई नहीं देते और सालों बाद जब वे हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर देते हैं, तब इनके बारे में पता चलता है। ऐसे में इनके प्रति सतर्कता ही आपको इनसे बचा सकती है। एचआईवी टेस्ट्स कराना आपके लिए ही फ़ायदेमंद होगा।

* हर्पिस : यह एक कॉमन सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ है। आमतौर पर इसके लक्षण दिखाई ही नहीं देते, जिससे व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि उसे हर्पिस है। संक्रामक होने के कारण इसकी जल्द से जल्द जांच ज़रूरी हो जाती है। अगर आपके गुप्तांगों में घाव हो, तो डॉक्टर को इस बारे में बताएं, वो एचएसवी1 और एचएसवी2 टेस्ट की सलाह देंगे।

#पुरुषों के लिए टेस्ट

* टेस्टिकल्स चेकअप : समय-समय पर पुरुषों को अपने टेस्टिकल्स की जांच कराते रहना चाहिए। इससे किसी भी तरह की असामान्य गांठ या सूजन होने पर आपको तुरंत पता चल जाएगा। यह टेस्टिकल कैंसर का कारण भी हो सकता है। अगर आपको कुछ भी असामान्य लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

प्रोस्टेट स्क्रीनिंग टेस्ट : प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए प्रोस्टेट स्क्रीनिंग बहुत ज़रूरी है। उम्र बढ़ने के साथ ही प्रोस्टेट कैंसर की संभावना भी बढ़ने लगती है, ऐसे में यह टेस्ट ज़रूरी हो जाता है। फैमिली हिस्ट्रीवाले पुरुषों को ख़ास ध्यान रखना चाहिए। अगर आपको यूरिन पास करने में तकलीफ़ हो, यूरिन या सिमेन में ब्लड आए, तो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।

* पेनाइल डॉपलर स्टडी : यौनांग में ब्लड सर्कुलेशन के बारे में जानने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से पुरुषों में सबसे कॉमन समस्या इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के बारे में पता चलता है।

#महिलाओं के लिए टेस्ट

* यौनांगों की जांच : अगर आपको लगता है कि आपकी सेक्सुअल लाइफ में समस्या आ रही है, तो किसी अच्छे गायनाकोलॉजिस्ट से मिलकर फिज़िकल एक्ज़ामिनेशन करवाना सही रहता है।

एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन टेस्ट : ये दोनों हार्मोंस महिलाओं के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं। महिलाओं की कार्यक्षमता को बेहतर बनाए रखने के साथ-साथ उनकी सेक्सुअल लाइफ को हेल्दी बनाने में ये अहम् भूमिका निभाते हैं।

सर्वाइकल स्मीयर टेस्ट : स्मीयर टेस्ट को पैप टेस्ट भी कहते हैं। सर्विक्स यानी गर्भाशय ग्रीवा कितना हेल्दी है, जानने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। 25-60 साल की सभी महिलाओं को हर 3-5 साल में यह टेस्ट कराना चाहिए।

* यूटरस और ओवरीज़ की सोनोग्राफी : सोेनोग्राफी के ज़रिए यूटरस और ओवरीज में होनेवाली किसी भी तरह की समस्या की जांच की जा सकती है।

* ब्रेस्ट की जांच : ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए नियमित रूप से ब्रेस्ट्स का सेल्फ एक्ज़ामिनेशन करना बहुत ज़रूरी है। ब्रेस्ट में सूजन या गांठ का महसूस होना, ब्रेस्ट के आकार और रंगत में बदलाव, निप्पल्स का अंदर की तरफ़ घुसा हुआ होना, ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। हर महीने पीरियड्स के बाद सेल्फ ब्रेस्ट एक्ज़ामिनेशन ज़रूर करें।`

#सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
* किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए सेक्सुअल हाइजीन का ध्यान रखें।

* सेक्सुअल हेल्थ के लिए लो फैट व हाई फाइबर डायट लें।

* डायबिटीज़ और ब्लडप्रेशर को कंट्रोल में रखने के लिए खाने में शक्कर और नमक की मात्रा कम रखें।

* सेक्सुअल फिटनेस के लिए कंप्लीट बॉडी फिटनेस बहुत ज़रूरी है, इसलिए हफ़्ते में 5 दिन 40 मिनट तक ब्रिस्क वॉक (तेज़ चलना) करें।

* 40 की उम्र के बाद सभी पुरुषों को सालाना प्रोस्टेट स्क्रीनिंग नियमित रूप से करानी चाहिए।

* महिलाओं को किसी भी तरह का डिस्चार्ज होने पर तुरंत गायनाकोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए।

* 40 की उम्र के बाद सभी महिलाओं को सालाना मैमोग्राफी करानी चाहिए।

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