ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना सबसे अहम.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना सबसे अहम है। धीरे-धीरे सभी देश नेट जीरो की प्रतिबद्धता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। इस बीच एक बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक सेक्टर ऐसा भी है, जिसमें उत्सर्जन कटौती पर फिलहाल कोई जोर नहीं दिया जा रहा है। यह है अंतरराष्ट्रीय र्शिंपग सेक्टर। वैश्विक स्तर पर 90 प्रतिशत कारोबार समुद्र के रास्ते होता है और लगभग सभी जहाज जीवाश्म ईंधन से चलते हैं। ऐसे में इस सेक्टर में उत्सर्जन कम किए बिना ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से कम पर रोकने का लक्ष्य पाना मुश्किल है।
जरूरी कदम
- हाइड्रोजन और अमोनिया जैसे नए स्वच्छ ईंधन तेजी से अपनाने होंगे
- जब और जहां संभव हो पाल और पतवार जैसी व्यवस्था का प्रयोग करना होगा
- बंदरगाहों पर ठहराव के दौरान जहाजों की ऊर्जा जरूरत को इलेक्ट्रिक ग्रिड से पूरा करना होगा
बड़ा उत्सर्जक है सेक्टर: वैश्विक स्तर पर कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में शिपिंग सेक्टर की हिस्सेदारी करीब तीन प्रतिशत है। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि जर्मनी के कुल उत्सर्जन के बराबर का उत्सर्जन अकेले शिपिंग सेक्टर से होता है। चिंता की बात यह है कि पिछले 10 साल में इस सेक्टर के उत्सर्जन में कोई कमी नहीं आई है। इंटरनेशनल मैरीटाइम आर्गनाइजेशन ने 2050 तक इस सेक्टर का उत्सर्जन आधा करने का लक्ष्य रखा है। इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा था कि इस लक्ष्य से वैश्विक तापमान में वृद्धि रोकना संभव नहीं होगा।
सधता दिख रहा है लक्ष्य: काप-26 में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को लेकर जैसा खाका खिंच रहा है, उससे औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को औद्योगिक काल से पहले की तुलना में दो डिग्री सेल्सियस से कम पर रोकने का लक्ष्य सधने की उम्मीद बढ़ गई है।
तय करने होंगे नए लक्ष्य: यूनिवर्सिटी आफ मैनचेस्टर के शोधकर्ताओं ने इस संबंध में नया अध्ययन किया है। इसमें वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से कम पर रोकने के लिए शिपिंग सेक्टर से जुड़ा नया लक्ष्य दिया गया है।
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