15 नवम्बर ? भगवान बिरसा मुंडा जयंती पर विशेष
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
मुंडा जनजाति से ताल्लुक रखने वाले बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ था। 19वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश शासन के दौरान उन्होंने 19वीं शताबदी में आदिवासी बेल्ट में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया। उनकी जयंती देश में बिरसा मुंडा जयंती के रूप में मनाई जाती है। इसी दिन झारखंड स्थापना दिवस भी है। झारखंड साल 2000 में बिहार से अलग हुआ था।
कौन हैं बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। जो जनजातीय समूह मुंडा से संबंध रखते थे और झारखण्ड निवासी थे। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था की शोषक व्यवस्था के खिलाफ महत्वपूर्ण योगदान दिया था। 1 अक्टूबर 1894 को वह एक प्रखर नेता के रूप में उभरे और उन्होंने सभी मुंडाओं को इकट्ठा कर अंग्रेजो से लगान माफी के लिये आन्दोलन किया। इस आंदोलन ने अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया। इसके बाद उन्हें 1895 में गिरफ़्तार कर हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। उन्होंने अपने जीवन काल में ही महापुरुष की उपाधि प्राप्त कर ली थी। उन्हें लोग धरती बाबा कहकर पुकारते थे। आखिरकार 9 जून 1900 को रांची के जेल में अंग्रेजों द्वारा जहर देने के बाद बिरसा मुंडा ने अपनी आखिरी सांस ली थी। जनजातीय गौरव दिवस और इसका महत्व आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की याद में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा। इसके अलावा, जनजातीय गौरव दिवस को मनाने से देश आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और गौरवशाली इतिहास को सदियों तक याद रखेगा।
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