17 नवम्बर ? लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि पर विशेष
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
देश में आज़ादी का आन्दोलन चल रहा था. लाला जी को अंग्रेज़ ख़तरनाक व्यक्ति समझते थे, इसलिए हज़ारों मील दूर मांडले जेल में उन्हें कैद रखा. कांग्रेस दो धड़ों में बंट चुकी थी. नरम दल दूसरा गरम दल.
गरम दल के तीन प्रसिद्ध नेता लाल, बाल, पाल थे. लाल यानी लाला लाजपत राय, बाल यानी महाराष्ट्र के बाल गंगाधर तिलक और पाल यानी बंगाल के विपिन चन्द्र पाल के लिए जाने जाते थे.
लालाजी शेर की तरह गरजते थे, उनका भाषण सुन कर नौजवान देश पर मर मिटने के लिए चल पड़ते थे.
आपने आर्य समाज के लिए सुधार वादी आन्दोलन में कन्यायों की शिक्षा, अनाथों की सेवा जैसे अनेक सामाजिक कार्य किये. कुछ समय तक आपने हिसार में वक़ालत भी की.
साईमन कमीशन का विरोध करने के लिए लाला लाजपत राय के नेतृत्व में हज़ारों लोगों का जुलूस लाहौर के रेलवे स्टेशन पर उपस्थित थे.
जैसे ही रेलगाड़ी रेलवे स्टेशन पर पहुंची, लाला लाजपतराय शेर की तरह गरजे, साइमन वापिस जाओ, साइमन कमीशन मुर्दाबाद. अंग्रेज़ सरकार मुर्दाबाद के नारों से सारा वातावरण गूंज उठा, तभी पुलिस अधिकारी साण्डर्स अपनी अत्याचारी पुलिस के साथ लाला लाजपत राय पर लाठियां बरसाने लगा.
लाला जी बेहोश हो गए, बेहोशी की हालत में लालाजी के सिरपर साण्डर्स ने लाठी दे मारी. बाद में यही लाठी लाला जी की मौत का कारण बनी.
सैंकड़ों लोग घायल हो गए. अनेकों को बन्दी बना लिया गया. शहर में हड़ताल हो गई. अगले दिन लाहौर में एक बड़ी जनसभा हुई. घायल लालाजी को चारपाई पर डाल कर मंच पर लाया गया। उनके अंतिम शब्द थे –
‘मेरे शरीर पर पड़ी पुलिस की एक-एक लाठी अंग्रेजी साम्राज्य के कफ़न में कील बनेगी।’
20 दिन बाद लालाजी की मृत्यु हो गई। उनकी शोक सभा में भगतसिंह जैसे अनेक क्रांतिकारियों ने लालाजी की मृत्यु का बदला लेने की शपथ ली. कुछ दिन बाद ही क्रांतिकारियों ने साण्डर्स की हत्या करके, लाला जी के बलिदान का बदला ले लिया.
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