कवि पुष्यमित्र ने प्रियंका गांधी कोआड़े हाथ लिया, कहा- आपकी घटिया राजनीति के लिए नहीं है मेरी कविता
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
ढेर सारे रचनाकारों की रचनाएं सभाओं और आंदोलनों में जुमले और नारे की तरह इस्तेमाल की जाती रहीं. यह अलग बात है कि रचनाकारों ने किसी और संदर्भ में अपनी रचनाएं रचीं. ताजा मामला प्रियंका गांधी का है, जब चित्रकूट में उन्होंने भाषण के दौरान कवि पुष्यमित्र उपाध्याय की कविता ‘उठो द्रौपदी शस्त्र संभालो’ के एक अंश का पाठ किया. इस पाठ पर रचनाकार ने आपत्ति जताई. उन्होंने प्रियंका गांधी को टैग करते हुए अपनी कविता का इस्तेमाल गलत संदर्भ में किए जाने का आरोप लगाया.
बता दें कि कवि पुष्यमित्र उपाध्याय ने अपने ट्वीट में प्रियंका गांधी को टैग करते हुए लिखा, ‘जी ये कविता मैंने देश की स्त्रियों के लिए लिखी थी, न कि आपकी घटिया राजनीति के लिए। न तो मैं आपकी विचारधारा का समर्थन करता हूं और न आपको यह अनुमति देता हूं कि आप मेरी साहित्यिक संपत्ति का राजनैतिक उपयोग करें। कविता भी चोरी कर लेने वालों से देश क्या उम्मीद रखेगा?’
याद रहे कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बुधवार को चित्रकूट में मंदाकिनी नदी किनारे रामघाट पर महिलाओं से संवाद किया था. इस दौरान उन्होंने ‘उठो द्रौपदी शस्त्र संभालो’ काव्य की कुछ पंक्तियां पढ़ीं, इसी पर कवि पुष्यमित्र ने प्रियंका पर कविता चोरी करने का आरोप लगाया है. प्रियंका गांधी के समारोह को लेकर समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट किया था ‘#WATCH उत्तर प्रदेश: कांग्रेस नेता प्रियंका ने चित्रकूट में ‘शक्ति संवाद’ किया।
उन्होंने कहा, ”द्रौपदी अब शस्त्र उठा लो अब गोविंद ना आएंगे। कब तक आश लगाओगी तुम बिके हुए अख़बारों से। आपकी लड़ाई लड़ने के लिए कोई नहीं आएगा। कैसी रक्षा मांग रही हो दुश्शासन दरबारों से।” ‘
पुष्यमित्र के ट्विटर हैंडल का स्क्रीनशॉट.
पुष्यमित्र उपाध्याय ने अपनी कविता के राजनीतिक इस्तेमाल पर आपत्ति तो जताई और कविता चोरी का भी आरोप लगाया. लेकिन अक्सर बजट भाषण से लेकर चुनावी भाषण तक में नेता दूसरों की कविताओं का इस्तेमाल खूब धड़ल्ले से करते हैं और कविता की क्रेडिट तक देना मुनासिब नहीं समझते. हिंदी शायर दुष्यंत कुमार ने ताउम्र राजनीति के खिलाफ गजलें लिखीं. अब उन्हीं की गजलों से शेर उठाकर पढ़ने वाले नेताओं की कमी नहीं है. आपने भी कई बार यह शेर अलग-अलग नेताओं के मुंह से सुना होगा – कैसे आकाश में सूराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. पर इस बार देखना है कि पुष्यमित्र उपाध्याय की इस आपत्ति पर प्रियंका गांधी क्या जवाब देती हैं.
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