विज्ञात जी को मिला मैथिलीशरण गुप्त सम्मान.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


समालखा के संजय कौशिक ‘विज्ञात’ जी द्वारा लिखी गई पाँच पुस्तकों के लिए मिला मैथिलीशरण गुप्त सम्मान। देश तथा विदेश के अनेक मंचो से सम्मानित हो चुके विज्ञात जी की पुस्तकें विज्ञात के दोहे, विज्ञात की कुण्डलियाँ, विज्ञात के गीत, व्यंजना नवगीत ओढ़े और छंद वर्ण के आँगन गूँजे इन दिनों समीक्षकों आलोचकों, समालोचकों, नवांकुर कवियों तथा साहित्यकारों में काफी चर्चा का विषय रही हैं।

साहित्य सभा कैथल द्वारा आयोजित प्रांतीय कार्यक्रम बहुभाषी कविसम्मेलन, पुस्तक लोकार्पण एवं सम्मान समारोह में समालखा पानीपत के जाने माने साहित्यकार संजय कौशिक विज्ञात जी को हरियाणा साहित्य अकादमी एवं उर्दू अकादमी के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा के कर कमलों से मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री पी. आर. बाम्बा (कैथल) ने अपनी माताश्री इकबाल कौर की स्मृति में यह सम्मान सौजन्य स्वरूप सम्मानित करवाया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के संरक्षक डॉ. संजय गोयल, प्रधान प्रोफेसर अमृतलाल मदान, उप प्रधान कमलेश शर्मा, महासचिव डॉ. प्रद्युम्न भल्ला, सह सचिव डॉ. अशोक अत्री, कोषाध्यक्ष रविन्द्र ‘रवि’, प्रेस सचिव डॉ. तेजिन्द्र,संयोजक रिसाल जांगड़ा, महिला प्रतिनिधि मधु गोयल ‘मधुल’, कार्यकारिणी सदस्य ईश्वर चंद गर्ग एवं डॉ हरीश झंडई के साझा प्रयास से अनेक साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि श्री माधव कौशिक (उपाध्यक्ष — केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली),अध्यक्ष डॉ. चंद्र त्रिखा (निदेशक — हरियाणा साहित्य अकादमी एवं उर्दू अकादमी पंचकुला),विशिष्ट अतिथि श्री कैलाश भगत (चेयरमैन हैफेड हरियाणा सरकार) श्री साकेत मंगल, (एडवोकेट, चेयरमैन आर. के. एस. डी. शिक्षा संस्थान कैथल) की उपस्थिति ने कार्यक्रम को चार चाँद लगा दिए।

एक मुक्तक के माध्यम से संजय कौशिक ‘विज्ञात’ जी ने सभी का आभार व्यक्त किया। साहित्य की साधना कर रहे साधकों के लिए इस प्रकार के आयोजन नई ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करते हैं। इसी कर्यक्रम में बड़ी बहन डॉ. अनीता भारद्वाज ‘अर्णव’ को मीरा कृति सम्मान प्राप्त हुआ है।

विज्ञात जी ने यह सम्मान उन्होंने अपने पिता रमेश चन्द्र कौशिक ‘गुरुजी’ और माता सुशीला तथा दादी माँ सहित छोटी बहन हेमा उनके बच्चे नेहा सारांश तथा लक्ष्य सुमित ध्रुव सहित पूरे परिवार को समर्पित किया। कलम की सुगंध परिवार के लिए यह अत्यंत आनंद का क्षण रहा।

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