जानू शीर्षासन : चिन्तामुक्ति और पेट को टोन करें जानिये इस योग के लाभ और विधि
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
यह आसन दो आसनों का संयोग है । संस्कृत में घुटने को जानू कहते है और सिर को झुकाने क़ी और घुटने से लगाये क्रिया जानू शीर्षासन कहलाती है । ये क्रिया बैठकर क़ी जाती है । जानु शीर्षासन अष्टांग योगासन का ही एक हिस्सा है। इस योगासन में सिर को घुटने से टच कराते हैं इसलिए हैड टू नी पोज भी कहते हैं। चिंता से राहत दिलाने के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है। जिसे सुबह या शाम किसी भी समय किया जा सकता है। इसे करते समय आपको काफी मात्रा में ऊर्जा की जरुरत होती है। जानु शीर्षासन शरीर को कई समस्याओं से राहत दिलाने में फायदेमंद होता है।
जानु-शीर्षासन के लाभ
बढ़े पेट को कम य़ा पेट को टोन करने के लिए भी जानु-शीर्षासन मददगार होता है।
डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है।
कमर, हैमस्ट्रिंग, कोर मसल्स के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
सिरदर्द, चिंता और थकावट के लिए भी जानु-शीर्षासन करना चाहिए।
पाचनअंगों की मसाज जिससे पाचन में सुधार हो सके उसके लिए यह बहुत फायदेमंद होता है।
जानु शीर्षासन करने की विधि
एक साफ शांत समतल स्थान पर आप स्वच्छ आसन बिछाकर उसपर आप पांव सामने कि ओर फैलाकर बैठ जाए
उसके बाद अपने दाएं पैर को मोड़ते हुए बायी जंघा के नीचे पैर के पंजे को सटाये
इस दौरान आपके पैरों की अंगुलियां और आपकी कमर सीधी रहनी चाहिए।
अब बाएं हाथ को ऊपर की तरफ लेकर जाएं उसके बाद सांस लेते और छोड़ते हुए, कमर को मोड़ते हुए हाथ को आगे की तरफ लेकर जाएं और बाएं पैर के अंगुठे को पकड़ें।
अब दाएं हाथ को ऊपर की तरफ लेकर जाएं। उसके बाद अपनी फ्लेक्सिबिलिटी के अनुसार हाथ को बाएं तरफ लेकर जाएं।
इसके बाद जब आपको सहज महसूस होने लगे तो हाथ को और नीचे की तरफ ले जाते हुए बाएं पैर का अंगूठा पकड़ने की कोशिश करें।
दोनों हाथो से पैर का अंगूठा पकड़ते हुए ऊपर की तरफ देखें।
इस दौरान श्वास पर नियंत्रण रखे
इस मुद्रा में 5-10 सेकेंड तक रहें।
इस प्रकार एक चक्र पूरा करें
इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ दूसरी तरफ से भी करें।
जानु-शीर्षासन करते समय रखी जाने वाली सावधानियां
यह आसन सदैव भूखे पेट करना चाहिए
तीव्र ज्वर उच्च रक्तचाप य़ा उदर संबंधित गंभीर रोग होने पर ये आसन ना करें
अगर आपको अस्थमा या डायरिया की समस्या हो तो इसे करने से बचना चाहिए।
घुटनों य़ा पैरो में चोट लगी हुई है य़ा ताजा सर्जरी हो तो इस आसन से बचे।
आसन के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए साथ ही सपोर्ट के लिए कंबल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अगर कमर में कोई समस्या है तो इसे करने से बचना चाहिए।
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