पुलिसकर्मियों से पैसे उगाही करने के आरोप में 2007 बैच के आईपीएस अधिकारी मो. शफीउल हक को तत्काल प्रभाव से निलंबित
श्रीनारद मीडिया‚ राकेश सिंह‚ स्टेट डेस्कः
पटनाः आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की जांच रिपोर्ट के आधार पर गृह विभाग ने पुलिसकर्मियों से पैसे उगाही करने के आरोप में 2007 बैच के आईपीएस अधिकारी मो. शफीउल हक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. बुधवार को गृह विभाग की ओर से यह कार्रवाई की गई है. हालांकि बात यहीं खत्म नहीं होती है. इस पूरी खबर को पढ़ने के बाद आपको विश्वास नहीं होगा कि एक आईपीएस अधिकारी ने रुपयों की वसूली के लिए ना सिर्फ प्राइवेट एजेंट रखा था बल्कि सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar ) के खास और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) तक का नाम ले लेता था.
ईओयू की रिपोर्ट में क्या है?
ईओयू की जांच रिपोर्ट के अनुसार, डीआईजी शफीउल हक सहायक अवर निरीक्षक मो. उमरान और एक निजी व्यक्ति के माध्यम से मुंगेर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अधिसंख्य कनीय पुलिस पदाधिकारियों एवं कर्मियों से अवैध राशि की उगाही कराता था. ईओयू ने जांच में इसे सही पाया. यह बात सामने आई कि मो. उमरान के गलत काम की जानकारी होते हुए भी बतौर डीआईजी शफीउल हक ने कोई कार्रवाई नहीं की. इससे पूरे मामले में उनकी सहभागिता साबित होती है.
ललन सिंह का कैसे आया नाम?
सूत्रों के अनुसार, डीआईजी शफीउल हक ने बिहार पुलिस के ही एक अधिकारी हरिशंकर कुमार को फोन किया था. डीआईजी ने हरिशंकर से कहा कि तुम्हारे खिलाफ ऊपर से शिकायत आई है. उस केस का रिव्यू किया है और तुमने उसमें गलती की है. अब तुमको मैनेज करने के लिए 15 लाख रुपया देना होगा. यह बात सुनकर हरिशंकर ने कहा कि सर 15 लाख रुपया कहां से देंगे. डेढ़-दो लाख तक दे सकते हैं. इस दौरान हरिशंकर ने दूसरे फोन में वॉट्सएप कॉल को रिकॉर्ड कर लिया. डीआईजी ने कहा कि ऊपर से आदेश है कि तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई की जाए. हरिशंकर ने पूछा कि किसने दबाव बनाया, इसपर डीआईजी ने मुंगेर सांसद का नाम ले लिया और कह दिया कि ललन सिंह ने कहा है.
ललन सिंह का नाम आने के बाद हरिशंकर ने मुंगेर सांसद से बात की और पूरी बात बताई और रिकॉर्डिंग को ललन सिंह को दे दिया. इसके बाद ललन सिंह ने ऑडियो को नीतीश कुमार को दे दिया. सीएम ने फिर डीजी से कहा कि इसकी जांच की जाए. बाद में ईओयू ने केस की जांच की. इसमें बहुत लोगों को गवाही हुई. हरिशंकर कुमार की भी गवाही हुई. इसमें एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो की भी गवाही है. मानवजीत सिंह ने बताया कि बहुत सारे थानेदार और दारोगा ने इस बात की शिकायत की है कि डीआईजी पैसा मांगते हैं. अब तमाम गवाही और ईओयू की रिपोर्ट के करीब छह महीने बाद डीआईजी को सस्पेंड किया गया है.
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