मनुष्यत्व की रक्षा का दायित्व साहित्य पर है-प्रो.संजीव कुमार शर्मा.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
संस्कृत विभाग, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय बिहार और मानव संसाधन विकास केंद्र, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में ‘हिंदी एवं संस्कृत साहित्य-काव्यशास्त्र’ विषयक राष्ट्रीय पुनश्चर्या कार्यशाला का उद्घाटन आभासीय मंच से किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो.कपिल देव मिश्र(माननीय कुलपति,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्यप्रदेश) ने की।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रो.संजीव कुमार शर्मा (माननीय कुलपति, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने अपने उद्बोधन में कहा कि, वैश्विक महामारी कोविड-19 ने प्रश्नों को जन्म दिया है। चुनौतियों को जन्म दिया है। आज साहित्य के ‘मर्म’ को सहेजना अतिआवश्यक है। मूलरूप से ‘मनुष्यत्व’ की रक्षा का दायित्व साहित्य पर है। साहित्य अपने विविध रूपों में अपनी बहुवचनीयता के साथ जीवित रहे,यही कामना करता हूँ।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो.कपिल देव मिश्र(माननीय कुलपति, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्यप्रदेश) ने कहा कि, मानव को मानवता का पाठ पढ़ाने का दायित्व साहित्य पर है। समाज में साहित्य और साहित्यकार का दायित्व सबसे ज्यादा है। जीवन के विविध रूपों को समेटे साहित्य का लक्ष्य एक ही है। यह लक्ष्य ‘मनुष्यता’ की रक्षा है।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रो.प्रसून दत्त सिंह(कार्यशाला समन्वयक सह अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने कहा कि, यह राष्ट्रीय पुनश्चर्या पाठ्यक्रम हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य, काव्यशास्त्र केंद्रित है। इसकी परिकल्पना में हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य की समृद्ध परंपरा को मूर्त रूप देना है। इस द्वि-साप्ताहिक कार्यशाला से हम सभी समृद्ध होंगे, इसकी मैं आशा करता हूँ।
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