क्या रेलवे का मुद्रीकरण अन्य क्षेत्रों के लिये भी अनुकरण योग्य पाठ का कार्य करेगा?

क्या रेलवे का मुद्रीकरण अन्य क्षेत्रों के लिये भी अनुकरण योग्य पाठ का कार्य करेगा?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

1.3 बिलियन के देश में भारतीय रेलवे दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है। किंतु, हाल के वर्षों में रेलवे को घटते वित्त की समस्या का सामना करना पड़ा है और वह विभिन्न माध्यमों से राजस्व सृजन के तरीकों पर विचार करने को बाध्य हुई है।

चूँकि माल ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने हेतु रेलवे अवसंरचना में वृद्धि पर अधिकाधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, वित्तपोषण, क्षमता और पुनर्विकास संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिये उल्लेखनीय निवेश की आवश्यकता है।

इस परिप्रेक्ष्य में रेलवे की आस्तियों का मुद्रीकरण महत्त्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह निजी खिलाड़ियों की ओर धन के अधिकाधिक प्रवाह का मार्ग प्रशस्त करेगा।

भारत में रेलवे

  • भारतीय रेलवे का महत्त्व: भारतीय रेलवे 1,21,407 किमी. लंबे नेटवर्क और 67,368 किमी. से अधिक लंबाई के कुल ट्रैक के साथ आकार के मामले में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।
    • भारतीय रेलवे में 1.3 मिलियन से अधिक लोग कार्यरत हैं।
    • मालगाड़ियाँ वाणिज्यिक दृष्टिकोण से विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
      • यह 90% से अधिक कोयले का परिवहन करता है जो देश की बिजली आवश्यकता के 50% की पूर्ति करते हैं।
  • रेलवे क्षेत्र को वित्तीय सहायता: वर्ष 2014 रेलवे के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षण था जब सरकार ने न केवल रेलवे में निजी निवेश की अनुमति देकर बल्कि रेलवे के बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देकर ठोस सुधारों की शुरुआत की।
    • निर्माण, परिचालन और रखरखाव श्रेणी के तहत सूचीबद्ध 10 क्षेत्रों/गतिविधियों को स्वचालित मार्ग के माध्यम से 100% FDI की अनुमति प्रदान की गई है।
    • उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा रेलवे और संबंधित क्षेत्रों पर जारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल 2000 से मार्च 2021 तक ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ प्रवाह 1.23 बिलियन डॉलर रहा।
      • हालाँकि यह भारत में कुल FDI प्रवाह का मात्र 0.23% था।
  • रेलवे के लिये पहल: राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline- NIP) और राष्ट्रीय रेल योजना (National Rail Plan- NRP) का मसौदा, 2020 रेलवे क्षेत्र के विकास के लिये एक विस्तृत संपत्ति-स्तरीय योजना प्रदान करते हैं।
    • NIP में वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक केंद्र और राज्य दोनों द्वारा कुल 13.7 ट्रिलियन रुपए के पूंजीगत व्यय की परिकल्पना की गई है, जिसमें से 1.6 ट्रिलियन रुपए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड के माध्यम से अपेक्षित है।
    • NRP के मसौदे के तहत आगामी तीन दशकों के लिये इस क्षेत्र के लिये एक रणनीतिक रोडमैप तैयार किया गया है, जिसमें यात्रियों के लिये बेस्ट-इन-क्लास सेवाएँ प्रदान करना जारी रखते हुए रेलवे के मोडल शेयर/माल भाड़ा (Modal Share /Freight) को 26% से बढ़ाकर 45% करना शामिल है।
  • रेलवे और संपत्तिमुद्रीकरण: ’संपत्ति मुद्रीकरण’ (Asset Monetisation) अब तक अप्रयुक्त या कम उपयोग की गई सार्वजनिक संपत्तियों के मूल्य को ‘अनलॉक’ कर राजस्व के नए स्रोतों का सृजन करना है।
    • ऐसी ही एक पहल ’राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP) है जो निजी कंपनियों को सरकार के स्वामित्व वाली अवसंरचना (जैसे राजमार्ग, गैस पाइपलाइन और रेलवे) को लीज़ और परिचालन के लिये एक तंत्र प्रदान करती है।
    • रेलवे से अनुमानित 1.5 ट्रिलियन रुपए के राजस्व की उम्मीद है और यह 6 ट्रिलियन रुपए की समग्र पाइपलाइन में 25% का योगदान करेगा।

भारतीय रेलवे के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ

  • वित्तपोषण संबंधी समस्या: राष्ट्रीय स्वतंत्रता के बाद से रेलवे मुख्य रूप से सरकारी सहायता पर ही निर्भर रहा है, जिससे पूंजीगत व्यय के लिये पर्याप्त धन का सृजन करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
    • अधिकांश धनराशि अभी भी परिचालन व्यय के अंतर्गत समाहित है।
  • बदतर अवसंरचना के कारण दुर्घटनाएँ: रेलवे में अवसंरचना और वित्तपोषण की चुनौतियाँ ट्रेनों की टक्कर, उनके पटरी से उतरने और लेवल-क्रॉसिंग दुर्घटनाओं के रूप में प्रकट होती रही हैं।
  • राजस्व हानि: पिछले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2020-21) में कोविड-प्रेरित व्यवधान के परिणामस्वरूप यात्री/सवारी खंड में 38,017 करोड़ रुपए की राजस्व हानि हुई।
  • विशाल पुनर्विकास लागत: आकलन के अनुसार, अचल संपत्ति के विकास के साथ-साथ 125 स्टेशनों के पुनर्विकास में लगभग 50,000 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
  • यात्री ट्रेनों की अपर्याप्त क्षमता: यात्री ट्रेनों की क्षमता अपर्याप्तता (Under-Capacity) इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि औसतन 15% टिकट धारक प्रतीक्षा-सूची में शामिल होते हैं।
    • अकेले वर्ष 2018-19 में ही 8.84 करोड़ से अधिक यात्री इसलिये यात्रा नहीं कर सके क्योंकि वे प्रतीक्षा सूची में थे और उनके लिये जगह उपलब्ध नहीं कराई जा सकी।

आगे की राह

  • रेलवे का मुद्रीकरण—भविष्य की राह: रेलवे का मुद्रीकरण एक ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है, क्योंकि यह न्यून उपयोग की शिकार रेलवे संपत्तियों को बेहतर उपयोग की राह पर ले जा सकता है और भारत में रेलवे अवसंरचना के विकास को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिये आवश्यक धन प्रदान कर सकता है।
  • रेलवे का कायापलट: दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये भारत को अपने हाई-स्पीड रेलवे नेटवर्क का विस्तार करना होगा।
    • भारतीय रेलवे विजन 2020 (Indian Railways Vision 2020) रिपोर्ट ने प्रकाश डाला है कि भारतीय रेलवे को अमेरिका, फ्राँँस, जापान और जर्मनी जैसे देशों में ट्रेनों की गति और रूट-किलोमीटर प्रति मिलियन जनसंख्या की सेवा जैसे पहलुओं (जो किसी देश में रेल संपर्क के स्तर के मापक हैं) के संदर्भ में बराबरी करने की आवश्यकता है।
  • नीतिगत पहलों का कुशल कार्यान्वयन: NMP के कुशल कार्यान्वयन से धन का एक बड़ा प्रवाह सुनिश्चित होगा जो यात्री ट्रेनों, रेलवे स्टेशनों, माल टर्मिनलों, रेलवे कॉलोनियों और रेलवे पटरियों के लिये अवसंरचना और परिचालन लॉजिस्टिक्स को व्यापक रूप से उन्नत करने में काम आएगा।
  • रेलवे परिसंपत्तियों का उपयोग: यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि आज़ादी के बाद से हमारी रेलवे परिसंपत्ति का एक बड़ा हिस्सा या तो अप्रयुक्त या न्यून उपयोग का शिकार है।
    • रेलवे ट्रैक के किनारे की भूमि दूरसंचार कंपनियों को केबल बिछाने के लिये लीज़ पर दी जा सकती है।
    • साथ ही निजी कंपनियों के लिये लॉजिस्टिक्स पार्क के रूप में फ्रेट टर्मिनलों के उपयोग को सक्षम करना और एक अन्य राजस्व धारा उत्पन्न करना विवेकपूर्ण होगा।
  • मज़बूत निवेश आवश्यक: निजी क्षेत्र द्वारा मज़बूत निवेश वर्ष 2023 तक शत-प्रतिशत विद्युतीकरण, वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन नेटवर्क, टिकट बुकिंग में आसानी, ऑनलाइन माल ढुलाई सेवाओं जैसे सरकार के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों की पूर्ति में उल्लेखनीय भूमिका निभाएगा।
  • क्षमता अपर्याप्तता को कम करना: यात्री गाड़ियों की क्षमता अपर्याप्तता की समस्या को कम करने के लिये हाई-डिमांड रूट्स में 12 समूहों की पहचान की गई है, जिससे 30,000 करोड़ रुपए का निजी निवेश प्राप्त होना अपेक्षित है और जो 109 मार्गों पर 150 आधुनिक ट्रेनों के योग के रूप में योगदान कर सकेगा। इस तरह की पहल को प्रोत्साहन देने की ज़रूरत है।

निष्कर्ष

Leave a Reply

error: Content is protected !!