केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने केन-बेतवा नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना को मंजूरी दी.
इस परियोजना की लागत 44,605 करोड़ रुपये आयेगी और यह परियोजना आठ वर्षों में पूरी कर ली जायेगी
इस परियोजना से 103 मेगावॉट पन बिजली और 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा पैदा होगी
इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिये केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण (केबीएलपीए) नामक विशेष प्रयोजन संस्था बनाई जायेगी.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
इस परियोजना से मध्यप्रदेश के छतरपुर, पन्ना और टीकमगढ़ तथा उत्तरप्रदेश के बांदा, महोबा और झांसी के प्रायः सूखे से ग्रस्त एवं पानी की कमी वाले क्षेत्रों में 10.62 लाख हेक्टेयर रकबे को सिंचाई की सुविधा मिलेगी
62 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिये नहर को जोड़ा जायेगा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज केन-बेतवा नदी को आपस में जोड़ने की परियोजना के लिये वित्तपोषण तथा क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना की कुल लागत 44,605 करोड़ रुपये का अनुमान किया गया है, जो 2020-21 की कीमतों के आधार पर है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परियोजना के लिये केंद्रीय समर्थन के रूप में 39,317 करोड़ रुपये, सहायक अनुदान के रूप में 36,290 करोड़ रुपये और ऋण के रूप में 3,027 करोड़ रुपये की धनराशि को मंजूर किया है।
यह परियोजना भारत में नदियों को आपस में जोड़ने की अन्य परियोजनाओं का भी मार्ग प्रशस्त करेगी तथा विश्व के सामने हमारी बुद्धिमत्ता और दृष्टिकोण का भी परिचय देगी।
इस परियोजना के तहत केन का पानी बेतवा नदी में भेजा जायेगा। यह दाऊधाम बांध के निर्माण तथा दोनों नदियों से नहर को जोड़ने, लोअर उर परियोजना, कोठा बैराज और बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना के जरिये पूरा किया जायेगा। परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर रकबे की वार्षिक सिंचाई हो सकेगी, लगभग 62 लाख की आबादी को पीने का पानी मिलेगा तथा 103 मेगावॉट पन बिजली और 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा पैदा होगी। परियोजना को उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी के साथ आठ वर्षों में क्रियान्वित कर लेने का प्रस्ताव है।
यह परियोजना पानी की कमी से जूझते बुंदेलखंड इलाके के लिये बहुत फायदेमंद है। यह पूरा इलाका मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश राज्यों में फैला है। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन तथा उत्तरप्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर को बहुत लाभ होगा।
इस परियोजना से कृषि गतिविधियों के बढ़ने और रोजगार सृजन से बुंदेलखंड के पिछड़े इलाके में सामाजिक-आर्थिक समृद्धि में तेजी आने की संभावना है। इससे क्षेत्र में संकट की वजह से होने वाले विस्थापन को भी रोकने में मदद मिलेगी।
इस परियोजना से पर्यावरण प्रबंधन और सुरक्षा समग्र रूप से संभव होगी। इस उद्देश्य के लिये एक समग्र परिदृश्य प्रबंधन योजना को भारतीय वन्यजीव संस्थान अंतिम रूप दे रहा है।
पृष्ठभूमिः
22 मार्च, 2021 को देश में नदियों को आपस में जोड़ने की पहली प्रमुख केंद्रीय परियोजना को क्रियान्वित करने के लिये केंद्रीय जल शक्ति मंत्री तथा मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। यह समझौता श्री अटल बिहारी वाजपेयी के उस विजन को क्रियान्वित करने के अंतर-राज्यीय सहयोग का सूत्रपात है, जिस विजन के तहत नदियों को आपस में जोड़कर पानी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का विचार है, जहां प्रायः सूखा पड़ता है और जिन इलाकों में पानी की भारी कमी है।
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कैबिनेट ने ‘प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी)’ को मार्च 2021 के बाद भी मार्च 2024 तक जारी रखने को मंजूरी दी
इससे ग्रामीण क्षेत्रों में ‘सबके लिए आवास’सुनिश्चित हो सकेगा
इस योजना के तहत कुल 2.95 करोड़ आवासों के लक्ष्य के अंतर्गत शेष 155.75 लाख आवासों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी
इस पर 2,17,257 करोड़ रुपये का वित्तीय भार आएगा, जिसमें केंद्रीय हिस्सा 1,25,106 करोड़ रुपये है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रद मोदी की अध्यyक्षता में केन्द्री य मंत्रिमंडल ने आज ‘प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी)’ को मार्च 2021 के बाद भी जारी रखने संबंधी ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्तामव को मंजूरी दे दी है जिसके तहत कुल 2.95 करोड़ आवासों के लक्ष्य के अंतर्गत शेष 155.75 लाख आवासों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
कैबिनेट द्वारा दी गई मंजूरी का विवरण इस प्रकार है:
• 2.95 करोड़ आवासों के कुल लक्ष्य के अंतर्गत शेष आवासों का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए मौजूदा मानदंडों के अनुसार मार्च 2021 के बाद भी मार्च 2024 तक ‘पीएमएवाई-जी’को जारी रखना।
• पीएमएवाई-जी के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 2.95 करोड़ आवासों के समग्र लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु शेष 155.75 लाख आवासों के निर्माण के लिए कुल वित्तीय भार 2,17,257 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सा 1,25,106 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 73,475 करोड़ रुपये) है। नाबार्ड को ब्याज चुकाने के लिए 18,676 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता।
• ‘ईबीआर’को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने और पूरी योजना के वित्त पोषण का इंतजाम सकल बजटीय सहायता (जीबीएस) के जरिए करने के बारे में निर्णय वित्त मंत्रालय के परामर्श से लिया जाएगा।
• असम एवं त्रिपुरा को छोड़कर प्रत्येक छोटे राज्य यथा हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गोवा, पंजाब, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर को छोड़ सभी केंद्र शासित प्रदेशों को प्रशासनिक कोष के केंद्रीय हिस्से (2% के कुल प्रशासनिक कोष में से 0.3%) में से सालाना अतिरिक्त 45 लाख रुपये का प्रशासनिक कोष जारी करना, जो उक्त राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किए गए 1.70 प्रतिशत के प्रशासनिक कोष के अतिरिक्त् होगा।
• कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (पीएमयू) और राष्ट्रीय तकनीकी सहायता एजेंसी (एनटीएसए) को वित्त वर्ष 2023-24 तक जारी रखना।
लाभ:
इस योजना को मार्च 2024 तक जारी रखने से यह सुनिश्चित होगा कि ‘पीएमएवाई-जी’के तहत 2.95 करोड़ आवासों के समग्र लक्ष्य के अंतर्गत शेष 155.75 लाख परिवारों को बुनियादी सुविधाओं से युक्त ‘पक्के मकानों’ के निर्माण के लिए वित्तीपय सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में ‘सबके लिए आवास’ के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके।
29 नवंबर 2021 तक पीएमएवाई-जी के तहत कुल 2.95 करोड़ आवासों के लक्ष्य में से 1.65 करोड़ आवासों का निर्माण किया जा चुका है। यह अनुमान है कि 2.02 करोड़ आवास, जोकि एसईसीसी 2011 डेटाबेस पर आधारित स्थायी प्रतीक्षा सूची के लगभग बराबर है, 15 अगस्त 2022 की समय सीमा तक पूरे हो जाएंगे। इसलिए 2.95 करोड़ आवासों के समग्र लक्ष्य को हासिल करने के लिए योजना को मार्च 2024 तक जारी रखने की आवश्यकता है।
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