श्रीराम कथा के दौरान श्रीरामविवाह में झूमते रहे श्रोता
श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):
हर ओर से तरह तरह के विवाह गीतों से गिरधरपुर गुंजायमान हो रहा था,हर ओर से माता जानकी व भगवान श्रीराम के विवाह गीतों के मधुर बोल श्रोताओं के कानों तक जा रहे थे।पूरा गिरधरपुर व आसपास का इलाका उत्साह से सराबोर था।गिरधरपुर में सात दिवसीय विवाह पंचमी महोत्सव के चौथे दिन बुधवार की रात्रि श्रीराम विवाह का कार्यक्रम हर्षउल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।कलाकरों द्वारा विवाह झांकी की प्रस्तुति की गई जिसको देखकर श्रोता भावविह्वल हो गए।
प्रसिद्ध श्रीराम कथा वाचक डॉ रामाशंकर नाथ दास जी महाराज ने श्रीराम कथा की अमृतवर्षा करते हुए कहा कि राम जी का स्वरूप अतिसुन्दर है,मनमोहक है,उनका स्वरूप नेत्रों को आनंद देने वाला है। परमात्मा की सुंदरता का वर्णन करते समय वाणी को भी परम आनंद की प्राप्ति होती है।भगवान श्रीराम अपने तीनों भाइयों के साथ जब जनकपुर के विवाह मंडप में प्रवेश किये तो लोग लुगाई देखते रह गए,माता सुनैना के आंखों से प्रेमाश्रु के धार निकल पड़े,महाराज जनक की आंखें भी प्रेम की अश्रु से भर गई,काफी प्रसन्ता के साथ चारो भाइयों का विवाह संपन्न हुआ,श्रीमहाराज नें कहा कि जनकपुर के संत कहते है कि महाराजा जनक जब कन्यादान किए तब रामजी को घरजमाई बना कर रखने की प्रतिज्ञा की थी,इसी कारण हमारे रामजी आज भी जनकपुर में माता सीता संग विराजते हैं।
विवाह के बाद चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ जी कुछ दिनों तक जनकपुर में रह गए,जनकपुरवासी नहीं चाहते थे कि बारात जनकपुर वापस लौटे परन्तु जैसे ही बारात लौटने की सूचना राजा जनक व नगरवासियों को मिली सभी उदास हो गए राजा जनक व माता सुनैना नें भारी मन से माता सीता सहित तीनों बेटियों को विदा किया।विदाई के बाद कि दृश्य का वर्णन जब कथावाचक डॉ रामाशंकर प्रसाद के द्वारा किया गया तो उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखें सजल गयी,महाराज नें कहा कि माता सीता की विदाई के बाद पूरे जनकपुर में उदासी छा गयी पवन की गति रुक गयी,पंछियों नें चहचहाना बन्द कर दिया,लताओं नें झूमना बन्द कर दिया,बछड़े उछल कूद करना बंद कर दिए,नदियों की धारा ठहर गयी,जो जहां था वहीं उदास मन से ठहर गया।
माता सीता व अन्य कन्याओं को डोली में बिठा कर जो कहार अयोध्या ले गए वे वहां से लौटना नहीं चाहते थे।इस अवसर पर मांगलिक गीत व श्रोताओं द्वारा लगातार पुष्प की वर्षा की जा रही थी।मंचासीन वादकों व महिलाओं के द्वारा विभिन्न रस्मों पर होने वाले मांगलिक गारिया भी प्रस्तुत की गई,जिसको सुनकर श्रोता झूमते रहे।कथा वाचक डॉ रामाशंकर नाथ दास नें जैसे ही …आज मिथिला नगरिया निहाल सखिया,चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया’ प्रस्तुत किया तो पूरा पंडाल तालियों से गड़गड़ा उठा।
इसके बाद महाराज श्री नें …जेहने किशोरी मोरी,तेहने किशोर हे, विधना लगाओल जोड़ी केहन बेजोड़ हे’ को गाया तो श्रोता झूमने पर विवश हो गए।इस अवसर पर श्रीराम विवाह की भव्य झांकी भी प्रस्तुत की गई,जिसको सुंदरता को देखते लोग नहीं थक रहे थे। विवाह के जयमाला के समय श्रद्धालुओं ने जमकर पुष्पवर्षा की। इस अवसर पर युवा कथा वाचक सुशील विनायक सूर्यवंशी,सोनू राज,सत्यम सोनी,अक्षय सिंह,परमेश्वर कुशवाहा, सुजीत कुमार डबलू,अमित कुमार सिंह,उपेंद्र गिरी,डॉ सतेंद्र गिरी के अलावे काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।इस अवसर पर डा सतेंद्र गिरी द्वारा विशाला भंडारा भी करवाया गया।
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