भारत और पोलैंड के बीच ‘आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि’ को मंज़ूरी दी है।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
- पारस्परिक कानूनी सहायता संधियाँ (MLATs):
- आपराधिक मामलों में ‘पारस्परिक कानूनी सहायता संधि’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सहायता प्रदान करने के लिये देशों के बीच की गई द्विपक्षीय संधियाँ हैं।
- ये समझौते हस्ताक्षर करने वाले देशों के बीच आपराधिक और संबंधित मामलों में साक्ष्य एवं सूचनाओं के आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं।
- संधि का महत्त्व:
- अपराध की जाँच और अभियोजन: यह आपराधिक मामलों में सहयोग और पारस्परिक कानूनी सहायता के माध्यम से अपराध की जाँच तथा अभियोजन में दोनों देशों की प्रभावशीलता को बढ़ाएगा।
- अंतर्राष्ट्रीय अपराध और आतंकवाद से इसका संबंध: यह अपराध की जाँच और अभियोजन में पोलैंड के साथ द्विपक्षीय सहयोग के साथ-साथ अपराध साधनों तथा आतंकवाद को वित्तपोषित करने हेतु उपयोग धन का पता लगाने, रोकने एवं ज़ब्त करने के लिये एक व्यापक कानूनी ढाँचा प्रदान करेगी।
- बेहतर इनपुट प्राप्त करना: यह संगठित अपराधियों और आतंकवादियों के तौर-तरीकों में बेहतर जानकारी तथा अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में सहायक होगा।
- जिसका उपयोग आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतर नीतिगत निर्णयों के लिये किया जा सकता है।
- भारत में नोडल एजेंसी:
- गृह मंत्रालय आपराधिक कानून के मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता प्राप्त करने और प्रदान करने के लिये नोडल मंत्रालय तथा केंद्रीय प्राधिकरण है।
- वहीं जब मंत्रालयों द्वारा राजनयिक चैनलों के माध्यम से ऐसे अनुरोध भेजे जाते हैं, तो विदेश मंत्रालय को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है।
- कानूनी आधार
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 105 केंद्र सरकार द्वारा विदेशी सरकारों के साथ समन/वारंट/न्यायिक प्रक्रियाओं के संबंध में पारस्परिक व्यवस्था का प्रावधान करती है।
- भारत ने 42 देशों (नवंबर 2019) के साथ पारस्परिक कानूनी सहायता संधि/समझौते किये हैं।
- पारस्परिक कानूनी सहायता संधियाँ (MLATs):
भारत-पोलैंड संबंध
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- भारत और पोलैंड के राजनयिक संबंध वर्ष 1954 में स्थापित हुए, जिसके पश्चात् वर्ष 1957 में वारसॉ में भारतीय दूतावास खोला गया।
- उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और नस्लवाद के विरोध के आधार पर दोनों देशों ने समान वैचारिक धारणाएँ साझा कीं।
- पोलैंड के ‘कम्युनिस्ट युग’ (1944 से 1989) के दौरान दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण थे, इस दौरान नियमित उच्च स्तरीय यात्राओं के साथ, राज्य के व्यापारिक संगठनों द्वारा नियोजित व्यापार और आर्थिक वार्ताओं का आयोजन किया गया।
- वर्ष 1989 में पोलैंड द्वारा लोकतांत्रिक मार्ग चुने जाने के बाद भी संबंध घनिष्ठ बने रहे।
- वर्ष 2004 में पोलैंड के यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद से दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बने हुए है और यह मध्य यूरोप में भारत के प्रमुख आर्थिक भागीदारों में से एक बन गया है।
- आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:
- निर्यात:
- पोलैंड मध्य यूरोपीय क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और निर्यात गंतव्य है, पिछले दस वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार लगभग सात गुना बढ़ रहा है।
- भारतीय आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में द्विपक्षीय व्यापार का कुल मूल्य 2.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- निवेश:
- पोलैंड में भारत का निवेश 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- भारत में पोलैंड का कुल निवेश लगभग 672 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI):
- अप्रैल 2000 से मार्च 2019 तक भारत ने पोलैंड से 672 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का FDI प्राप्त किया है जो भारत के कुल FDI प्रवाह का 0.16% है।
- निर्यात:
- सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध:
- पोलैंड में इंडोलॉजी के अध्ययन की एक मज़बूत परंपरा है, पोलिश विद्वानों ने 19वीं शताब्दी की शुरुआत में संस्कृत का पोलिश में अनुवाद किया था।
- इंडोलॉजी भारत के इतिहास, संस्कृतियों, भाषाओं और साहित्य का अकादमिक अध्ययन है और इस तरह एशियाई अध्ययनों का एक भाग है।
- वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ का आयोजन पोलिश मिशन द्वारा किया गया।
- पोलिश पोस्ट ((Poczta Polska) द्वारा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर एक स्मारक डाक टिकट को जारी किया गया।
- गुरु नानक देव जी मिशन के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर पोलैंड के गुरुद्वारा साहिब और पोलिश मिशन के द्वारा संयुक्त रूप से गुरुद्वारा साहिब, पोलैंड में समारोह का आयोजन किया।
- 21 जून, 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पोलैंड के 21 शहरों में आयोजित किया गया तथा लगभग 11000 लोगों द्वारा सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया गया था।
- पोलैंड में इंडोलॉजी के अध्ययन की एक मज़बूत परंपरा है, पोलिश विद्वानों ने 19वीं शताब्दी की शुरुआत में संस्कृत का पोलिश में अनुवाद किया था।
- भारतीय समुदाय:
- पोलैंड में लगभग 10,000 भारतीय समुदाय के होने का अनुमान है जिसमें व्यापारी (वस्त्र, वस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक्स) शामिल हैं। जो बहुराष्ट्रीय या भारतीय कंपनियों और सॉफ्टवेयर/आईटी विशेषज्ञों के साथ साम्यवाद तथा पेशेवरों के पतन के बाद आए थे, जिनमें भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या भी शामिल थी।
आगे की राह:
- वर्ष 2017 में ब्लूमबर्ग द्वारा पोलैंड को 50 सबसे नवीन देशों में से एक के रूप में प्रशंसित किया गया था और यह महत्त्वपूर्ण है कि भारत इसे मध्य यूरोप में प्रौद्योगिकी केंद्र तथा व्यापार करने के लिये अनुकूल स्थान के रूप में देखें।
- हरित प्रौद्योगिकियों, स्मार्ट सिटी, साइबर सुरक्षा, फिनटेक और जल प्रबंधन के मामले में पोलैंड एक मज़बूत देश है।
- पोलैंड ऑटोमोटिव क्षेत्र में भारतीय निवेशकों और निर्यातकों को भी बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। पिछले 5 वर्षों में पोलैंड की रणनीतिक स्थिति, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और फार्मा बाज़ार में 25% की वृद्धि को देखते हुए भारतीय निर्यातकों तथा निवेशकों के लिये यह अच्छा अवसर हो सकता हैं।
- भारत और पोलैंड के संबंध हमेशा से बहुत अच्छे रहे हैं। लेकिन हमारे बीच व्यापार को कोविड-19 के कारण नुकसान हुआ है।
- पोलैंड में बढ़ते भारतीय प्रवासी जिसमें लगभग 6,000 छात्र शामिल हैं। यह एक नया कारक है जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को मज़बूत किया है।
- पोलैंड तब से छात्रों के लिये और अधिक आकर्षक बन गया है जब से उसने प्रमुख विश्वविद्यालयों में चिकित्सा तथा इंजीनियरिंग में शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी की शुरुआत गई है
- कोविड-19 से पहले दिल्ली से वारसा के लिये सीधी उड़ान होती थी। इस सीधी उड़ान की बहाली से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध को मज़बूती प्रदान करेंगी।
- यह भी पढ़े…..
- आत्महत्या के कारणों के पीछे छुपी है जीवन की निराशा और व्यवस्था की असफलता
- 1971 के युद्ध में अंबाला से एयर अटैक ने उड़ा दी थी पाकिस्तान की नींद.
- हिंदू धर्म छोड़ने वाले घर वापसी करें–मोहन भागवत,संघ प्रमुख.
- विजय दिवस क्या है,जिसे कभी नहीं भूलेगा पाकिस्तान?