भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए कौन बन चुकी है खतरा?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत एक विविधतापूर्ण और बहुलतावादी समाज है, जिसके पास समृद्ध सांस्कृतिक एवं सामाजिक विरासत है। इसे समाप्त नहीं किया जा सकता है। परंतु एक विध्वंसक चौकड़ी भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी है। इसमें मुख्य रूप से इस्लामी चरमपंथ और अर्बन नक्सल जैसे तत्व शामिल हैं। इस चौकड़ी का इरादा भारतीय समाज में मौजूद दरारों को खाई का रूप देने और फिर इसका प्रयोग भारत-विरोधी एजेंडे के रूप में करने का है।
माओवादी-मिशनरी गठजोड़, कोयला माफिया, चिट-फंड और सीमापार अवैध घुसपैठ जैसे विषयों पर अध्ययन कर चुके लेखक बिनय कुमार सिंह ने अपनी इस पुस्तक में इस चौकड़ी की गहराई से पड़ताल करने का प्रयास किया है, जिसने भारत के बहुलतावादी समाज को बांटने का षड्यंत्र रचा है। लेखक ने ऐसे छह विषयों पर केस स्टडी भी की है, जिसके तहत जिहादियों, मिशनरियों और राष्ट्र-विरोधी ताकतों ने दुष्प्रचार का सहारा लिया है।
केस स्टडी के विषय हैं : रोहिंग्या- आइएसआइ और स्थानीय गठजोड़ ने पैदा किया नया नासूर, पत्थलगड़ी : कैसे समृद्ध परंपरा बनी देश-विरोधी हथियार, तौहीद जमात- आइएसआइ के परस्पर संबंध, श्रीलंका से उत्पन्न होता आतंकी खतरा, जिहाद का गलियारा, अर्बन नक्सलियों की गली-गली सशस्त्र जंग छेड़ने की तैयारी आदि।
तमाम राष्ट्र विध्वंसक शक्तियों को किस प्रकार से विदेशी धन प्राप्त होता है और कैसे भारत में उनका एक पूरा तंत्र काम करता है, पुस्तक में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। पीएफआइ यानी पापुलर फ्रंट आफ इंडिया और इस तरह के कई अन्य चरमपंथी संगठन, अर्बन नक्सली, ईसाई मिशनरियां और इनके लिए पर्दे के पीछे काम करने वाले कथित बुद्धिजीवियों की टीम की गतिविधियों और उनकी कारगुजारियों को पुस्तक में सलीके से दर्शाया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी और हिंदी में अनूदित इस पुस्तक को समग्रता में पढ़ने के बाद आप स्वयं यह तय कर सकते हैं कि भारतीय समाज और मूल संस्कृति के लिए उपरोक्त तत्व किस तरह से खतरा पैदा कर रहे हैं।
पुस्तक : रक्तरंजित भारत : चार आक्रांता, हजार घाव
लेखक : बिनय कुमार सिंह
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