कुपोषण को जड़ से मिटाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर मनाया जाता है अन्नप्राशन दिवस:
पोषण को बढ़ावा देने के लिए सेविकाओं ने कराया बच्चे का अन्नप्राशन:
नवजात शिशुओं को आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाली सेवाओं का सामाजिक अंकेक्षण भी किया गया: डीपीओ
नवजात शिशुओं की बढ़ती उम्र के साथ पौष्टिक आहार देना भी जरूरी: सुधांशु कुमार
श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):
जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों पर सोमवार को आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा नवजात शिशुओं को खीर खिलाकर उनका अन्नप्राशन कराया गया। ज़िले के सभी सेविकाओं द्वारा शिशुओं को अन्नप्राशन कराने के साथ ही स्थानीय लोगों को सही पोषण की जानकारी देने एवं उसके उपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया गया। आईसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी राखी कुमारी, पूर्णिया पूर्व प्रखंड के सीडीपीओ राजेश रंजन, जिला परियोजना सहायक सुधांशु कुमार, प्रखंड समन्वयक दुर्गा कुमार, महिला पर्यवेक्षिका आकांक्षा सिन्हा के द्वारा संयुक्त रूप से टैक्सी स्टैंड के बगल में आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-49 पर जाकर नवजात शिशु को खीर खिला कर एवं आइएफए सिरप पिलाकर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। इस अवसर पर स्थानीय सेविका मंजू कुमारी एवं सहायिका रीता देवी उपस्थित थी। वहीं दूसरी तरफ लाइन बस्ती स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या- 124 पर डीपीओं राखी कुमारी, सीडीपीओ गुंजन मौली, जिला परियोजना सहायक सुधांशु कुमार, महिला पर्यवेक्षिका लक्ष्मी कुमारी सहित कई अन्य लाभार्थियों की उपस्थिति में अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। वहीं सामाजिक अंकेक्षण में मनोनीत सदस्या अनिता कुमारी भी उपस्थित थी।
नवजात शिशुओं को आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाली सेवाओं का सामाजिक अंकेक्षण भी किया गया: डीपीओ
अन्नप्राशन दिवस को लेकर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी राखी कुमारी ने बताया नवजात शिशुओं में कुपोषण को दूर करने के लिए उन्हें सही पोषण दिया जाना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। जिसके लिए पोषण के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रत्येक महीने में अन्नप्राशन दिवस रूप में मनाया जाता है। वहीं इस अवसर पर स्थानीय लोगों को आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा पोषण के प्रति जागरूक भी किया जाता है। इसके अलावा सामान्य दिनों में भी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सेविकाओं द्वारा नवजात शिशुओं के परिजनों को पोषण की जानकारी दी जाती है। डीपीओं ने यह भी बताया कि “सामाजिक अंकेक्षण में समुदाय की भागीदारी, सुदृढ़ करें अपनी आंगनबाड़ी” कार्यक्रम के तहत जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर नवजात शिशुओं को आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाली सेवाओं का सामाजिक अंकेक्षण भी किया गया। जिसके तहत सामान्य जन की सहभागिता सुनिश्चित करने एवं सरकार के कार्यो में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से समुदाय द्वारा स्वयं आईसीडीएस से संचालित योजनाओं का अंकेक्षण सामाजिक अंकेक्षण समिति के माध्यम से प्रत्येक केंद्र पर किया गया।
नवजात शिशुओं की बढ़ती उम्र के साथ पौष्टिक आहार देना भी जरूरी: सुधांशु कुमार
जिला परियोजना सहायक सुधांशु कुमार ने बताया कि एसडीजी लक्ष्य 2.2 के अनुसार, सभी प्रकार के कुपोषण को 2030 तक खत्म करना है। इसमें 2025 तक अंतर्राष्ट्रीय सहमति से निर्धारित पांच साल के बच्चों में स्टंटिंग (उम्र के अनुसार कम लंबाई) और वेस्टिंग (लंबाई के अनुसार कम वजन) के लक्ष्य के साथ ही किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बुजुर्गों की पोषण की जरूरतों को हासिल करने का लक्ष्य भी शामिल हैं। एसडीजी लक्ष्य 3.2 के मुताबिक, 2030 तक नवजातों और पांच साल तक के बच्चों की रोकी जा सकने वाली मौतों पर लगाम लगाना है। उन्होंने यह बताया कि जन्म लेने के एक घंटे बाद ही शिशु को स्तनपान करवाना अनिवार्य है। छः महीने तक विशेष स्तनपान और उसे दो साल तक बरकरार रखना है। छह महीने के बाद शिशु को ठोस आहार देना और उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चों को विविधतापूर्ण भोजन भी दिया जाना चाहिए। ताकि बढ़ती उम्र में उसे पौष्टिक तत्व मिल सके।
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