घनश्याम शुक्ला के निधन पर क्षेत्र में शोक की लहर.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

समाज को समरसता और शिक्षा का पाठ पढ़ाने वाले घनश्याम शुक्ला ने  77 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। उन्हें क्षेत्र के लोग ‘गांधीजी’ कहते थे। पंजवार निवासी घनश्याम शुक्ला का पूरा जीवन शिक्षण में ही व्यतीत हुआ। वे शिक्षक थे, अवकाश ग्रहण करने के बाद भी उनकी यह भूमिका बनी रही। घनश्याम के निधन पर बालीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी ने ट्विटर पर इमोशनल पोस्ट किया। लिखा, बेहतर शिक्षक एक समाज को कैसे सुंदर दिशा देता है, उसका प्रत्यक्ष उदाहरण घनश्याम शुक्ला मास्टर जी रहे हैं। विद्यालय, पुस्तकालय, डिग्री कालेज और ग्रामीण बालिकाओं हेतु मेरीकॉम स्पोर्ट्स क्लब की स्थापना जैसा वृहद कार्य उन्होंने किया। गुरु जी को सादर श्रद्धांजलि, आप याद आएंगे और प्रेरणा देते रहेंगे।

जेपी आंदोलन में भी निभाई भूमिका

बता दें कि सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लेना और लोगों को सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाना ही घनश्याम शुक्ला के जीवन का उद्देश्य था, जिसका निर्वहन उन्होंने आखिरी दम तक किया। वे 1974 के जेपी आंदोलन के दौरान भी काफी सक्रिय भूमिका में रहे। उस दौरान मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई-कई दिन उनके यहां ठहरे थे। अवकाश ग्रहण करने के बाद घनश्याम शुक्ला पूरी तरह से महिलाओं के उत्थान, खेल, संगीत और सांस्कृतिक गतिविधियों को समर्पित हो गए। समाज सुधार के क्षेत्र में उनके प्रयासों के कारण ही लोग क्षेत्र के लोग उन्हें गांधीजी कहते थे।

गूंजा घनश्याम शुक्ला अमर रहें का नारा

घनश्याम शुक्ला ने लड़कियों की शिक्षा के लिए गांव में ही कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, प्रभा प्रकाश डिग्री कालेज, महिला स्पोट्स क्लब, बिस्मिल्लाह खान संगीत महाविद्यालय सहित दर्जनों संस्थान व संगठनों की नींव डाली। उनके पढ़ाए शिष्य आज कई जगहों पर उच्च पदों पर हैं। घनश्याम शुक्ला के निधन की सूचना मिलते ही शोक की लहर दौड़ गई। उनके अंतिम दर्शन को जनप्रतिनिधि, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता समेत बड़ी संख्या में लोग जुटने लगे। घनश्याम शुक्ला अमर रहें के नारे गूंज रहे थे। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार प्रभा प्रकाश डिग्री कालेज परिसर में ही किया गया, जहां उनके पुत्र बड़े विद्या भूषण शुक्ला ने मुखाग्नि दी।

लोगों ने कहा-घनश्याम का जाना बड़ी क्षति

एमएलसी प्रो. वीरेंद्र नारायण यादव ने उनके निधन को शिक्षा जगत में बहुत बड़ी क्षति करार दिया। उन्होंने अपने आत्मीय लगाव को बताते हुए कहा कि उनके सपनों को साकार रूप देने का जहां तक होगा प्रयास करूंगा। विधायक हरिशंकर यादव ने कहा कि घनश्याम शुक्ला हमारे अभिभावक थे। उनके निधन पर समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर ने कहा कि हमने एक स’चा समाजसेवी व मित्र खो दिया है।

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