“अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से जुड़कर सम्मान भी सम्मानित है।”-प्रो.प्रसून दत्त सिंह.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जन संचार प्रकोष्ठ,वसंत महिला महाविद्यालय वाराणसी (BHU) के तत्वावधान में दिनांक 25/12/2021 को ‘राष्ट्र निर्माण और अटल बिहारी वाजपेयी’ विषयक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन आभासीय मंच से किया गया। कार्यक्रम का संयोजन प्रकोष्ठ समन्वयक प्रो.बंदना झा(हिन्दी विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय, वाराणसी) ने किया। कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रो.प्रसून दत्त सिंह(अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) का सान्निध्य प्राप्त हुआ।
स्वागत वक्तव्य देते हुए प्रो.बंदना झा ने कहा कि आज के समय में अटल बिहारी वाजपेयी को याद करना, अपनी जड़ों की ओर लौटने और उन्हें संरक्षित करने जैसा है। अटल जी के ‘विजन’ को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी हम सभी की है। इस दिशा में आज का व्याख्यान एक कदम है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट वक्ता प्रो.प्रसून दत्त सिंह ने कहा कि शोर के समय में अटल जी के व्यक्तित्व,कृतित्व को आत्मसात करना हम सभी के लिए आवश्यक है।
अटल जी युगपुरुष हैं। राजनीति, समाज, साहित्य, पत्रकारिता, देश सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों को अपनी प्रतिभा,ओजस्विता से प्रकाशित करने वाले प्रकाशपुंज हैं। अटल जी का साहित्य जगत भी अपने आप में संपूर्ण था। मानव मन से लेकर समाज के हर मुद्दे पर उनका मौलिक चिंतन तो था ही, उसके प्रति समाधान की दृष्टि भी उनके पास थी।
अटल बिहारी वाजपेयी के चिंतन और चिंता का विषय पूरा राष्ट्र रहा। वह भारत और भारतीयता के प्रवक्ता रहे। देश की संप्रभुता और विकास की कामना उनके निजी एजेंडे में सर्वोपरि रही।
उनके जीवन दर्शन और कविताओं ने भारत के युवाओं को एक नई प्रेरणा दी है। करोड़ों लोगों के वे रोल मॉडल हैं।
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपयी ने कहा था, “व्यक्ति को सशक्त बनाना देश को सशक्त बनाना है. सशक्तिकरण तेजी से आर्थिक विकास के माध्यम से तेजी से सामाजिक परिवर्तन के साथ किया जाता है”. दरअसल, ये शब्द देश के प्रति उनके योगदान में परिलक्षित होते हैं. उन्होंने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार किया बल्कि समाज के वंचित वर्ग को ऊपर उठाने के लिए सामाजिक सुधार भी शुरू किए थे।
भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में देश के आर्थिक विकास और गरीब वर्ग के सामाजिक कल्याण के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। वे भारतीय राजनीति के ‘भीष्म पितामह’ हैं। उनकी अटल आवाज और उनके किए महान कार्यों के लिए संपूर्ण राष्ट्र उनका कृतज्ञ है।
आज की युवा पीढ़ी अटल जी के व्यक्तित्व से कुछ सीख सके और आने वाले समय का सामना कर सके, ऐसी मैं कामना करता हूँ।
धन्यवाद ज्ञापन नवीन कुमार(अतिथि प्रवक्ता, जन संचार प्रकोष्ठ,वसंत महिला महाविद्यालय, वाराणसी) एवं कार्यक्रम का संचालन रश्मि सिंह(शोधार्थी,हिन्दी विभाग,महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने किया।

आभार-रश्मि सिंह

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