अमेरिका के कैलफोर्निया में भी घनश्यम शुक्ल के व्यक्तित्व व कृतित्व पर हो रही है चर्चा
आलेख ः तरूण कैलाश जी‚ कैलफोर्निया‚ अमेरिका
श्रीनारद मीडिया‚ सेंट्रल डेस्कः
परम आदरणीय गुरूजी (स्व. श्री घनश्याम शुक्ल जी) से हमनी के सपरिवार (स्वस्ति, श्रेया, पौरुष आ हम) मिले से सौभाग ५ अगस्त २०१८ में मिलल रहे। ओह बरिस स्वस्ति के भारत आगमन प, आखर परिवार पंजवार गाँव में एगो स्वागत समारोह आ संस्कार गीतन के आयोजन कइले रहे। दुआर प चहुँपते के साथ ई केहु के चिन्हावे के ना पड़ल कि गुरुजी के हईं – ऊहाँ के सहज, सरल, स्नेहिल सोभाव ही परिचय रहे। हाली दे चाह-नस्ता-पानी के इंन्तज़ाम में लाग गईनीं।
– तीली में हेने आ तीली में होने – मने बुझात रहे कि ऊहाँ के हमनी के अपना पपनी प बइठा देब। हरियर बगइचा, चाँपाकल से ऊहाँ के पूरा हाता अइसन गहगह भईल रहे कि स्वस्ति के अपना लइकाईं प के बगइचा में अमरूद तूड़े के आदत उपट पड़ल। तले का देखतारी कि गुरुजी अपना हाथे छिपा माँजत बानीं आ कतनो कहला प हमनी के हाथो ना लगावे दीहनीं – ओह!
अतना ऊहाँ के ममत्व के भाव में ऊतराईल रहनीं। ऊहाँ के द्वारा स्थापित संगीत महाविद्यालय में घुसते अस शांति मिलल कि तबला प हाथ कब चले लागल, पते ना चलल। आ हँ बेटी लेखा बिदाईये ना भईल, साथे साथ दोहरावन मिले के सुअवसर मिलल जब ऊहाँ के अगिला कार्यक्रम में आरा आगमन भईल त भगवान के किरपा से मिले के अवसर त मिलले रहे।
एह बरिस बे बतवले पंजवार चहुँप के “surprise” देबे के योजना बनावत रहनीं, बाकिर मनहूस ख़बर मिल गईल कि ऊहाँ के अब नईखीं…
ऊहाँ के सतकर्म आ सनमार्ग हरमेसा ध्यान रहे, भगवान से ईहे हथजोड़ी बा।
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