क्या कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट को समाप्त किया जा सकता है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कोरोना महामारी को दो साल से ज्यादा का समय हो गया है। तब से अब तक महामारी का कारण बने वायरस सार्स-कोव-2 के अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा समेत कई वैरिएंट सामने आ चुके हैं। हर वैरिएंट में पिछले के मुकाबले कुछ बदलाव देखे गए हैं, जिन्हें म्युटेशन कहा जाता है। इस म्युटेशन के कारण ही कोई वैरिएंट ज्यादा संक्रामक होता है, तो कोई ज्यादा जानलेवा। म्युटेशन के कारण कुछ वैरिएंट पर टीके का असर भी कम देखा गया है। अब विज्ञानियों ने वायरस के हर वैरिएंट के खिलाफ अचूक टीका तैयार करने की राह खोजी है। विज्ञान पत्रिका नेचर में इस संबंध में शोध प्रकाशित किया गया है।
एक तीर से शिकार बनाए जा सकते हैं कोरोना वायरस के सभी वैरिएंट: विज्ञानियों ने ऐसी कुछ एंटीबाडी की पहचान की है, जो ओमिक्रोन के साथ-साथ वायरस के अन्य वैरिएंट से भी निपटने में सक्षम हैं। ये एंटीबाडी वायरस के ऐसे हिस्से को निशाना बनाती हैं, जिसमें म्युटेशन के दौरान बदलाव नहीं होता है। इस एंटीबाडी की मदद से भविष्य में बनने वाले वैरिएंट से भी निपटा जा सकता है। यूनिवर्सिटी आफ वाशिंगटन स्कूल आफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डेविड वीसलर ने कहा, ‘यह खोज बताती है कि इस तरह के एंटीबाडी पर फोकस किया जाए तो वायरस में बार- बार हो रहे बदलाव के खतरे से निपटा जा सकता है।’
नए वैरिएंट पर शोध के दौरान मिली कामयाबी: ओमिक्रोन वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 37 म्युटेशन पाए गए हैं। स्पाइक प्रोटीन की मदद से वायरस मनुष्य की कोशिकाओं में प्रवेश करता है और उसे संक्रमित करता है। ओमिक्रोन का स्पाइक प्रोटीन वायरस के शुरुआती स्वरूप की तुलना में कोशिकाओं से 2.4 गुना ज्यादा बेहतर तरीके से जुड़ जाता है।
टीका लगवा चुके या पहले से संक्रमित हो चुके लोगों को भी ओमिक्रोन संक्रमित कर रहा है। इस संबंध में अध्ययन के दौरान विज्ञानियों को कुछ ऐसी एंटीबाडीज का पता चला जो हर वैरिएंट को रोकने में सक्षम हैं। विज्ञानियों का कहना है कि इन एंटीबाडी के टार्गेट को ध्यान में रखते हुए अचूक वैक्सीन बनाने की राह खुल सकती है। अध्ययन में बूस्टर डोज को भी प्रभावी पाया गया है।
प्राकृतिक टीका साबित हो सकता है ओमिक्रोन: ओमिक्रोन से जुड़े अध्ययन के दौरान एक और बात भी सामने आ रही है। अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के शुरुआती अध्ययन में पाया गया है कि ओमिक्रोन वैरिएंट खुद ही कोरोना महामारी के विरुद्ध प्राकृतिक टीके का काम कर सकता है। दरअसल ओमिक्रोन वैरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह डेल्टा की तुलना में बहुत कम घातक है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि ओमिक्रोन के संक्रमण से व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। डेल्टा से संक्रमित हो चुके व्यक्ति का ओमिक्रोन से संक्रमित होना बहुत सामान्य है। वहीं, ओमिक्रोन से ठीक होने के बाद व्यक्ति में डेल्टा से संक्रमण का खतरा लगभग नहीं रहता है। विज्ञानी इसे महामारी के अंत का संकेत भी मान रहे हैं। अमेरिका के कार्डियोलाजिस्ट आफशीन इमरानी ने तो ओमिक्रोन को मौसमी फ्लू की संज्ञा दे दी है। उनका कहना है कि इस वैरिएंट को लेकर ज्यादा हाय-तौबा मचाना सही नहीं है।
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