06 जनवरी ? ब्रेल लिपि के जनक ‘लुई ब्रेल’ की पुण्यतिथि पर विशेष
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
लुई ब्रेल जिन्होने अंधों के लिये लिखने तथा पढ़ने की प्रणाली विकसित की। यह पद्धति ‘ब्रेल’ नाम से जगप्रसिद्ध है। फ्रांस में जन्मे लुई ब्रेल अंधों के लिए ज्ञान के चक्षु बन गए। ब्रेल लिपि के निर्माण से नेत्रहीनों की पढ़ने की कठिनाई को मिटाने वाले लुई स्वयं भी नेत्रहीन थे।
कालान्तर में स्वयं लुई ब्रेल ने आठ वर्षो के अथक परिश्रम से इस लिपि में अनेक संशोधन किये और अंततः 1829 में छह बिन्दुओं पर आधारित ऐसी लिपि बनाने में सफल हुये।
उन्होंने सरकार से प्रार्थना की कि इसे दृष्ठिहीनों की भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की जाय। यह लुई का दुर्भाग्य रहा कि उनके प्रयासों को सफलता नहीं मिल सकी। लुई 43 वर्ष की अवस्था में अंततः 1852 में जीवन की लडाई से हार गये परन्तु उनका हौसला उनकी मृत्यु के बाद भी नहीं मरा।
जब किसी महान आत्मा के कार्य को समय रहते ईमानदारी से मूल्यांकित नहीं किया जाता तथा उसकी मृत्यु के उपरान्त उसके द्वारा किये गये कार्य का वास्तविक मूल्यांकन हो पाता है। ऐसी भूलों के लिये कदाचित परिस्थितियों को निरपेक्ष रूप से न देख पाने की हमारी अयोग्यता ही हो सकती है।
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