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महिलाओं के साथ भेदभाव आज भी कायम है,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

महिलाओं के साथ भेदभाव आज भी कायम है,क्यों?

महिलाओं के साथ भेदभाव आज भी कायम है,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जातिभेद, रंगभेद, पूरब और पश्चिम के भेद ने मनुष्य का सबसे अधिक नुकसान किया है। निश्चय ही जाति भेद को सबसे घातक माना गया है। महिला को पुरुष से कमतर मानने की चूक के कारण मानव गाड़ी एक पहिया पर चलती रही है। अमेरिका में मार्लोन ब्रांडो ने एक बार रेड इंडियंस के साथ किए गए अन्याय के विरोध में ऑस्कर पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था।

रेड इंडियंस के साथ किए गए अन्याय प्रस्तुत करने वाली फिल्मों को ‘वेस्टर्न’ का स्वतंत्र श्रेणीकरण दिया गया है। इन फिल्मों में सुपर सितारे रहे जॉन वेन अपनी कुर्सी से अधिक घोड़े पर बैठे हैं। इस श्रेणी की फिल्मों में ‘हाउ द वेस्ट वॉज वॉन’ को बहुत सराहा गया है। अश्वेत कलाकार सिडनी पॉटिएर को बहुत सराहा गया। वेस्टर्न श्रेणी में प्राय: पार्श्व संगीत अत्यंत मधुर रहा है। ‘फॉर ए फ्यू डॉलर्स मोर’ का संगीत सर्वाधिक बिका है।

फिल्म ‘गैस हू इज कमिंग टू डिनर’ का हिंदुस्तानी रूपांतरण इस तरह है कि सुलगती सरहदों का विवरण अपने पाठकों को देने के लिए संपादक अपनी स्टार रिपोर्टर को सरहद पर भेजता है। महिला रिपोर्टर निर्भय है और हमेशा खतरे उठाती है। वहां उसे एक विजातीय अफसर से प्रेम हो जाता है। महिला अपने माता-पिता को सूचना देती है कि आज उसके साथ डिनर पर उसका एक मित्र आएगा। मेजबान और मेहमान असहज दशा में हैं।

महिला की मां विश्वविद्यालय में इतिहास पढ़ाती है। कक्षा में एक छात्र ने इस आशय की बात कही कि हमने अपने इतिहास को रोमांटिसाइज किया है। हमने तमाम हारी हुई लड़ाईयों को अपने पक्ष में जाते हुए प्रदर्शित किया है। इस परिवार का मुखिया एक शल्य चिकित्सक है और आज ही उन्हें एक मरीज की जान बचाने के लिए एक कठिन निर्णय लेना पड़ा। डॉक्टर साहब को अस्पताल से मरीज के बारे में पल-पल की रिपोर्ट आ रही है।

इन सबके बीच युवा प्रेमी अपने विवाह करने का इरादा अभिव्यक्त करते हैं। खबर परमाणु बम की तरह फटती है। कन्या पक्ष में सब ऊंची मानी जाने वाली जातियों के हैं और समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति माने जाते हैं। दूसरी ओर महिला को उसका अखबार एक माह के लिए लंदन भेज रहा है। विजातीय अफसर को भी मिलिट्री सलाहकार के रूप में लंदन भेजा जा रहा है। अतः निर्णय उस रात तय होना है।

परिवार का रसोईया भी मिलिट्री अफसर के आने से नाराज है कि उसने उनके स्वर्ग समान परिवार में विवाद खड़ा कर दिया। लंबे अरसे से ऊंची जाति वालों के यहां काम करते-करते वह भी अपना जन्म नीची जाति में होने के तथ्य को भूल गया है। वह अच्छा रसोईया है बस यही उसे याद है। ठीक उसी समय समाचार आया है कि उनसे मिलने तथाकथित नीची जाति के लोग आए हैं। वे भी अपने बेटे को विदा करने आए हैं।

उनका रहन-सहन और बातचीत उनके समाज का ही प्रतिनिधित्व करता है। विवाह में आप केवल वर-वधू नहीं चुनते वरन एक तबका ही अपने साथ जुड़ जाता है। ज्ञातव्य है कि अपने पूर्वाग्रह से मुक्त होकर इतिहास की प्रोफेसर और उनके पति मूल्यों को साफ देख पाते हैं। विजय तेंदुलकर के एक नाटक में गांव में नियुक्त शिक्षक के गुणों से सभी प्रभावित हैं और पंच, मास्टर का वेतन बढ़ाते हैं।

पंच महोदय की कन्या शिक्षक से प्रेम करने लगती है परंतु जैसे ही उसे ज्ञात होता है कि उसके लिए उसी के समाज के एक धनवान परिवार से रिश्ता आया है तो वह मास्टर से अपने प्रेम की बात भूल जाती है। अत: हम इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं कि समाज को जातिवाद तथा महिला को पुरुष से कमतर आंकने की गलतियां सबसे अधिक घातक सिद्ध हुई हैं।

ग्वालियर के पवन किरण ने पौराणिक काल से वर्तमान काल तक की महिलाओं पर बहुत लिखा है। सिमॉन द बोव्हा की किताब ‘सेकंड सेक्स’ इस विषय की सर्वोत्तम किताब है। आर्थिक दृष्टिकोण से महिलाओं के साथ किए गए भेदभाव पर आज भी बहुत लिखा जा सकता है। राजनीति से परे कई विषय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

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