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सीवान के लाल डॉ एससी मिश्रा नहीं रहे,बिहार के लिए व्यक्तिगत क्षति।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

• नहीं रहे महावीर अस्पतालों के निदेशक प्रमुख डॉ एससी मिश्रा
• दो दशकों तक महावीर आरोग्य संस्थान के निदेशक रहे
• आईएमए ने दिया था लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड

महावीर अस्पतालों के निदेशक प्रमुख डॉ. एससी मिश्रा नहीं रहे। गुरुवार को देर शाम पटना में उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ. मिश्रा हृदय रोग से ग्रसित थे। उनके निधन की खबर से महावीर मन्दिर न्यास और उससे संचालित अस्पतालों समेत पूरे चिकित्सा जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

सीवान जिला के मिशिर के गौरी, पोस्ट  कुमहती,प्रखंड दरौली के मूल निवासी डॉ सुरेश चन्द्र मिश्रा एक कुशल प्रशासक और हरदिल अजीज के रूप में जाने जाते थे। महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि महावीर अस्पतालों को अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ मरीजों की सेवा भावना के अनुरूप तैयार करने में  डॉ एससी मिश्रा का योगदान अतुल्य है।

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि गंभीर विषयों पर वे हमेशा डॉ. मिश्रा का परामर्श और मार्गदर्शन लाया करते थे। अपने अधीनस्थों का वे खूब ख्याल रखते थे। साथ-साथ मरीजों के प्रति लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं करते थे। महावीर आरोग्य संस्थान के निदेशक के रूप में उन्होंने यह संकल्प अंतिम सांस तक निभाया कि अस्पताल परिसर में जो आया उसका इलाज होगा चाहे उसके पास पैसे हों या ना हों।

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानन्द जो इन्हें अपना गुरु मानते थे, ने अपने शोक संदेश में कहा कि चिकित्सा जगत के साथ-साथ पूरा बिहार डॉ. मिश्रा के मानवीय मूल्यों को हमेशा याद रखेगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉ एससी मिश्रा को विगत वर्ष अपने सर्वोच्च सम्मान लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से नवाजा था।

डॉ. एस सी मिश्रा राज्य स्वास्थ्य सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रोन्नति पानेवाले भारत के पहले और इकलौते चिकित्सक थे। 1992 में आईएएस कैडर मिलने के बाद वे औरंगाबाद, मुंगेर, वैशाली के जिलाधिकारी और गोड्डा के उपायुक्त रहे। इसके पहले डॉ. मिश्रा पटना के सिविल सर्जन और बिहार के ड्रग कंट्रोलर भी रह चुके हैं।

बिहार स्वास्थ्य सेवा में आने के पूर्व वे सेना के मेडिकल कोर में 1963 से 1970 तक कैप्टन और लेफ्टिनेंट के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी बतौर मेडिकल अधिकारी भाग लिया था। 2003 से वे महावीर आरोग्य संस्थान के निदेशक थे। आचार्य किशोर कुणाल ने इसे अपनी निजी क्षति बताया।

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