उच्च शिक्षण संस्थानों में भी लागू होगी विद्यांजलि योजना.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
स्कूलों की जरूरतों की पूर्ति व उनसे लोगों का जुड़ाव बढ़ाने के लिए शुरू की गई विद्यांजलि योजना को अब उच्च शिक्षण संस्थानों में भी लागू करने की तैयारी है। शिक्षा मंत्रालय की इस योजना के तहत सेवानिवृत्त या सेवारत प्रोफेसर, अधिकारी, पेशेवर व पीएचडी या स्नातकोत्तर डिग्रीधारी आसपास के उच्च शिक्षण संस्थानों में स्वैच्छिक रूप से पढ़ा सकेंगे। कौशल विशेषज्ञों को भी अपना हुनर बांटने का मौका मिलेगा।
उच्च शिक्षण संस्थानों में स्वैच्छिक रूप से पढ़ाने के इच्छुक पात्रों को पहले पंजीकरण करना होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि उनकी रुचि ऐसे किस विषय में है जो छात्रों के लिए उपयोगी होगा। पंजीकरण कराने वालों को संस्थान जरूरत के अनुरूप आमंत्रित करेंगे।
इय योजना के पीछे हैं मंत्रालय के ये दो उद्देश्य
विद्यांजलि योजना की वेबसाइट पर संस्थानों के बुनियादी ढांचे और पठन-पाठन की जरूरतों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अनुरूप कोई भी व्यक्ति या संस्था उच्च शिक्षण संस्थानों की मदद कर सकेगा। योजना के पीछे मंत्रालय के दो उद्देश्य हैं। पहला, संस्थानों की जरूरत की पूर्ति हो जाएगी और दूसरा, लोगों का संस्थानों के प्रति जुड़ाव बढ़ेगा।
गौरतलब है कि फिलहाल उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी है। विशेषज्ञ या कौशल से जुड़े शिक्षकों का तो घोर अभाव है। सरकार का मानना है कि यह योजना शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों और विशेषज्ञों की कमी को दूर करेगी, जिससे छात्रा लाभान्वित होंगे। फिलहाल, देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में चार करोड़ से ज्यादा छात्र अध्ययन कर रहे हैं।
योजना से जुड़ चुके हैं एक लाख से ज्यादा स्कूल
विद्यांजलि योजना से अबतक एक लाख से ज्यादा स्कूल जुड़ चुके हैं। ज्यादातर स्कूल दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद हैं और वहां बुनियादी ढांचे का भी अभाव है। स्कूलों में पढ़ाने के लिए 13 हजार से ज्यादा लोग पंजीकरण करा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों की सेवाएं ली जा रही हैं। 15 हजार से ज्यादा स्कूलों ने डिजिटल या आनलाइन पढ़ाई के लिए संसाधानों की मांग की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इन स्कूलों के 11 हजार से ज्यादा छात्रों को डिजिटल पठन-पाठन के संसाधन मुहैया करा दिए गए हैं। इनमें मोबाइल व प्रोजेक्टर आदि शामिल हैं।
विद्यांजलि योजना को शुरू करने के अनेक उद्देश्य हैं जिन्हें पूरा करने के लिए इसका संचालन किया जा रहा है। आज भी देंश में ऐसे बहुत से लोग मौजूद हैं जो अपने हुनर को दूसरों तक फ्री में पहुँचाना चाहते हैं। अब उनके पास मौका हैं वो अपने हुनर को इस योजना के माध्यम से दूसरों तक पहुँचा सकते हैं। जैसा कि ये हम सभी जानतें हैं कि हमारे देंश में प्राथमिक स्तर के विद्यालयों में शिक्षा का स्तर बहुत ही दयनीय हैं।
इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार इस योजना का संचालन किया हैं ताकि स्वयं सेवी लोगो को इस योजना के माध्यम से जोडकर उन क्षेंत्रों में लगाया जा सके जहॉं शिक्षा का स्तर आज भी निम्नस्तर पर हैं, व जहॉं पर शिक्षा की अधिक जरूरत हैं।
विद्यांजलि योजना के लाभ
- आज भी बहुत से लोग निस्वार्थ भाव से अपने हुनर को दूसरों तक पहुचाने के उत्सुक हैं।
- वो इस योजना के माध्यम से स्कूली बच्चों को अपने ज्ञाान को आसानी से दे सकते हैं।
- इससे देंश में शिक्षा के स्तर में सुधार होगा। जोकि देंश के विकास में सहायक हैं।
- जो लोग अपनी इच्छानुसार बच्चों को पढाना चाहते हैं वो बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कोशिश करेगे।
- जिससे बच्चों को अच्छी शिक्षा व ज्ञान प्राप्त होगा जाकि उनके भविष्य के लिए उपयोगी हैं।
- ये शिक्षा बिना पैसे के प्रदान की जाएगी जिससे सरकार पर भी आर्थिक बोंझ नही पडेंगा।
- अलग – अलग क्षेंत्र का मिलने से बच्चों को आगे रोजगार में मदद मिलेंगी।
ऐसे विद्यालयों को किया जाएगा शामिल
अब तक इस योजना के तहत देंश के 21 जिलों के 2200 सरकारी स्कूलों को जोडा जा चुका हैं। इसके तहत प्राथमिक कक्षाओं ( कक्षा 1 से 8वीं) को शामिल किया जाता हैं। इस योजना के तहत निम्न शर्तो को पूरा करने वाले विद्यालयों को शामिल किया जाता हैं:-
- वह विद्यालय जहॉं पक्की इमारत व प्रसाधन की पूरी सुविधा हो।
- जिसमें पूर्ण कालिक प्रधानाध्यापक हो।
- विद्यालय में इन्टरनेंट की सुविधा होनी चाहिए।
- यदि विद्यालय लडकियो का हो या सह शिक्षा प्रणाली वाला तो वहा एक महिला शिक्षक जरूर हो।
- RTE नॉर्म्स के अनुसार PTR होना आवश्यक हैं।
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