भोजपुरी जंक्शन के भेंट स्वीकार करीं, भोजपुरी के 101 दिवंगत साहित्य सेवी—मनोज भावुक
सिलसिला आगे भी जारी रही काहे कि लिस्ट अभी लमहर बा।
नया साल पर सौगात :भोजपुरी के 101 दिवंगत साहित्य सेवी
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अमर होके केहू नइखे आइल। जे आइल बा सेकरा जाहीं के बा। बाकिर कुछ लोग जाइयो के रह जाला …जेहन में, चित्त में, स्मृति में, इतिहास में, लोक में। मरियो के ना मरे आ बोलत-बतियावत रहेला अपना काम में, कृति में। हमार एगो शेर बा –
बहुत बा लोग जे मरलो के बाद जीयत बा
बहुत बा लोग जे जियते में यार मर जाला
जियते में मरे वाला पर बात फेर कबो। अभी त मरलो के बाद जे जीयत बा ओकर बात होता।
भोजपुरी जंक्शन ( हम भोजपुरिआ ) के जब शुरुआत भइल तबे से हमार मन रहे कि समसामयिक साहित्य लेखन के साथे-साथ ‘ भोजपुरी साहित्य के गौरव ’ स्तम्भ के अंतर्गत भोजपुरी के दिवंगत साहित्य सेवी लोग के व्यक्तित्व-कृतित्व पर आलेख छपत रहे ताकि सभे नींव के ईंट के जाने। नया पीढ़ी भोजपुरी के सामर्थ्य आ इतिहास से परिचित होखे। भूलल-बिसरल संस्मरण आ साहित्य सोझा आवे। सिलसिला शुरू भइल आ लेख लिखाये-छपाये लागल। लेकिन ई लमहर लेख रहे। दिवंगत साहित्यकार के व्यक्तित्व आ कृतित्व पर विहंगम दृष्टिपात।
तब लागल कि अइसे त बहुत समय लागी। कई बरिस लाग जाई सब साहित्यकार लोग के समेटे में।
तब, एह लमहर लेख के अलावा संक्षिप्त परिचय के सिलसिला भी शुरू भइल ताकि हरेक अंक में अधिक से अधिक साहित्य सेवी से परिचय करावल जा सके। ई काम आसान ना रहे। दू-चार गो साहित्यकार पर लिखल अलग बात बा आ एगो सीरीज के रूप में सब साहित्यकार लोग के समेटल बिल्कुल अलग बात। बाकिर एह कठिन काम के बीड़ा उठइनी पिछला चार दशक से मातृभाषा भोजपुरी खातिर समर्पित भाव से लागल डॉ. ब्रजभूषण मिश्र जी। मिश्र जी अपना आगे के दू पीढ़ी आ बाद के दू पीढ़ी के भोजपुरी साहित्य में अवदान के जानेवाला लोगन में एक बानी। भोजपुरी आंदोलन के इतिहास से परिचित बानी अउर अनवरत अपना के अपडेट करत रहीले।
भोजपुरी जंक्शन, लगभग दू साल के सफर में, अपना अलग-अलग अंक में भोजपुरी के एक सौ एक दिवंगत साहित्य सेवियन के परिचय छाप चुकल बा अउर ई सिलसिला आगे भी जारी रही काहे कि अभी लमहर लिस्ट बा।
एक सौ एक के संख्या बड़ा शुभ होला। नया साल (2022) आवता। भगवान करस इहो शुभ होखे। नया साल के सौगात के रूप में भोजपुरी के एक सौ एक दिवंगत साहित्य सेवियन के परिचय एह अंक में प्रस्तुत करत हमरा अपार खुशी होता आ एकरा खातिर एकरा लेखक डॉ.ब्रजभूषण मिश्र जी के प्रति आभार प्रकट करत बानी।
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