बाराबंकी में सूर्य नमस्कार का कराया गया योगाभ्यास

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श्रीनारद मीडिया, लक्ष्‍मण सिंह, बाराबंकी (यूपी):

मकर संक्रांति के अवसर पर एवं आजादी के महोत्सव के 75 वें वर्ष में आयुष मंत्रालय के द्वारा आयुष योग वैलनेस सेंटर उधौली बाराबंकी में सूर्य नमस्कार योगाभ्यास विधिवत रूप से जूम एप पर वर्चुअल एवं योगा वैलनेस सेंटर पर प्रत्यक्ष रूप से योगाभ्यास कराया गया जिसमें क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी डॉ सुशील कुमार चौधरी एवं चिकित्सा प्रभारी उधौली बाराबंकी का मार्गदर्शन में आयुष योग वेलनेस सेंटर उधौली बाराबंकी के मुख्य प्रशिक्षक सुशील कुमार अवस्थी के द्वारा अभ्यास का महत्व, करने की विधि एवं मंत्रों का उच्चारण के साथ प्रस्तुति की गई l

इस अवसर पर योग सहायिका कुo स्वीटी मौर्या द्वारा सूर्य नमस्कार को विधिवत कराने में महत्वपूर्ण सहयोग रहा जिसमें चिकित्सालय स्टाफ के फार्मेसिस्ट सतीश कुमार शुक्ला एवं कर्मचारी उमा शंकर दीक्षित एवं उपस्थित व्यक्तियों द्वारा अभ्यास में साथ दिया गयाl

इस अवसर पर योग प्रशिक्षक सुशील कुमार अवस्थी ने बताया कि सूर्य नमस्कार 12 योगासनों का एक समूह है जो क्रमबद्ध तरीके से किए जाते हैं और स्वास- प्रस्वास एवं मंत्रों के उच्चारण के साथ किया जाए तो इसका प्रभाव कई गुना ज्यादा पड़ता है। हमारे शरीर पर जिससे हमारे शरीर की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ-साथ सारे अंगों की क्रियाशीलता में सुधार के साथ उनकी उनकी संरचना में भी गुणोत्तर सुधार होता है। जिस प्रकार सूर्य हमारे ब्रह्मांड के ऊर्जा का प्रवाहक एवम नियंत्रक है उसी प्रकार योग में सूर्य नमस्कार को शरीर में ऊर्जा का संचरण प्रवाहक एवं सृजनात्मक सुधार वाला बताया गया हैl

इस अवसर पर योग प्रशिक्षक सुशील कुमार अवस्थी ने बताया कि सूर्य नमस्कार 12 योगासनों का एक समूह है जो क्रमबद्ध तरीके से और स्वास- प्रस्वास एवं मंत्रों के उच्चारण के साथ किया जाए तो इसका प्रभाव कई गुना ज्यादा पड़ता है

आज सूर्य नमस्कार के अंतर्गत योगाभ्यासियों को सूर्य नमस्कार के 12 चरणों के प्राणमासन ,हस्तोत्तानासन ,पादहस्तान, अश्वसंचालनआसन, दंडासन ,साष्टांग नमस्कार, भुजंगासन ,पर्वतासन ,अश्व संचालन आसन ,पादहस्तासन, हस्तोत्तानासन के साथ सूर्य नमस्कार के मंत्रों का उच्चारण एवं आसनों का अभ्यास कराया गया है ।

सूर्य नमस्कार द्वारा हमारे शरीर की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ-साथ सारे अंगों की क्रियाशीलता में सुधार के साथ उनकी उनकी संरचना में भी गुणोत्तर सुधार होता है हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं हमारे जोड़ क्रियासील होते हैं हमारे शरीर की संरचना सुगठित होने के साथ हमारी कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होती है

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