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भगवान राम के बाद लंदन से लौट रही हैं बकरी के सिर वाली योगिनी देवी.

भगवान राम के बाद लंदन से लौट रही हैं बकरी के सिर वाली योगिनी देवी.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कुछ सालों में पांचवीं महत्वपूर्ण धरोहर लंदन से योगिनी देवी की मूर्ति के रूप में दिल्ली लौट रही है।बलुआ पत्थर की बनी यह अलग तरह की मूर्ति है जिसमें देवी का सिर बकरी का है। इस मूर्ति को अभी फिलहाल राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थान दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। इससे पहले भगवान शिव और राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां देश वापस लौट चुकी हैं। राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां दो साल पहले तमिलनाडु सरकार को सौंपी जा चुकी हैं। योगिनी देवी की इस मूर्ति को करीब 40 साल पहले चोरी करके लंदन ले जाया गया था,इस प्राचीन मूर्ति की घर वापसी होने जा रही है।

बताया जा रहा है कि मूर्ति को भारत भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।जल्द ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्ष्रण (एएसआइ) इस मूर्ति को वापस लाएगा।एएसआइ का कहना है कि उन्हें मूर्ति के बारे में सूचना मिली है। एएसआइ के अधिकारी ने कहा कि अगर ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग के माध्यम से मूर्ति वापस आ रही है तो यह सराहनीय कदम है।भारत सरकार के निर्देश के अनुसार कार्य किया जाएगा।जहां तक मूर्ति को रखे जाने वाले स्थान की बात है तो चोरी वाले स्थान पर भेजे जाने के बारे में संस्कृति मंत्रालय ही फैसला लेगा।अभी इसे राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे जाने का विचार है।

जानकारी के अनुसार यह मूर्ति ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग के पास पहुंच चुकी है। उच्चायोग में प्राचीन मूर्ति को भारत वापस भेजे जाने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। यह मूर्ति 10 वीं शताब्दी की बनी हुई है। यह साल1979 से 1982 के बीच उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के लोखारी गांव के एक मंदिर से चोरी हो गई थी।

क्रिस मारिनेलो और विजय कुमार ने कुछ महीने पहले कलाकृति की पहचान करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अक्टूबर 2021 में लंदन में भारतीय उच्चायोग को इंग्लिश कंट्री गार्डेन में योगिनी देवी की मूर्ति होने की जानकारी मिली थी। भारत स्वाभिमान परियोजना के तहत इस दिशा में कदम उठाया गया और लंदन प्रशासन ने इस मूर्ति को भारत को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दिया।

अब मूर्ति को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण स्वदेश लेकर आने की तैयारी कर रहा है। मूर्ति की ऐसे हुई पहचान संस्था आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल के संस्थापक क्रिस मारिनेलो को यह मूर्ति तब मिली थी, जब लंदन में एक महिला अपने पति के निधन के बाद अपने घर की चीजें बेच रही थी।इसके बाद मारिनेलो ने गैर-लाभकारी संस्था इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट के सह-संस्थापक विजय कुमार से संपर्क किया, जो भारत से चुराई गईं सांस्कृतिक वस्तुओं की पुनर्प्राप्ति के लिए कार्य कर रहे हैं।

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