आचार्य देवव्रत को राज्यपाल बनने की सूचना तब मिली, जब वे कॉलेज में व्याख्यान दे रहे थे।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आचार्य देवव्रत जन्म- 18 जनवरी, 1959, समालखा कस्बा, ज़िला पानीपत, हरियाणा) गुजरात के राज्यपाल हैं। इसके पूर्व वे हरियाणा के कुरुक्षेत्र के गुरुकुल में प्रधानाचार्य थे। गुजरात के राज्यपाल का प्रभार संभालने से पहले देवव्रत जी हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे।
आचार्य देवव्रत का जन्म 18 जनवरी, 1959 को पानीपत जिले के समालखा कसबे के पावटी गांव में हुआ। पिछले चार दशकों से उनका घर कुरुक्षेत्र में है और वे लंबे समय तक कुरुक्षेत्र गुरुकुल के प्राचार्य रहे हैं। जीरो बजट खेती, गो संवर्धन और आर्य समाज की गतिविधियों के अलावा आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष रहते हुए कई आंदोलनों में सक्रिय रह चुके हैं। उनकी बड़ी भूमिका 13 अप्रैल, 1913 को स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्थापित कुरुक्षेत्र गुरुकुल को बुलंदियों तक पहुंचाने में रही है।
आर्य समाज के साथ जुड़े रहे आचार्य देवव्रत ने इससे पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गुरुकुल के प्रधानाचार्य के तौर पर सेवाएं दी हैं। हिंदी में पोस्ट ग्रैजुएट देवव्रत जी को अकादमिक एवं प्रशासनिक कार्यों में 30 साल से ज्यादा का अनुभव है। उन्हें विश्व भर में भारतीय संस्कृति एवं वैदिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार की दिशा में काम करने और लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।
राष्ट्रपति भवन से राज्यपाल बनने की दोनों बार सूचना तब मिलीं, जब आचार्य देवव्रत रोहतक के शिक्षण संस्थान में संबोधित कर रहे थे। आचार्य अब गुजरात के राज्यपाल होंगे, उन्हें यह सूचना भी रोहतक के एलएन हिंदू कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मिली। दरअसल, आचार्य देवव्रत के निजी मोबाइल नंबर पर राष्ट्रपति भवन से यह सूचना देने के लिए लगातार फोन किया जा रहा था, लेकिन उस समय आचार्य कॉलेज में व्याख्यान दे रहे थे।
हिमाचल प्रदेश राजभवन के एडीसी ने जब फोन कॉल रिसीव की तो उन्होंने आचार्य को गुजरात का राज्यपाल बनाए जाने की जानकारी दी। यह संयोग ही है कि 8 अगस्त, 2015 को गुरुकुल के आचार्य देवव्रत को जब पहली बार हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनने की सूचना राष्ट्रपति भवन से मिली थी, तब भी वह रोहतक के आर्य कन्या कॉलेज में व्याख्यान दे रहे थे।
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