युद्ध के मुहाने पर पहुंचे यूक्रेन और रूस,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रूस और यूक्रेन के बीच काफी समय से विवाद बरकरार है। इस तनाव की वजह से दोनों देशों के बीच युद्ध का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है। इस खतरे के बीच जहां रूस अलग-थलग है वहीं यूक्रेन के साथ में यूरोप के कई देश और अमेरिका खड़ा दिखाई दे रहा है। दोनों के बीच युद्ध छिड़ने की आशंका को हाल ही में घटित कुछ बातों से बल मिला है।

यूएस ने अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने को कहा 

आपको बता दें कि ताजा घटनाक्रम में अमेरिका ने यूक्रेन में मौजूदा अपने दूतावास कर्मियों के परिवारों को देश छोड़ने का निर्देश दिया है। वहीं अमेरिका ने चीन को सख्‍त लहजे में कहा है कि वो इस विवाद से दूर रहे तो अच्‍छा होगा। वहीं नाटो ने भी रूस को इस संबंध में चेतावनी दी है। दूसरी तरफ रूस ने यूक्रेन पर आरोप लगाया है कि पश्चिमी देशो यूक्रेन को आधुनिक हथियारों की आपूर्ति’ कर रहे हैं और यूक्रेन लगातार सैन्य अभ्यास कर रहा है।

ब्रिटेन के बयान पर रूस का पलटवार

यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि दो दिन पहले ही ब्रिटेन के विदेश विभाग ने कहा था कि रूस यूक्रेन में अपने समर्थित किसी नेता को बिठाना चाहता है। इसके लिए उसने अपनी खुफिया एजेंसियों को काम पर लगाया है जिसने वहां के पूर्व पीएम समेत अन्‍य रूसी समर्थक नेताओं से बात की है। हालांकि रूस ने इसका खंडन किया है। रूस का कहना है कि ब्रिटेन को इस तरह की गलत खबरों को फैलाने से बचना चाहिए, क्‍योंकि इससे तनाव बढ़ता है।

यूक्रेन सीमा पर रूसी सेना का जमावड़ा

रूस ने कुछ दिन पहले ये भी कहा था कि उसका यूक्रेन पर हमला करने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि, विभिन्‍न मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर बड़ी संख्‍या में अपने जवानों को भारी हथियारों के साथ तैनात किया हुआ है। अमेरिका की सेटेलाइट से मिली तस्‍वीरों में भी ये साफतौर पर देखी जा सकती हैं। यूक्रेन की ही बात करें तो उसकी जड़ें भी पूर्व सोवियत राष्ट्र से जुड़ी हुई हैं। वर्ष 2019 से यहां के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की हैं, जो कि वह राजनेता बनने से पहले अभिनेता और कामेडियन थे। उनकी पार्टी सर्वेंट ऑफ द पीपल (Servant of the People) है।

रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की तीन बड़ी वजह

रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की पहली असल वजह क्रीमिया प्रायद्वीप है, जो कभी यूक्रेन का हिस्‍सा हुआ करता था। इसे वर्ष 2014 में रूस ने यूक्रेन से अलग कर दिया था। तभी से इसको लेकर दोनों में जबरदस्‍त तनाव है। यूक्रेन इस क्षेत्र को वापस पाना चाहता है जिसमें सबसे बड़ी बाधा रूस ही है। इस मुद्दे पर अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ हैं तो वहीं रूस अलग-थलग है।

इस विवाद में दूसरी वजह अब नार्ड स्‍ट्रीम 2 पाइपलाइन भी बन गई है। इसके जरिए रूस जर्मनी समेत यूरोप के अन्‍य देशों को सीधे तेल और गैस सप्‍लाई कर सकेगा। लेक‍िन, इससे यूक्रेन को जबरदस्‍त वित्‍तीय नुकसान उठाना होगा, क्‍योंकि अब तक यूक्रेन के रास्‍ते यूरोप को जाने वाली पाइपलाइन से यूक्रेन को जबरदस्‍त कमाई होती है। लेकिन नार्ड स्‍ट्रीम से ये कमाई खत्‍म हो जाएगी।

अमेरिका नहीं चाहता है कि जर्मनी नार्ड स्‍ट्रीम को मंजूरी दे। अमेरिका का कहना है कि इससे यूरोप और अधिक रूस पर निर्भर हो जाएगा। जर्मनी की मंजूरी इसलिए बेहद खास है क्‍योंकि यही यूरोप की सबसे ब‍ड़ी अर्थव्‍यवस्‍था  है और रूस की सप्‍लाई अधिकतर जर्मनी को ही होती है। इस लिहाज से क्रीमिया और नार्ड स्‍ट्रीम-2 दोनों ही विवादों के घेरे में है।

यूक्रेन और रूस के बीच विवाद की तीसरी वजह यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की मंशा है। अमेरिका भी चाहता है कि यूक्रेन नाटो का सदस्‍य बने। वहीं रूस ने यूक्रेन से इस बाबत लीगल गारंटी तक मांगी है कि वो कभी नाटो का सदस्‍य नहीं बनेगा।

हमले की आशंका

अमेरिका और यूक्रेन को आशंका है कि रूस कभी भी हमला कर सकता है। इस वजह से समूचे यूरोप में हाइ अलर्ट जैसी स्थिति है। यूरोप और अमेरिका के बीच इस तनाव के बाबत कई बार बैठकें हो चुकी हैं। अमेरिका बार-बार यूक्रेन के साथ खड़ा होने और पूरी मदद करने का वादा भी कर चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ही साफ कर चुके हैं कि यदि रूस यूक्रेन पर हमला करने की गलती करता है तो उसको जबरदस्‍त आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि वो ये भी कह चुके हैं कि किसी भी सूरत में नाटो सैनिकों को यूक्रेन नहीं भेजा जाएगा। रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने अमेरिका और नाटो को सीधेतौर पर चेतावनी दी है कि वो नाटो का विस्‍तार करने के बारे में न सोचे।

 

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