हूथी विद्रोहियों के हमले के क्‍या हैं मायनें

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कुछ दिन पहले हुए हूथी विद्रोहियों द्वारा अबू धाबी के आयल टैंकर पर हुए हमले ने सभी को हैरान कर दिया है। इसकी दो बड़ी वजह हैं। पहली वजह यमन से 2019 में यूएई द्वारा अपनी सारी सेना का हटाना है तो दूसरी वजह ये भी है कि यूएई ने खुद को पर्यटकों के लिए बेहद सुरक्षित करार दिया था। ऐसे में इस हमले ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हमले में तीन लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद यूएई ने हूथी विद्रोहियों के ठिकाने पर जबरदस्‍त हवाई हमले किए।

अबु धाबी पर किए गए हमले ने पूरे विश्‍व का ध्‍यान इस तरफ खींचा और पूरी विश्‍व बिरादरी ने इसकी कड़ी आलोचना भी की। कहा जा रहा है कि इस हूथी विद्रोहियों के इस हमले के गंभीर परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। इसका असर कहीं न कहीं यूएई और इस क्षेत्र के दूसरे देशों की नीतियों पर भी पड़ेगा। संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई) ने ये भी साफ कर दिया है कि वो हूथी विद्रोहियों पर उनकी ही जमीन पर और जबरदस्‍त हमले करेगा।

शुक्रवार को ही सऊदी अरब के नेतृत्‍व वाले गठबंधन ने यमन के सदा शहर पर हमला किया था। डाक्‍टर्स विदाउट बार्डर के मुताबिक इस हमले में 82 लोगों की मौत हो गई और 266 घायल हुए थे। इसी दिन सऊदी और यूएई की गठबंधन सेनाओं ने अल हुदायदा स्थिति टेलिकम्‍यूनिकेशन बिल्डिंग पर हमला किया था। ये शहर यमन का चौथा बड़ा शहर है। इस हमले में 20 लोगों की मौत हो गई थी। माना जा रहा है कि हूथी विद्रोहियों को यूएई के खिलाफ हमला करना इस बात की चेतावनी है कि संयुक्‍त अरब अमीरात यमन के दूसरे स्‍थानीय मिलिशिया संगठनों को दिए जा रहे समर्थन पर फिर विचार करे और उनके ऊपर हमला न करे।

बता दें कि जनवरी में यूएई द्वारा समर्थित मिलिशिया संगठनों ने हूथी विद्रोहियों पर शबवा और मौरिन में जबरदस्‍त हमला किया था। इसके बाद यूएई ने कहा था कि वो क्षेत्र में तनाव को बढ़ाना नहीं चाहता है। यूएई ने ये भी कहा था‍ कि वो अब यमन के दूसरे मिलिशिया संगठनों को किसी तरह का समर्थन नहीं देगा।

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